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बच्चे के सुसाइड थॉट को अनदेखा न करें, इन बातों का रखें ध्यान

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे · आयुर्वेदा · Hello Swasthya


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/12/2021

    बच्चे के सुसाइड थॉट को अनदेखा न करें, इन बातों का रखें ध्यान

    निराशा कई बार बच्चों को इतना ज्यादा हताश कर देती है कि उनके मन में सुसाइड जैसे थॉट उत्पन होने लगते हैं। बच्चों के सुसाइड थॉट के ख्याल आने के कई कारण हो सकते हैं। जिसे वक्त रहते समझना बहुत जरूरी है। इस बारे में  मोटिवेशनल काउंसलर अरुण श्रीवास्‍तव बताते हैं कि परीक्षा में फेल हो जाने, प्रतियोगिता का दबाव और पारिवारिक संबंध अच्छे न रहने पर बच्चे तनाव के शिकार हाे जाते हैं और उसके बाद उनमें इस तरह के ख्याल आने लगते हैं। यह किसी भी माता-पिता के लिए बड़ी चिंता का विषय है। इस बारे में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Center for Disease and Prevention) के अनुसार दुर्घटनाओं और हत्या के बाद आत्महत्या 15 से 24 साल के किशोरों में मौत का तीसरा प्रमुख कारण है।

    जानें बच्चों के सुसाइड थॉट के बारे में

    बच्चे के सुसाइड थॉट के प्रयास के पीछे के कारण जटिल हो सकते हैं। हालांकि, बच्चों में आत्महत्या अपेक्षाकृत कम होती है। किशोरावस्था के दौरान आत्महत्या और आत्महत्या के प्रयासों की दर बहुत बढ़ जाती है। किशोरों में सुसाइड थॉट के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक इस प्रकार हैं :

    • किसी प्रकार का मनोवैज्ञानिक विकार, विशेष रूप से अवसाद, शराब और नशीली दवाओं का उपयोग आदि।
    • आत्महत्या से मरने वाले लोगों में से लगभग 95% लोगों में मृत्यु के समय एक मनोवैज्ञानिक विकार होता है।
    • किसी संकट का डर और चिड़चिड़ापन महसूस होना।
    • निराशा और गलत भावनाएं जो अक्सर अवसाद (depression) को न्योता देती हैं।
    • अवसाद या आत्महत्या का पारिवारिक पृष्ठभूमि।
    • भावनात्मक, शारीरिक या यौन शोषण
    • माता-पिता या साथियों के साथ खराब संबंध, और सामाजिक अलगाव की भावनाएं आना।

    किशोर को अकेले न छोड़ें

    अगर बच्‍चा कुछ दिन से गुमसुम है या अकेला रहना पसंद करने लगा है। अगर ऐसा है, तो सतर्क हो जाएं। बच्चे से आप प्यार से बात करें। उनकी उदासी और समस्या को समझने का प्रयास करें। हो सकता है, बच्चे किसी रिश्ते के खत्म होने से परेशान हों या बच्‍चे को किसी ऑनलाइन गेम की आदत लग गई हो। जिसके कारण वह अवसाद का शिकार हो रहा है। यह बच्चों के सुसाइड थॉट को बढ़ा सकता है।

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    पेरेंट्स बच्चों पर न थोपें अपनी इच्‍छाएं

    बच्‍चे को अगर कोई सबसे ज्‍यादा जानता और समझता है, तो वह पेरेंट्स ही हैं। उसे क्‍या अच्‍छा लगता है और क्‍या खराब, इसे आपसे बेहतर भला कौन समझ सकता है। इसके बावजूद अगर आप ही बिना उसकी इच्‍छा जानें, उस पर अपने मनमुताबिक चलने और पढ़ने का दबाव बनाते हैं, तो इसका मतलब यही होगा कि आपको उसकी खुशियों की चिंता बिल्‍कुल नहीं है। मन न लगने के कारण क्‍या वह उसमें अच्‍छा प्रदर्शन कर पाएगा? बेशक इस पर आप गुस्‍सा होंगे, लेकिन इससे क्‍या होगा? वह रुचि न होने से वह अच्छे से परफॉर्म नहीं कर पाएगा।

    बच्चों के सुसाइड थॉट को कम करने के लिए टीचर करें प्रोत्‍साहित

    किसी भी किशोर के भविष्य की डोर माता-पिता के बाद उनके शिक्षकों के हाथों में होती है। किशोर को सही रास्‍ता पर चलने और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने में टीचर की बहुत अहम भूमिका होती है। टीचर का नैतिक दायित्‍व भी होता है कि वह किशोर को नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाए। बच्‍चे में गलतियां निकालने और डांटने के बदले उन्हें समझाएं कि वे भविष्य में इस तरह की गलितयों को न  करें। ऐसा करना बच्चों के सुसाइड थॉट को जन्म दे सकता है।

    जानें किशोर के भीतर छिपा हुनर

    स्कूल या कॉलेज में असफल होने पर या कम अंक आने का यह मतलब कतई नहीं कि वे किसी काम के नहीं हैं। अगर आपके भी बच्चे के सुसाइड थॉट से परेशान हैं तो उनकी बातों को दिल से लगाने की बजाय उन्हें सुनें। वह क्या चाहते हैं, यह जानने की कोशिश करें। बच्चों को अपने भीतर के छिपे हुनर को जानने और तराशने पर ध्‍यान दें।

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    जब बच्चे आत्महत्या की धमकी दें, तो पेरेंट्स क्या करें?

    आजकल बच्चे छोटी-छोटी बातों को लेकर जल्दी स्ट्रेस में आ जाते हैं। नतीजतन, उनमें सुसाइड की प्रवृत्ति काफी बढ़ गई है। लेकिन, बच्चों में सुसाइड थॉट अचानक पैदा नहीं होते हैं। स्कूल में खराब परफॉरमेंस, जलन, किसी बाटी को लेकर चिंता आदि की वजह से यह समस्या बच्चों में बढ़ रही है। कई बार माता-पिता बच्चों के डिप्रेशन का अनुमान नहीं लगा पाते हैं। इसे रोकने के लिए जरूरी है कि उनकी कुछ बातों और आदतों पर निगरानी बनाए रखें।

    • अगर बच्चा बार-बार कुछ कर गुजरने या मरने की धमकी देने लगे या सुसाइड थॉट के बारे में बात करने लगे तो सावधान हो जाएं। इसका मतलब है कि उसके मन-मस्तिष्क में कुछ गलत करने की सोच आने लगी है। ऐसे में उसके पीछे का कारण जानें और उचित परामर्श दें।
    • आत्महत्या की सोच पनपने के बाद बच्चों में खेलकूद के प्रति रुझान कम हो जाता है। ऐसे में उनके निष्क्रिय होने के कारणों को खोजें। तनाव के क्षणों में बच्चे की मनोदशा अभिभावक ही बेहतर समझ सकते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चे को समझकर उसे सकारात्मक संरक्षण देें।
    • बच्चों के सुसाइड थॉट के बारे में पता लगाने के सबसे सही तरीका है कि पेरेंट्स देखें कि बच्चा अपना पसंदीदा सामान या खिलौने दोस्तों या अनजान लोगों में बांटने लगा है क्या? इसका कारण केवल उदारता नहीं है, यह भी हो सकता है वह चाहता हो कि उसके बाद उसकी प्रिय चीजें संभालकर रखी जाएं।
    • कम उम्र से ही जीवन-मृत्यु पर बच्चा अगर लिखने लगे तो माता-पिता को ध्यान देना चाहिए। यह असामान्य गतिविधि है। सुसाइड की खबरें चाव से पढ़ता है या ऐसी खबरों की कटिंग सहेजकर रखता है तो उनकी मनोस्थिति पर तत्काल ध्यान दें।
    • बच्चा तेज साइकिल या वाहन दौड़ाए, ग्रीन सिग्नल में सड़क पार करे तो सतर्क हो जाएं। इसका मतलब जीवन के प्रति उनकी उदासीनता भी हो सकती है जिसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।

      नींद न आने की समस्या या देर रात को उठकर चलने लगना इस बात का संकेत है कि वह किसी चीज की कमी महसूस कर रहा है। ऐसे में उसे समझें और हिम्मत दें।

    • इसके अलावा आप बच्चे की रुचि, पसंद-नापसंद, आदतों, गतिविधियों आदि पर नजर रखना शुरू करें। हफ्ते-दस दिन तक ऐसा करने से आपको पता चल जाएगा कि उसकी कौन-सी पसंद ऐसी है, जिसे वे जुनून की हद तक चाह सकते हैं।

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