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बच्चों में भी हो सकती है इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज, जानिए क्या रखें सावधानियां!

Written by डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


अपडेटेड 14/12/2021

    बच्चों में भी हो सकती है इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज, जानिए क्या रखें सावधानियां!

    बच्चों में पेट की बीमारी होने पर उसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि आखिर में बच्चे को क्या समस्या है? पेट में जलन होने पर बच्चों को पेट दर्द का एहसास होता है। बच्चों में इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease) गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal tract) में होने वाली सूजन के कारण होती है। बच्चों में मुख्य रूप से दो प्रकार की इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease)  होती है। पहली क्रोहन डिजीज (Crohn’s disease) और दूसरी अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis)।

    यह दोनों ही प्रकार अधिक गंभीर नहीं होते हैं, लेकिन दोनों प्रकार की बीमारियों में कई बार अंतर करना मुश्किल हो जाता है। पेट में दर्द या किसी प्रकार की समस्या होने पर जांच के माध्यम से बीमारी के बारे में पता चलता है। जानिए बच्चों में इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease) होना कितना कॉमन है और पेरेंट्स को इस सिचुएशन में क्या ध्यान रखने की जरूरत होती है?

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    बच्चों में इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज (Pediatric Inflammatory Bowel Disease)

    बच्चों में इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज (Pediatric Inflammatory Bowel Disease) कभी भी हो सकती है। आईबीडी की समस्या होने पर अक्सर बच्चों को यह बात समझ में नहीं आती है कि उनके पेट में दर्द की समस्या है या फिर ऐंठन की। क्रोहन डीजीज (Crohn’s disease) और अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) ,दोनों के ही बीच अंतर समझना मुश्किल होता है। क्रोहन डीजीज गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल पार्ट में कहीं भी हो सकती है। यह बीमारी मुंह से लेकर एनस के स्थान को प्रभावित कर सकती है यह इंटेस्टाइनल वॉल को मोटा करने का काम भी करती है।

    जबकि क्रोहन डिजीज (Crohn’s disease) के कारण बाउल के डीपर लेवल में सूजन की समस्या पैदा होती है। क्रोहन डिजीज के कारण पाचन तंत्र में सूजन, पेट में दर्द, गंभीर दस्त, थकान, वजन कम होना और कुपोषण की समस्या हो सकती है।

    बच्चों में इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज का कारण क्या है? (Causes of inflammatory bowel disease in children)

    किड्स में इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज (Pediatric Inflammatory Bowel Disease) किस कारण से होती है, इस बारे में एक राय नहीं है। हमारा शरीर बाहरी पैथोजंस से हमारी रक्षा करता है। इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज होने पर इम्यून सिस्टम शरीर को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। इस बीमारी को बढ़ाने के लिए कई ट्रिगर्स काम करते हैं। आपकी फैमिली में अगर किसी को इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज (Pediatric Inflammatory Bowel Disease) की समस्या है, तो बच्चों में इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। कुछ फूड्स, मेडिसिन या फिर जहरीले पदार्थ भी इस बीमारी को बढ़ाने का काम करते हैं।

    कई बार एंटीबायोटिक बच्चों में आईबीडी के खतरे को बढ़ाने का काम करती है। जब हमारे शरीर में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया की संख्या असंतुलित हो जाती है, तो भी बच्चों में इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज की संभावना बढ़ सकती है।

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    बच्चों में इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज के लक्षण (Pediatric IBD Symptoms)

    बच्चों में आईबीडी की समस्या होने पर दिखने वाले लक्षण आमतौर पर समझ में नहीं आते हैं। बच्चों को हल्के बुखार के साथ ही पेट में दर्द की समस्या होना, मल के साथ रक्त आना, थकान का एहसास होना, बच्चों में खून की कमी आदि इस रोग के मुख्य लक्षणों के रूप में सामने आते हैं। अगर बच्चों में यह लक्षण नजर आते हैं, तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बीमारी का इलाज ना कराने पर यह समस्या बनी रहती है और अन्य समस्याओं को भी जन्म दे सकती है। आपको इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

    क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

    अगर बच्चे में आईबीडी के लक्षण (Symptoms of IBD in Children) नजर आते हैं, तो ऐसे में बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर आपसे बच्चे की हेल्थ के बारे में पूछेंगे और साथ ही फैमिली हेल्थ के बारे में भी जानकारी लेंगे। डॉक्टर आपसे पूछ सकते हैं कि क्या बच्चा पहले से क्या कोई दवा या एंटीबायोटिक ले रहा है। डॉक्टर ब्लड टेस्ट (Blood test) के साथ ही स्टूल टेस्ट (Stool test), एक्स-रे (X-ray) और अन्य टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर मुख्य रूप से ब्लड टेस्ट और स्टूल टेस्ट करते हैं। डॉक्टर पेट की जांच भी करते हैं। पेट की जांच के लिए वह एंडोस्कोपी (Endoscopy) कराने की सलाह दे सकते हैं।

    एंडोस्कोपी (Endoscopy) में एक पतली ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें आगे की ओर एक कैमरा लगा होता है। कोलोनोस्कोपी में एनएस के आसपास बिल्डिंग या अल्सर आदि की जांच की जाती हैं। एंडोस्कोपी की जांच के दौरान डॉक्टर गले में एक ट्यूब डालते हैं, जो कि स्मॉल इंटेस्टाइन तक पहुंचती है। इस प्रोसीजर के दौरान वे कुछ टिशू सैंपल्स भी ले सकते हैं, जिसकी लैब में जांच की जाती है।

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    बच्चों में आईबीडी का ट्रीटमेंट (Treatment of IBD in children)

    बच्चों में आईबीडी का ट्रीटमेंट करने के लिए डॉक्टर कुछ मेडिसिन लेने की सलाह देते हैं। मेडिसिंस का सेवन करने से आंतों में आई सूजन में कमी होती है और साथ ही संक्रमण यानी कि इंफेक्शन से भी बचाव होता है। जिन बच्चों को आईबीडी की समस्या होती है, उन्हें सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। अगर मेडिसिन लेने के बाद भी बच्चों में पाए जाने वाले लक्षणों में कमी नहीं आती है, तो सर्जरी (Surgery) का सहारा लिया जा सकता है। बॉवेल में छेद होने के कारण, इंटेस्टाइन ब्लॉक होने के कारण, ब्लीडिंग ना रुकने के कारण भी सर्जरी की सलाह दी जा सकती है।

    आईबीडी की समस्या होने पर बच्चों को हेल्दी फूड्स (Healthy foods) के साथ ही तरल पदार्थों का अधिक सेवन कराने की सलाह दी जाती है। अगर आपको लग रहा है कि ऐसे में बच्चों को क्या खाना देना चाहिए, तो बेहतर होगा कि आप डायटिशियन से इस बारे में जानकारी लें। किसी फूड को खिलाने के बाद बच्चों में अगर लक्षण बढ़ गए हैं, तो ऐसे में आपको वो फूड बंद कर देना चाहिए। डॉक्टर बच्चे को दवाओं के साथ ही विटामिंस और मिनरल सप्लीमेंट्स की खुराक भी देंगे। डॉक्टर से जानकारी लें कि बच्चों को किन चीजों से परहेज करना चाहिए।

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    ये बातें ना भूलें

    अगर बच्चे को आईबीडी की समस्या हो गई है, तो उसका ट्रीटमेंट संभव है। आप डॉक्टर से बच्चे की जांच कराएं और डॉक्टर ने आपको जो भी सावधानियां बरतने की सलाह दी है, उस पर ध्यान दें। जिन बच्चों को आईबीडी समस्या हो जाती है, उन्हें कई समस्याओं जैसे कि डायरिया (Diarrhea), पेट में ऐंठन या पेट में दर्द की समस्या, थका हुआ महसूस करना, क्लास में ठीक प्रकार से ना बैठ पाना, बस में चढ़ने या फिर उतरने में समस्या महसूस होना या अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐसे में बच्चे का परेशान होना और स्कूल ना जा पाना मुख्य समस्या के रूप में सामने आता है।

    आपको बच्चे का ट्रीटमेंट कराने के साथ ही उसके स्कूल में भी इस बारे में बात करनी चाहिए। आप स्कूल में बच्चे की समस्या के बारे में बता सकते हैं ताकि जब भी बच्चों को समस्या हो, स्कूल में उसे हेल्प मिल सके। ऐसा करने से बच्चों को भी राहत महसूस होगी आप डॉक्टर से पूछिए कि पेट संबंधी इस बीमारी के दौरान किन अन्य बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है।

    इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों में इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज (Pediatric Inflammatory Bowel Disease) के बारे में जानकारी दी है। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

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