इम्यूनाइजेशन सबसे महत्वपूर्ण और विशेष रूप से बच्चों में संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी होता है। भारत में कंप्लीट इम्यूनाइजेशन कवरेज (Complete immunization coverage) 1980 के दशक में 20% कम होकर वर्तमान में लगभग 61% हो गया है, लेकिन अभी भी 1/3 से अधिक बच्चे अभी भी अन-इम्मूनाइज्ड हैं। बच्चों के लिए पेंटावैलेंट वैक्सीन, पांच जानलेवा बीमारियों- डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टिटनेस, हेपेटाइटिस बी और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (एचआईबी) जैसी डिजीज से बच्चों के बचाव के लिए उपयोगी हैं। पेंटावैलेंट वैक्सीन के उपयोग (Pentavalent Vaccine) से हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) और हिब वैक्सीन (Hib Vaccine) का कवरेज लेवल खुद से बढ़ जाता है। नियमित टीकाकरण प्रोग्राम्स में पेंटावैलेंट वैक्सीन (Pentavalent Vaccine) का उपयोग करके इन खतरनाक बीमारियों से बच्चों की सुरक्षा की जा सकती है। आइए, जानते हैं पेंटावैलेंट वैक्सीन (Pentavalent Vaccine) के बारे में विस्तार से।
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पेंटावैलेंट वैक्सीन (Pentavalent Vaccine Benefits) किन बीमारियों से बचाती है?
बच्चों के लिए पेंटावैलेंट वैक्सीन एक साथ पांच बीमारियों से बचाने वाली वैक्सीन कही जाती है। इन डिजीज में निम्न शामिल हैं।
- डिप्थीरिया (Diphtheria) – यह रोग सांस लेने में कठिनाई, पैरालिसिस और अनियंत्रित हृदय गति का कारण बन सकता है।
- पर्टुसिस (काली खांसी) – पर्टुसिस (Pertussis) को काली खांसी भी कहा जाता है। इस डिजीज में गंभीर खांसी की समस्या होती है। जिसके कारण बच्चा ठीक से खा नहीं पाता है और सांस लेने में कठिनाई होती है। काली खांसी शिशु के मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती है और मिर्गी का कारण बन सकती है। कुछ मामलों में, जटिलताओं के कारण बच्चे की मृत्यु हो सकती है।
- हेपेटायटिस बी (Hepatitis B) – हेपेटाइटिस बी एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो बच्चे को कभी भी हो सकता है। जैसा कि आप जानते होंगे कि यह संक्रामक रोग सीधे लिवर को नुकसान पहुंचाता है। इससे बच्चे को बुखार, थकान और जोड़ों में दर्द होता है।
- टिटनेस (Tetanus) – टिटनेस एक गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infection) है जो शरीर के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसमें शिशु को दर्दनाक मसल्स कॉन्ट्रैक्शन होता है, खासकर जबड़े की मांसपेशियों में जिसकी वजह से खाने को निगलने में कठिनाई होती है।
- निमोनिया (Pneumonia) – निमोनिया एक ऐसा इंफेक्शन है जो सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है। वायरल या बैक्टीरियल अटैक के कारण शिशु में यह संक्रमण (infection) हो सकता है।
पेंटावैलेंट वैक्सीन कब दी जाती है? (When is pentavalent vaccine given?)
इस वैक्सीन को बच्चों को डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी), हेपेटाइटिस बी, टेटनस, निमोनिया, मेनिंजाइटिस जैसी समस्याओं से बचाने के लिए बनाया गया है। यह टीका एक से साढ़े तीन महीने के शिशु को दिया जाता है। भारत में, शिशु को छह महीने से एक वर्ष की आयु के भीतर पेंटावैलेंट वैक्सीन का टीका लगाया जा सकता है। नेशनल इम्यूनाइजेशन शेड्यूल के अनुसार, पहली डोज छह सप्ताह की उम्र में दी जाती है, दूसरी डोज दस सप्ताह की उम्र में दी जाती है, और तीसरी डोज चौदह सप्ताह की उम्र में दी जाती है।
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पेंटावैलेंट वैक्सीन के क्या फायदे हैं? (Pentavalent Vaccine Benefits)
- हिब वैक्सीन (Hib vaccine) के जुड़ने से एक और घातक बीमारी से सुरक्षा मिलती है।
- पहले वर्ष के दौरान यूआईपी (UIP) के तहत लगने वाले इंजेक्शनों की संख्या नौ से घटकर छह हो गई है।
पेंटावैलेंट वैक्सीन का कम्पोजिशन (Pentavalent Vaccine Composition)
0.5ml की प्रत्येक डोज में निम्न कंपोनेंट शामिल हैं:
- डिप्थीरिया टॉक्साइड
- टिटनेस टॉक्साइड
- बी. पर्टुसिस
- एचबीएसएजी (आरडीएनए)
- प्यूरीफाइड कैप्सूल हिब पॉलीसेकेराइड (PRP)
पेंटावैलेंट वैक्सीन का स्टोरेज कैसे किया जाना चाहिए? (Storage of pentavalent vaccine)
- पेंटावैलेंट वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस के टेम्प्रेचर पर आइस-लाइंड रेफ्रिजरेटर (आईएलआर) की बास्केट में स्टोर किया जाना चाहिए।
- इसे कभी भी फ्रीज नहीं करना चाहिए क्योंकि ये वैक्सीन फ्रीज सेंसिटिव होती है।
- फ्रीजिंग से वैक्सीन को बचाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन के दौरान वातानुकूलित आइस पैक का उपयोग किया जाना चाहिए।
पेंटावैलेंट वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट्स हैं? (Pentavalent Vaccine Side effects)
आमतौर पर इस वैक्सीन का कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होता है। इस वैक्सीन के सामान्य दुष्प्रभावों में शामिल हैं ये लक्षण जो आमतौर पर वैक्सीन के अगले दिन दिखाई देते हैं और 1 से 3 दिनों तक रहते हैं।
- चिड़चिड़ापन
- भूख में कमी
- इंजेक्शन लगने वाली जगह पर खुजली
- बेचैनी
- इंजेक्शन वाली जगह पर गांठ का बनना
- इंजेक्शन वाली की जगह पर सूजन या लालिमा
- इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द
- हल्का बुखार
नोट: बुखार से ग्रसित बच्चे को गुनगुने स्पंज या बाथिंग से टेम्प्रेचर को डाउन किया जा सकता है। बुखार से पीड़ित बच्चों को अतिरिक्त तरल पदार्थ देने की जरूरत होती है।
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किन बच्चों को पेंटावैलेंट वैक्सीन नहीं दी जा सकती है? (Which children cannot be given pentavalent vaccine?)
निम्न कंडिशन में पेंटावैलेंट वैक्सीन बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए।
एलर्जिक रिएक्शन (Allergic reaction)
पेंटावैलेंट वैक्सीन का आमतौर पर कोई विशिष्ट दुष्प्रभाव नहीं होता है, लेकिन जिन बच्चों को पहली डोज के बाद सीरियस रिएक्शन का अनुभव होता है, उन्हें दूसरी डोज नहीं दी जाती है। इसके अलावा जिन बच्चों को टीकाकरण के बाद कोई समस्या नहीं होती है, उन्हें अगली डोज दी जाती है।
उम्र (Age)
यह टीका एक वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाता है। यह केवल एक से ढाई महीने के छोटे शिशुओं को दिया जाता है।
वैक्सीनेशन (Vaccination)
जिस बच्चे का वैक्सीनेशन शेड्यूल डीपीटी/हेपेटाइटिस बी के टीके के साथ शुरू किया गया है, उसे बाद में डीपीटी/हेपेटाइटिस बी की डोज मिलती रहेगी न कि पेंटावैलेंट वैक्सीन की।
बीमारी (Disease)
मॉडरेट या सीवियर एक्यूट इलनेस वाले बच्चों को उनकी स्थिति में सुधार होने तक पेंटावैलेंट वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि, छोटी बीमारियां, जैसे कि अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन्स (यूआरआई) में वैक्सीनेशन एक कॉंट्राइंडिकेशन नहीं हैं।
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भारत में इस वैक्सीन की कीमत क्या है? (Pentavalent Vaccine Cost in India)
भारत में पेंटावैलेंट वैक्सीन की कीमत लगभग 1,000 रुपए से लेकर 1,200 रुपए तक हो सकती है। हालांकि, भारत में कई ऐसे हॉस्पिटल्स हैं जहां पेंटावैलेंट वैक्सीन की कीमत थोड़ी कम या ज्यादा हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह टीका बच्चों को पांच बीमारियों से बचाने में मदद करता है। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में बच्चों को पेंटावैलेंट वैक्सीन फ्री में दी जाती है।
क्या ऐसे राज्य से आने वाले बच्चे को पेंटावैलेंट वैक्सीन दी जानी चाहिए, जिसने अभी तक अपने यूआईपी (UIP) शेड्यूल में पेंटावैलेंट वैक्सीन को शामिल नहीं किया है?
हां, पेंटावैलेंट वैक्सीन किसी भी बच्चे को दिया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी राज्य का हो, बशर्ते कि बच्चा 1 वर्ष से कम उम्र का हो और उसे अभी तक डीपीटी वैक्सीन की कोई डोज नहीं मिली हो।
क्या यूआईपी के तहत बूस्टर डोज रिकमंड की जाती है?
वर्तमान में यूआईपी के तहत पेंटावैलेंट वैक्सीन के लिए बूस्टर डोज की सिफारिश नहीं की जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हिब टीका कम से कम 15 वर्षों तक सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, डीपीटी (DPT ) के लिए बूस्टर की सिफारिश 16-24 महीने और 5-6 साल की उम्र में की जाती है।
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