आजकल कपल एक ही बच्चा चाहते हैं। इसका कारण आर्थिक स्थिति, बच्चों को संभालने में आनी वाली परेशानियां या अन्य कोई निजि कारण हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि जो बच्चा ओनली चाइल्ड होता है, तो वह बॉसी, सैल्फिश, एंटी सोशल होने के साथ ही अपनी चीजों को दूसरों से शेयर नहीं करता है। इसे ही ओनली चाइल्ड सिंड्रोम (Only Child Syndrome) कहा गया है। कई लोग इस बात को इत्तेफाक कहते हैं, तो कई इसे एक मिथ मानते हैं। ओनली चाइल्ड सिंड्रोम वाकई होता है या सिर्फ एक धारणा है? विस्तार से जानिए इस लेख में।
ओनली चाइल्ड सिंड्रोम (Only Child Syndrome)
आपने ओनली चाइल्ड से जुड़े स्टिरीयोटाइप्स के बारे में सुना होगा। यहां तक कि आपने भी कभी किसी सिंगल चाइल्ड (Single child) के लिए ऐसा सोचा होगा कि वह बच्चा ओनली चाइल्ड है इसलिए ऐसा बतार्व कर रहा है। ओनली चाइल्ड सिंड्रोम (Only Child Syndrome) हमेशा से नहीं रहा है। यह 1800 दशक के अंत तक अस्तित्व में नहीं आया था। 1900 में बाल मनोवैज्ञानिक जी. स्टेनली हॉल और ई. डब्ल्यू बोहानन ने कई अलग-अलग लक्षणों वाले बच्चों का अध्ययन और वर्गीकरण करने के लिए एक प्रश्नावली का उपयोग किया।
इसका निष्कर्ष यह निकला कि ऐसे बच्चे जिनके भाई बहन नहीं थे उनमें नेगेटिव बिहेवियर के लक्षणों की लंबी लिस्ट थी। यहां तक कि हॉल ने तो ये भी कह दिया था कि ओनली चाइल्ड एक बीमारी की तरह है। दोनों मनोवैज्ञानिकों का मानना था कि बच्चे अपने भाई बहनों के साथ बेहतर होते हैं। कुछ स्टडीज इन दोनों के विचारों का समर्धन करती हैं, लेकिन आम सहमति यह है कि इन मनोवैज्ञानिकों के अध्ययन साइंटिफिक नहीं थे और उनमें गलतियां थीं। जिसमें ओनली चाइल्ड सिंड्रोम (Only Child Syndrome) को एक मिथक बनाना शामिल है।
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ओनली चाइल्ड सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों की विशेषताएं क्या हैं? (Characteristics of children with Only Child Syndrome?)
मनोवैज्ञानिक हॉल ने बताया है कि ओनली चाइल्ड चीजों को बिगाड़ने वाले, रौब जमाने वाले, आत्मकेन्द्रित, असामाजिक और एडजस्ट ना करने वाले होते हैं। जो लोग इस सिद्धांत पर विश्वास रखते हैं उनका मानना है कि सिंगल चाइल्ड का ऐसा व्यवहार इसलिए होता है क्योंकि अकेले होने की वजह से उन्हें अपने पेरेंट्स से वो सबकुछ मिल जाता है जो वे चाहते हैं और उन्हे वह चीज किसी के साथ बांटनी भी नहीं पड़ती। इसलिए वे एक स्वार्थी व्यक्ति के रूप में विकसित होंगे।
इसके अलावा भाई-बहनों के साथ होने वाली बातचीत की कमी को अकेलापन और असामाजिक प्रवृत्तियों का कारण माना जाता है। कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि ये प्रभाव वयस्कता तक रहते हैं और इसकी वजह से ओनली चाइल्ड सिंड्रोम (Only Child Syndrome) से ग्रसित बच्चे ऑफिस में अपने सहकर्मियों से अच्छी तरह घुल मिल नहीं पाते। उनमें सोशल स्किल भी नहीं होतीं और वे आलोचना के प्रति बेहद सवंदेशनशील होते हैं।
हालांकि, कई लोग इस थ्योरी को निराधार मानते हैं। हाल ही में की कुछ रिसर्च से पता चला है कि एक अकेला बच्चा होने के नाते यह जरूरी नहीं है कि वह अपने दूसरे भाई बहनों और दोस्तों से अलग हो। इसके साथ ही भाई-बहन न होने के मतलब ये नहीं है कि अकेला बच्चा सेल्फ अब्ज़ॉर्ब्ड और एंटीसोशल हो।
ओनली चाइल्ड सिंड्रोम (Only child syndrome) के बारे में क्या कहती है रिसर्च
शोधकर्ताओं ने पिछले 100 वर्षों में केवल बच्चों पर कई अध्ययन किए हैं ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि यह स्टीरियोटाइप सच है या नहीं। दिलचस्प बात है कि परिणाम मिश्रित रहे हैं, लेकिन 1970 के दशक के बाद से, ऐसा लगता है कि शायद अधिकांश बाल अध्ययनों ने ‘ ओनली चाइल्ड सिंड्रोम’ के अस्तित्व को खारिज कर दिया है।
इसके अपवादों की भी बारीकी से जांच की गई। उदाहरण के लिए कनाडा के क्यूबेक (Quebec) के कम्युनिटी सैम्पल में ऐसा बताया गया कि एक अेकेले बच्चे में 6 से 11 साल की उम्र के बीच मेंटल डिसऑर्डर होने का रिस्क सबसे ज्यादा होता है, लेकिन कुछ सालों के बाद शोधकर्ताओं के और समूह ने कहा कि जब मेंटल हेल्थ की बात आती है तो सिबलिंग्स के साथ या सिबलिंग्स के बिना वाले बच्चों में कोई अंतर नहीं है।
जबकि यह सच है कि एक अकेला बच्चा अपने माता-पिता से अधिक अटेंशन प्राप्त करता है, लेकिन इससे वे हमेशा स्वार्थी और आत्म केंद्रित नहीं बन जाते। वहीं ओनली चाइल्ड का अपने पेरेंट्स के साथ एक मजबूत रिश्ता होता है।
इस मनोवैज्ञानिक ने की लंबी रिसर्च और निकला ये परिणाम
ऑस्टिन की मनोवैज्ञानिक टॉनी फैल्बो पिछले 40 से अधिक वर्षों से रिलेशनशिप पर अध्ययन कर रही हैं। उन्होंने ओनली चाइल्ड के डेवलपमेंट पर भी कई अध्ययन किए हैं। जिसमें उन्होंने पाया कि ओनली चाइल्ड को मिलने वाला अटेंशन पॉजिटिव भी हो सकता है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि बड़े परिवारों में एक अकेले बच्चे ने सिबिलिंग्स के साथ रहने वाले बच्चों से अधिक अचीव किया। अपनी दूसरी समीक्षाओं में उन्होंने एक अकेले बच्चों पर की गई 115 स्टडीज का विश्लेषण किया। जिसमें उनके अचीवमेंट, इंटेलीजेंस, एडजस्टमेंट, सोशिएबिलिटी, पेरेंट चाइल्ड रिलेशनशिप आदि की जांच की गई।
इन अध्ययनों के एग्जामिनेशन के आधार पर जब ओनली चाइल्ड और सिबिलिंग्स के साथ वाले चाइल्ड के बीच तुलना की गई तो ओनली चाइल्ड ने मल्टिपल चिल्ड्रन को पीछे छोड़ दिया। इन स्टडीज में ये भी बताया गया कि ओनली चाइल्ड के अपने पेरेंट्स से अच्छे संबंध थे। यह एक रोचक बात है कि मनोवैज्ञानिक फैल्बो खुद भी एक ओनली चाइल्ड हैं।
ओनली चाइल्ड सिंड्रोम के बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट? (What do experts say about Only Child Syndrome?)
कई मनोवैज्ञानिक इस बात पर सहमत है कि ओनली चाइल्ड सिंड्रोम (Only Child Syndrome) एक मिथ है। बता दें कि मनोवैज्ञानिक हॉल ने यह रिसर्च उस समय की थी जब ज्यादातर लोग रूरल एरिया में रहते थे। जिसके परिणामस्वरूप ओनली चाइल्ड अकेले रहते थे क्योंकि उनके पास बात करने के लिए लोग भी कम थे। इस अकेलेपन की वजह से उनमें असामाजिक व्यवहार, खराब सामाजिक कौशल और स्वार्थी जैसे लक्षणों में योगदान दिया।
आज के ओनली चिल्ड्रन शहरों और महानगरों में रहते हैं। उनके पास दूसरे बच्चों से बात करने उनके साथ खेलने, घूमने- फिरने के अनेकों अवसर हैं। फिर चाहे वह डे केयर हो, पार्क हो या गार्डन। स्कूल में, मैदानों में भी, खेलने के दौरान भी, सोशलाइज होने के कई अवसर मिलते हैं। यहां तक कि अब तो ऑनलाइन भी अवसर उपलब्ध हैं।
हर बच्चा होता है अलग
मनोवैज्ञानिक भी इस बात से सहमत हैं कि कई अलग-अलग कारक बच्चे के चरित्र को आकार देने में मदद करते हैं। और सच्चाई यह है कि कुछ बच्चे स्वाभाविक रूप से शर्मीले, डरपोक, अंतर्मुखी होते हैं और खुद में ही रखना पसंद करते हैं। वे हमेशा इसी तरह से होंगे चाहे उनके भाई-बहन हों या नहीं हों और ऐसा होना ठीक भी है। ऐसा लगता है कि जब भी एक अकेला बच्चा किसी भी प्रकार का नकारात्मक व्यवहार दिखाता है, तो अन्य लोग इसे ओनली चाइल्ड सिंड्रोम (Only Child Syndrome) से जोड़कर देखते हैं। ये नकारात्मक व्यवहार बड़े परिवारों के बच्चों में भी हो सकता है।
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उम्मीद करते हैं कि आपको ओनली चाइल्ड सिंड्रोम से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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