मिथ 3: वैक्सीन्स उन बीमारियों का कारण बन सकती हैं, जिन बीमारियों से बचाव के लिए इन्हें बनाया जाता है।
फैक्ट: चाइल्ड वैक्सीनेशन के बारे में मिथ्स और फैक्ट्स (Myths Facts about child vaccination) में से इस मिथ के बारे में सच तो यह है कि वैक्सीन्स किसी भी बीमारी का कारण नहीं बन सकती हैं क्योंकि इसमें एक्टिव वायरस नहीं होते हैं। वैक्सीन्स को इम्यूनाइजेशन भी कहते हैं। क्योंकि वे हमारे इम्यून सिस्टम (Immune system) को स्टिमुलेट करती हैं, ताकि हमें प्रोटेक्ट करने के लिए आवश्यक एंटीबॉडी का उत्पादन कर सकें, यानी बीमारियों से सुरक्षा हो सकें। एंटीबायोटिक्स के प्रोड्यूस करने की इस प्रोसेस के कारण कई बार रोगी को लो फीवर (Fever) या माइनर सूजन (Minor inflammation) हो सकती है, लेकिन इससे कोई बीमारी नहीं हो सकती है।
मिथ 4: वैक्सीन्स में असुरक्षित टॉक्सिन्स होते हैं।
फैक्ट: यह सच है कि वैक्सीन्स में फॉर्मलडिहाइड (Formaldehyde), पारा(Mercury) और एल्युमिनियम (Aluminum) कुछ मात्रा में होते हैं। हालांकि, यह नाम सुनने में खतरनाक लग सकते हैं। लेकिन, यह एडिटिव्स असल में वैक्सीन्स को सुरक्षित बनाते हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि वैक्सीन स्टेराइल है या यह अपना कार्य प्रभावी ढंग से करने में सक्षम है। यह टॉक्सिक केवल तभी हो सकते हैं, जब इन्हें जरूरत से अधिक डोज में दिया जाए।

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मिथ 5: वैक्सीन्स आटिज्म का कारण बन सकती हैं।
फैक्ट: चाइल्ड वैक्सीनेशन के बारे में मिथ्स और फैक्ट्स (Myths Facts about child vaccination) में यह पॉइंट बेहद महत्वपूर्ण है। असल में सच यह है कि वैक्सीन और आटिज्म में कोई भी संबंध नहीं है। इसके बारे में कोई भी साइंटिफिक एविडेंस मौजूद नहीं हैं। मीजल्स (Measles), मम्प्स (Mumps),और रूबेला (Rubella) की वैक्सीन यानी MMR वैक्सीन को आटिज्म से जोड़ा जाता है। असल में आटिज्म के लक्षण शिशुओं में उसी उम्र में नजर आते हैं जब बच्चे को MMR वैक्सीन दी जाती है। इसलिए अधिकतर लोग ऐसा मानते हैं कि यह वैक्सीन आटिज्म (Autism) का कारण बन सकती है। लेकिन,यह सच नहीं है। इसके बारे में कोई भी सुबूत मौजूद नहीं हैं।
चाइल्ड वैक्सीनेशन के बारे में मिथ्स और फैक्ट्स में मिथ 6: अगर मां ब्रेस्टफीडिंग करा रही है, तो शिशु किसी भी बीमारी और इंफेक्शन से सुरक्षित है और उसे वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है।
फैक्ट: इस फैक्ट को समझना बेहद जरूरी है कि ब्रेस्टफीडिंग वैक्सीनेशन का विकल्प नहीं है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ब्रेस्टफीडिंग कुछ खास इंफेक्शंस से बचाव में मदद मिलती है। खासतौर पर वायरल रेस्पिरेटरी इंफेक्शंस, ईयर इंफेक्शन और डायरिया आदि। लेकिन यह प्रोटेक्शन अधूरी और टेम्पररी है। यदि आपका शिशु बड़ी मात्रा में किसी विशेष जर्म के संपर्क में आता है, तो वो बीमारी पड़ सकता है। मां के दूध के अपने फायदे हैं लेकिन वैक्सीनेशन कराना भी जरूरी है।
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मिथ 7: नेचुरल इम्यूनिटी वैक्सीनेशन से प्राप्त होने वाली इम्युनिटी से बेहतर है।
फैक्ट: चाइल्ड वैक्सीनेशन के बारे में मिथ्स और फैक्ट्स (Myths Facts about child vaccination) में इस मिथ के बारे में आपको जानना जरूरी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि नेचुरल चीजें अच्छी होती है। लेकिन, यह भी समझें कि नेचुरल हमेशा बेहतर नहीं होता है। वैक्सीन्स जिन कीटाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं, वे प्रकृति का हिस्सा हैं, लेकिन वे हानिकारक होते हैं। हमें प्रकृति की बहुत सी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि, आप शायद यह नहीं जानते हैं कि सबसे शक्तिशाली पोइसंस पौधों और बेरीज से मिलते हैं।
वैक्सीन्स को नेचुरल सोर्सेज से बनाया जाता है। कुछ वैक्सीन्स लाइव जर्म्स से बनाई जाती हैं। जो बदलावों से गुजरती हैं ताकि बीमारी का कारण न बन सकें। कुछ वैक्सीन्स में जर्म्स का कुछ पार्ट होता है, जिसे बाहर निकाला और शुद्ध किया गया होता है। नेचुरल इम्युनिटी के अपने लाभ हैं और वैक्सीनेशन से मिलने वाली इम्यूनिटी के अलग फायदे हैं।
मिथ 8: शिशु को एक ही समय में एक से अधिक वैक्सीन लगाने से हार्मफुल साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं।
फैक्ट: साइंटिफिक एविडेंस यह बताते हैं कि बच्चों को एक ही समय कई वैक्सीन्स देने से बच्चे के इम्यून सिस्टम पर नेगटिव इफेक्ट नहीं पड़ता है। बच्चों का इम्यून सिस्टम (Immune system) बहुत अधिक मजबूत होता है और वो वे टीकों से रिसीव होने वाले जर्म्स की तुलना में कहीं अधिक कीटाणुओं को हैंडल कर सकते हैं। वास्तव में वैक्सीन में मौजूद जर्म्स की मात्रा उन जर्म्स की तुलना में बहुत कम है जिससे बच्चों का इम्यून सिस्टम (Immune system) रोजाना डील करता है। अर्थात, इस बात का कोई सुबूत मौजूद नहीं है कि शिशु को एक ही समय में एक से अधिक वैक्सीन लगाने से हार्मफुल साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं।
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यह तो थी चाइल्ड वैक्सीनेशन के बारे में मिथ्स और फैक्ट्स (Myths Facts about child vaccination) के बारे में जानकारी। फैक्ट यह है कि वैक्सीनेशन लेना बच्चों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है। लेकिन, इसके बारे में तथ्यों के बारे में जानकारी होना जरूरी है जबकि इसके बारे में फैले मिथ्स पर विश्वास करने से बचें। अगर इसके बारे में कोई भी सवाल है, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।