बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए उनका वैक्सीनेशन कराया जाता है। टीकाकरण से बच्चों में होने वाली कई बीमारियों के खतरे को कम करने की कोशिश की जाती है, जो उन्हें बचपन में ही जकड़ सकती हैं। दुनिया भर के देश संक्रमण से होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए कड़े नियम कानून भी बनाते रहते हैं। इसी कड़ी में जर्मनी में एक कानून पारित किया गया है। जिसके तहत स्कूल जाने वाले सभी बच्चों के लिए मीजल्स वैक्सीनेशन (Measles Vaccination) जरूरी कर दिया गया है। मीजल्स को भारत में खसरा भी बोला जाता है।
जर्मनी की संसद में कल यह कानून पारित किया गया। इसके तहत यदि स्कूल जाने वाले बच्चों का टीकाकरण नहीं कराया गया, तो उनके माता-पिता पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए पेरेंट्स पर 2,500 यूरो तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले जर्मनी में मार्च में बनाए गए एक अन्य नियम के तहत प्री-स्कूल जाने वाले बच्चों का भी टीकाकरण अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा बच्चों को हॉलीडे कैंप, कम्युनिटी सेंटर्स और यहां तक की मेडिकल फेसिलिटी तक में वैक्सीनेशन के डॉक्यूमेंट दिखाने पड़ सकते हैं।
वहीं जर्मनी के हेल्थ मिनिस्टर जेंस स्पाह्न ने इस कानून को बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया और कहा कि साल 2019 में खसरे (Measles) का खतरा अनावश्यक है, जिसकी रोकथाम वैक्सीनेशन की मदद से आसानी से की जा सकती है।
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भारत में मीजल्स वैक्सीनेशन (Measles Vaccination in India)
विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO)के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में साल 2019 में मार्च तक विश्व भर में 300 प्रतिशत खसरे के मामले बढ़े हैं। जनवरी से अप्रैल 2019 के बीच 46,187 खसरे के मामलों के साथ मेडागास्कर नंबर वन पर था। सितंबर से अब तक इस बीमारी से यहां 800 लोगों की मृत्यु हो चुकी थी। वहीं, 25319 मामलों के साथ यूक्रेन दूसरे स्थान पर और 7,246 मामलों के साथ भारत तीसरे स्थान पर था।
क्या है मीजल्स (Measles)?
शरीर पर खुजली वाले लाल चकत्ते होना खसरे का पहला लक्षण होता है। इस तरह के चकते या निशान पहले कानों के पीछे, गर्दन या सिर पर दिखने शुरू होते हैं। इनके दिखने से तीन दिन पहले ही इसका वायरस शरीर में प्रवेश कर चुका होता है। इसके अलावा मयूबेलेस भी रुबोला के रूप में जाना जाता है। यह एक वायरल इंफेक्शन है, जो सांस लेने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। यह एक वायरल इंफेक्शन कंडीशन है। किसी इंफेक्टिड शख्स की लार या अन्य किसी माध्यम से इसके संपर्क में आने से यह फैल सकती है। इसके अलावा संक्रमित इंसान खांसने या छींकने के समय भी हवा में इसके जीवाणुओं को छोड़ सकता है और इससे अन्य लोग प्रभावित हो सकते हैं।
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मीजल्स के कारण (Cause of Measles)
मीजल्स या खसरा के जीवाणु कई घंटों तक किसी भी सतह पर सक्रिय रहने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा ये कई घंटों तक हवा में मौजूद रहते हैं और आस-पास किसी भी शख्स को अपना शिकार बना सकते हैं। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान दें कि किसी इंफेक्टेड शख्स के साथ चीजें शेयर करने से भी आप इसकी चपेट में आ सकते हैं। कई शोधों में यह भी सामने आया है कि दुनिया भर में बच्चों की मौत का अहम कारण खसरा या मीजल्स ही हैं। इसके अलावा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट कहती है कि खसरे के कारण बच्चों की मौत के मामलों में ज्यादा तादाद में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ज्यादातर अनचाहे बच्चों में खसरा पाया, जो उनकी मौत का कारण भी बना।
मीजल्स वैक्सीनेशन के बारे में मिथक (Measles Vaccination myths)
मीजल्स और इसके वैक्सीनेशन को लेकर लोगों के बीच कई मिथक भी फेले हुए हैं। कई पेरेंट्स का मानना है इसके टीकाकरण के कारण बच्चों में कई गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। वहीं विशेषज्ञ कहते हैं कि यह पूरी तरह से गलत है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कुछ दुर्लभ मामलों में ही वैक्सीनेशन के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसमें बहरापन, मोमोरी लॉस और कोमा तक भी शामिल हो सकता है। लेकिन ऐसे मामले बहुत ही कम पाए गए हैं।
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मीजल्स वैक्सीनेशन से रोकथाम संभव
मीजल्स-रूबेला वायरस गंभीर और जानलेवा बीमारी होती है। हालांकि, रोकथाम के लिए मीजल्स वैक्सीनेशन की मदद ली जा सकती है। यह वैक्सीन बच्चों को तीन बीमारियों खसरा, गलगंड (मंप्स) और रूबेला रोग से बचाता है। मीजल्स वैक्सीनेशन उन लोगों का भी करवाया जा सकता है, जिन्हें ये टीका न लगाया गया हो। बीमारी के दौरान भी ये टीका लगाया जा सकता है। जिन लोगों का मीजल्स वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, उन्हें बीमारी का खतरा अधिक रहता है। ये एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती हैं। अगर बच्चों में समय पर ये टीका लगवा दिया दाए तो बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
प्रेग्नेंसी में मीजल्स हो तो बढ़ सकता है खतरा
जिन महिलाओं की इम्युनिटी कमजोर होती है, उन्हें गर्भावस्था में मीजल्स का खतरा बढ़ जाता है। अगर गर्भवती महिला को प्रेग्नेंसी के समय मीजल्स की समस्या हो जाती है तो उसका असर फीटस पर भी दिख सकता है, इसलिए सावधानी की अधिक आवश्यकता होती है। गर्भवती महिलाओं का मीजल्स के लिए रिस्क बढ़ सकता है और साथ ही कॉम्प्लिकेशन बढ़ने की संभावना भी अधिक हो सकती है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को मीजल्स के साथ ही निमोनिया का खतरा भी बढ़ जाता है। जानिए प्रेग्नेंसी में मीजल्स हो जाने पर कौन-से कॉम्प्लीकेशन बढ़ सकते हैं।
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अगर गर्भवती महिला को गर्भवस्था के आखिरी महीने में मीजल्स की समस्या होती है तो ये संभावना अधिक बढ़ जाती है कि होने वाले बच्चे में भी ये संक्रमण हो जाए। बच्चा पैदा होने पर उसके स्किन पर भी रैशेज दिख सकते हैं। न्यू बॉर्न बेबी में मीजल्स होने पर कॉम्प्लीकेशन बढ़ने की संभावना रहती है, कभी-कभी ये जानलेवा भी हो सकता है। अगर आपको गर्भावस्था के दौरान ऐसी शंका हो कि आपको मीजल्स हो गया है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और ट्रीटमेंट कराएं। शरीर में किसी भी प्रकार के चकत्ते को अनदेखा न करें, वरना ये आपके साथ ही आपके बच्चे के लिए भी हानिकारक हो सकता है।
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मीजल्स का इलाज (Measles Treatment)
खसरे की समस्या में त्वचा पर मौजूद चकत्ते की जांच करके डॉक्टर मीजल्स के लक्षणों की पहचान कर सकते हैं। इनमें मुंह और गले पर सफेद धब्बे शामिल हैं। इसके अलावा मीजल्स की जांच के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट कराने की भी सलाह दे सकता है। खसरे के लक्षण दो या तीन हफ्ते में दिखने शुरू हो जाते हैं। इस समस्या में डॉक्टर इसके लक्षणों को कम करने और शरीर की इम्युनिटी को बनाए रखने के लिए दवाएं देते हैं।
मीजल्स के लक्षण (Symptoms of Measles)
- कान में दर्द और सूजन की समस्या होना
- स्किन पर लाल धब्बे या चकत्ते दिखना
- खांसी
- सूजी हुई आंखें
- छींक आना
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मीजल्स: इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
मीजल्स की समस्या हो जाने पर व्यक्ति को ब्रीथिंग यानी सांस लेने में परेशानी हो सकती है, साथ ही कमजोरी का एहसास भी हो सकता है, इसलिए बीमारी के दौरान पूर्ण रूप से आराम करना चाहिए। साथ ही पेशेंट को घर में अन्य सदस्यों से दूरी बनानी चाहिए, ताकि ये बीमारी किसी अन्य व्यक्ति को न हो। डॉक्टर को पेशेंट ने जो भी खानपान बताया हो, उसे ही लेना चाहिए। खसरा होने पर स्पाइसी फूड और बाहरी खाने से बचना चाहिए। डॉक्टर आपको बीमारी के दौरान विटामिन सी युक्त फलों को खाने की राय दे सकते हैं। आप चाहे तो फलों का जूस ले सकती हैं। खसरा या मीजल्स पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मुख्य कारणों में से एक हैं। ऐसे में इसके बारे में सही जानकारी होना बहुत जरूरी है। साथ ही इसके बारे में फैले मिथकों के बारे में भी जान लें।
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