हाइपोटोनिया एक प्रकार का मसल्स सिंड्रोम है, जो बर्थ के समय या फिर जन्म के कुछ समय बाद नजर आता है। इसे फ्लॉपी मसल्स सिंड्रोम (Floppy muscle syndrome) के नाम से भी जाना जाता है। अगर नवजात को हाइपोटोनिया (Hypotonia) की समस्या है, तो आपका शिशु जन्म के बाद अपने एल्बो या घुटने को ठीक तरह से मोड़ने में सक्षम नहीं होता है। इस समस्या को आसानी से पहचाना जा सकता है और ये मसल्स स्ट्रेंथ (Muscle strength) को प्रभावित करता है। साथ ही ये मोटर नर्व और ब्रेन पर भी बुरा असर डालता है। इस कारण बच्चे में फीडिंग के साथ ही मोटर स्किन संबंधी समस्याएं भी आ सकती है, जो उनकी ग्रोथ में रुकावट पैदा करती हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको हाइपोटोनिया (Hypotonia) से संबंधित अहम जानकारी देंगे और इससे संबंधित साइन और कारण भी बताएंगे।
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हाइपोटोनिया (Hypotonia) क्या है?
हाइपोटोनिया की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। ऐसे बच्चों को सावधानी के साथ पकड़ने की जरूरत होती है। बच्चों की गर्दन की मांसपेशियों पर बहुत कम या कोई नियंत्रण नहीं होता है, जिससे सिर फ्लॉप हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी समस्या होती है। शिशु के बढ़ने के साथ ही बीमारी के अधिक लक्षण दिखने लगते हैं। शिशुओं और बच्चों में हाइपोटोनिया होने पर निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं।
- सिर पर नियंत्रण नहीं होना।
- बच्चे के विकास में देरी होना।
- बच्चों के मोटर स्किल (Motor skills) में देरी होनी।
- मांसपेशियों की टोन में कमी
- ताकत में कमी
- खराब स्ट्रेंथ (Poor strength)
- लचीलापन
- स्पीच में दिक्कत होना (Speech difficulties)
- एक्टिविटी में दिक्कत होना
- बिगड़ा हुआ पॉश्चर
इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को चूसने और निगलने में मुश्किल हो सकती है और साथ ही शिशुओं और छोटे बच्चों के रोते समय आवाज भी बहुत धीमे होती है। अगर आपको बच्चे में उपरोक्त दिए गए लक्षणों में कोई भी लक्षण नजर आए, तो इस संबंध में डॉक्टर को जरूर बताएं। समय पर ट्रीटमेंट कराने से बच्चे में सुधार देखने को मिलता है और वो पहले से बेहतर महसूस करते हैं। अगर आपको बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है या फिर आप इस बीमारी के लक्षणों को लेकर अब भी कंफ्यूज हैं, तो डॉक्टर से इस बारे में अधिक जानकारी लें।
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हाइपोटोनिया (Hypotonia) किस कारण से होता है?
हाइपोटोनिया के ट्रिगर के रूप में नर्वस सिस्टम या फिर मस्कुलर सिस्टम शामिल है। कभी-कभी ये इंजरी, बीमारी या फिर इनहेरिट डिसऑर्डर के रूप में भी काम कर सकता है। कुछ बच्चे हाइपोटोनिया (Hypotonia) के साथ ही पैदा होते हैं और ये किसी कंडीशन से जुड़ा हुआ नहीं होता है। फिजिकल एक्सर्सायज़ या फिर स्पीच थेरेपी की हेल्प से बच्चों के मसल्स टोन बेहतर होता है और साथ ही डेवलपमेंट भी सहायता करता है। बिनाइन कंजेनिटल हायपोटोनिया (Benign congenital hypotonia) के कारण कुछ डेवलपमेंट में देरी हो जाती है या फिर लर्निंग डिसएबिलिटी (Learning disability) होती है। इन कंडीशंस में ब्रेन डैमेज (Brain damage), सेरेब्रल पल्सी (Cerebral palsy), मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (muscular dystrophy) आदि का सामना करना पड़ता है। डाउन सिंड्रोम और प्रेडर-विली सिंड्रोम वाले बच्चों में थेरिपी का बेहतर असर देखने को मिलता है।
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कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
हाइपोटोनिया (Hypotonia) के बारे में जन्म से ही जानकारी मिल जाती है। कुछ केसेज में बच्चों में इस कंडीशन के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। अगर आपको बच्चे के मूवमेंट किसी प्रकार विभिन्नता दिखे, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और बच्चे की जांच भी करानी चाहिए। रेगुलर अपॉइंटमेंट करके आप अपने डॉक्टर से बच्चे की हालत में हो रहे सुधार के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं। अगर डॉक्टर को जरूरी लगेगा, तो वो कुछ टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं, जिसमें ब्लड टेस्ट (Blood test) के साथ ही एमआरआई और सीटी स्कैन (CT scan) शामिल है। जरूरी नहीं है कि डॉक्टर सभी टेस्ट करें। जरूरत के अनुसार डॉक्टर जांच के दौरान जांच करते हैं। जांच से पहले या बाद में रखी जाने वाली सावधानी के बारे में आप डॉक्टर से पूछ सकते हैं।
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हाइपोटोनिया का ट्रीटमेंट (Hypotonia Treatment)
हाइपोटोनिया का ट्रीटमेंट इस बात पर निर्भर करता है कि आपका बच्चा किस तरह से या फिर बीमारी से कितना प्रभावित हुआ है। आपके बच्चे का सामान्य स्वास्थ्य बनाने के लिए कुछ थेरेपीज की मदद ली जा सकती है। डॉक्टर आपको फिजिकल थेरिपिस्ट (Physical therapist) की मदद लेने की सलाह दे सकते हैं। बच्चे की क्षमता के अनुसार ही बच्चों की समस्याओं को दूर किया जाता है। जैसे कि सीधे बैठना, चलना या खेलकूद में भाग लेना। कुछ केसेज में बच्चे के साथ कॉर्डिनेशन (Co-ordination with baby) और साथ ही अन्य मोटर स्किल को सुधारने का काम भी किया जाता है।
जिन बच्चों को ज्यादा समस्या होती है, उन्हें व्हीलचेयर की जरूरत भी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस बीमारी के कारण ज्वाइंट्स बहुत कमजोर या लूज हो जाते हैं और साथ ही ये अव्यवस्थित भी हो जाते हैं। ब्रेसिज (Braces) और कास्ट इन चोटों को रोकने और ठीक करने में मदद कर सकते हैं। आप इस बारे में डॉक्टर से भी अधिक जानकारी ले सकती हैं। बिना जानकारी के बच्चे को किसी भी तरह का ट्रीटमेंट न दें, वरना उससे समस्या भी हो सकती है।
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बच्चों के जन्म के बाद डॉक्टर बच्चों की जांच करते हैं और साथ ही ये भी देखते हैं कि बच्चा ठीक से मूवमेंट कर रहा है या फिर नहीं। इस बीमारी को जन्म के बाद ही डायग्नोज कर लिया जाता है। अगर बच्चे में हाइपोटोनिया की समस्या (Problem of hypotonia) है, तो डॉक्टर आपको इस बारे में जानकारी जरूर देंगे। आपको डॉक्टर की बताई गई बातों को मानना चाहिए और बच्चे का ट्रीटमेंट कराना चाहिए। अगर आपको फिर भी इस बीमारी को लेकर मन में प्रश्न है, तो आप डॉक्टर से इस बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हाइपोटोनिया (Hypotonia) के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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