माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मालन्यूट्रीशन (MNM) किसी एक देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैली समस्या है। ये सभी एज के लोगों को प्रभावित करती है। इससे बच्चे और प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अधिक रिस्क में रहती हैं। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मालन्यूट्रीशन (MNM) के कारण हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मालन्यूट्रीशन के कारण किसी बच्चे या फिर वयस्क में आयरन, विटामिन ए और आयोडीन की कमी हो सकती है। इस लिए आज इस आर्टिकल में बच्चों के लिए फोर्टिफाइड फूड्स से जुड़ी जानकारी शेयर करेंगे। वैसे आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि पूरे विश्व में करीब 2 बिलियन लोग माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मालन्यूट्रीशन (MNM) से पीड़ित हैं क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में जरूरी विटामिन और मिनिरल्स नहीं मिल पाते हैं। बच्चों में इनकी कमी अधिक देखने को मिलती है। ऐसे में फोर्टिफाइड फूड्स का सेवन बच्चों को माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मालन्यूट्रीशन से बचाने का काम करता है। साल 1930 और 1940 के बीच खाने के साथ विटामिन और मिनरल इनटेक फोर्टिफाइड फूड्स को इंट्रोड्यूस किया गया था। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चों के लिए फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified Foods for Kids) के संबंध में जानकारी देंगे।
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बच्चों के लिए फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified Foods for Kids)
फोर्टिफाइड फूड से मतलब फूड में एड किए गए एक्स्ट्रा न्यूट्रिएंट्स से हैं, जो कि इस फूड में प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता है। फोर्टिफाइड फूड का सेवन करने से न्यूट्रीशन में इम्प्रूवमेंट होता है और साथ ही स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी मिलते हैं। हम सभी जानते हैं कि मिल्क में कैल्शियम होता है लेकिन बाजार में आपको कैल्शियम के साथ ही विटामिन डी युक्त दूध भी मिल जाएगा, जिसे फोर्टिफाइड मिल्क के नाम से जाना जाता है। वहीं फलों के जूस में कैल्शियम (Calcium) को एड कर फोर्टिफाइड जूस भी तैयार किया जाता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified foods) के अंदर अप्राकृतिक रूप से न्यूट्रिएंट्स की मात्रा को बढ़ाया जाता है ताकि शरीर को एक ही समय में ज्यादा पोषण मिल सके।
जब आप तक कोई भी अनाज पहुंचता है, तो प्रोसेसिंग के दौरान उसमें कुछ न्यूट्रिएंट्स लॉस हो जाते हैं। इनरिच्ड फूड्स से मतलब होता है कि आपके फूड में प्रोसेसिंग के दौरान न्यूट्रिएंट्स को एड किया गया हो। उदाहरण के तौर पर वीट फ्लोर में फोलिक एसिड, राइबोफ्लेविन और आयरन (Riboflavin and iron) को एड किया जाता है। ऐसा करने से पोषक तत्व खाने में बने रहते हैं। जिन बच्चों में पोषण की कमी होती है, ऐसे बच्चों के लिए फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified Foods for Kids) लाभदायक होते हैं और शरीर में पोषण की कमी को पूरा करते हैं। फोर्टिफाइड फूड्स में विटामिन ए, राइबोफ्लेविन ,थियामिन, नियासिन, विटामिन बी6, विटामिन बी12, विटामिन डी, फोलिक एसिड, जिंक, आयरन और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
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बच्चों के लिए फोर्टिफाइड फूड्स : क्या इनका सेवन पहुंचाता है लाभ?
फोर्टिफिकेशन की प्रोसेस के दौरान प्रोसेस्ड फूड्स में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का एडिशन किया जाता है। कई स्थितियों में फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified foods) में ये प्रोसेस काफी तेजी से बदलाव लाने में मदद करती है। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (Micronutrients) से भरपूर फोर्टफाइड फूड्स को उचित कीमतों में खरीदा जा सकता है। फोर्फिफाइड फूड्स मूल तत्व के पोषक तत्वों में किसी प्रकार की कमी नहीं होने देते हैं। अगर ये कहा जाए कि बच्चों के लिए फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified Foods for Kids)की मदद से माइक्रोन्यूट्रीएंट्स मालन्यूट्रीशन की समस्या को दूर किया जा सकता है, तो ये गलत नहीं होगा। फोर्टिफाइज फूड्स का चलन विदेशों जैसे कि यूनाटेड स्टेट में अधिक है।
बच्चों में पोषण की कमी के कारण होने वाले रोग जैसे कि रीकेट्स (rickets),पेलाग्रा (pellagra) आदि रोगों से इस फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified foods) की मदद से समाप्त किया गया है। फोर्टिफाइड फूड्स का सेवन बच्चों को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है इसलिए इसका सेवन लाभदायक साबित होता है। हम सभी जानते हैं कि किसी भी चीज की अति हानिकारक होती है। फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified foods) के साथ ही ऐसा ही है। अगर फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified foods) का सेवन अधिक किया जाता है, तो बच्चों में जरूरत से ज्यादा मिनिरल्स या फिर विटामिन पहुंच सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। अगल ये कहा जाए कि फोर्टफाइड फूड्स और न्यूट्रिएंट रिच डायट हेल्दी लाइफ का पार्ट हो सकते हैं लेकिन ये आपको हमेशा फायदा ही पहुंचाएंगे, ये जरूरी नहीं है।
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फोर्टिफाइड फूड्स क्या बच्चों को पहुंचा सकते हैं नुकसान?
बच्चों के लिए फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified Foods for Kids) हानिकारक भी हो सकते हैं। इनवायरमेंटल वर्किंग ग्रुप (ईवीजी) के अनुसार फोर्टिफाइड फूड्स में विटामिन का लेवल बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं होता है। दो से आठ साल के बच्चे अगर फोर्टिफाइड फूड्स का सेवन करते हैं, तो उन्हें जरूरत से ज्यादा जिंक, अधिक मात्रा में विटामिन ए की मात्रा मिल सकती है। विटामिन और मिनिरल्स का ये ओवरडोज बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। फार्टिफाइड या फिर इनरिच्ड फूड्स सभी बच्चों के लिए सुरक्षित हो, ये बिल्कुल जरूरी नहीं है। ईवीजी के अनुसार बच्चों को वयस्कों के मुकाबले 20 से 25 प्रतिशत ही विटामिन ए (Vitamin A), नियासिन और जिंक (Zinc) आदि का सेवन करना चाहिए। आप ये जानकारी होनी चाहिए कि बच्चे को एक दिन में कितना पोषण देना है और उसी के अनुसार आपको बच्चे की डायट का निर्धारण करना चाहिए।
अधिक विटामिन ए की मात्रा लेने से लिवर डैमेज, स्किन में पीलापन, बालों का झड़ना, बोंस एब्नॉर्मलटी आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं विटामिन ए की अधिक मात्रा के सेवन करें, तो विटामिन ए की अधिकता से फीटस में असामान्यता पैदा हो सकती है। बच्चों को अगर आप विटामिन ए (Vitamin A) देना है तो आप उन्हें गाजर (Carrot) या पंपकिन खिला सकती हैं। अगर बच्चा स्वस्थ्य है, तो फोर्टिफाइड फूड्स की बजाय बच्चों को फ्रूट्स, वेजीटेबल्स, सीरियल्स, दालें आदि का सेवन करने के लिए प्रेरित करें। अगर आपको फिर फिर बच्चों के लिए फोर्टिफाइड फूड्स से संबंधित जानकारी चाहिए, तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से जरूर पूछें।
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जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि जो बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं, उनके लिए फोर्टिफाइजड फूड्स लाभदायक होते हैं। जो बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं और उन्हें अधिक मात्रा में फोर्टिफाइड फूड्स दिया जाए, तो विटामिन या मिनिरल्स की अधिक मात्रा नुकसान पहुंचाने का काम भी कर सकती है। आपको इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों के लिए फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified Foods for Kids) के संबंध में जानकारी दी है। बच्चों के लिए फूड्स का चुनाव करते समय आपको अधिक सावधानी रखने की जरूरत है। बच्चों के लिए फोर्टिफाइड (Fortified Foods for Kids) फूड्स का चयन करने से पहले आपको डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए। कई बार बिना परामर्श के लंबे समय तक बच्चों को फोर्टिफाइड फूड्स देने पर उनके शरीर में किसी मिनरल्स या फिर विटामिन की अधिकता हो सकती है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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