डॉ. सुभद्रा मेरी एक कॉलेज प्रोफेसर थीं, एक दिन लंच में हम सब साथ बैठे थे, और ‘सोसियो साइकोलॉजी’ पर बात हो रही थी। अचानक बात में मोड़ आ जाता है, और बच्चों को सेक्स के बारे में बताना चाहिए या नहीं, बताएं तो कब जैसे मुद्दों पर बहस होने लगी, जिसे बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना भी कहा जाता है। दरअसल, इस बीच हमारी प्रोफेसर ने अपने बच्चे के बारे में एक बात बताई जो बीती रात घटी थी ‘मॉम, सेक्स क्या जरूरी है? जन्म देने के लिए?’ यह सवाल प्रोफेसर के बेटे (12 वर्ष) ने उनसे पूछा था। जाहिर है, इस तरह अचानक से आए सवाल से प्रोफेसर घबरा गईं, लेकिन उन्होंने सूझ-बूझ का रास्ता अपनाया।