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बच्चों के विकास के लिए परिवार और कम्युनिटी क्यों है जरूरी?

बच्चों के विकास के लिए परिवार और कम्युनिटी क्यों है जरूरी?

भले ही आज समय बदल गया हो लेकिन, बच्चों के लिए परिवार का महत्व (Importance of family to children) आज भी वही है जो पहले हुआ करता था। बच्चों के अंदर अच्छे मैनर्स और रिश्तों की समझ परिवार में रहकर के ही विकसित हो सकती है। लेकिन, एक सच ये भी है कि बच्चे के विकास में परिवार के साथ और आस-पास के लोगों का भी बहुत योगदान रहता है। यह कहावत एकदम सही है। बच्चे के जन्म के बाद आपके घरों में भले ही किलकारियां गूंजी हो। खुशियों की लहर पूरे गांव और रिश्तेदार के बीच होती है।  पेरेंट्स बच्चों के पहले टीचर होते हैं। वहीं, समाज उनकी दूसरी पाठशाला माना जाता है।

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बच्चों के लिए परिवार क्यों है जरूरी? Why is family important for children?

एक शोध से पता चलता है कि बच्चे के मानसिक विकास में उसका सक्रिय शारीरिक और मनो-भावनात्मक (Psycho-emotional) होना बहुत आवश्यक होता है। शोध में यह भी पता चला कि बच्चे जान पहचान और अपने करीबी लोगों पर जल्दी विश्वास करते हैं। इन संबंधों से उन्हें प्यार, संरक्षण, सुरक्षा, उत्तरदायित्व और प्रोत्साहन मिलता है। रिश्ते के साथ बच्चे का पहला अनुभव माता-पिता और उसका परिवार व घर होता है।

  • परिवार और समुदाय की भागीदारी स्कूलों, परिवार और सामुदायिक समूहों और व्यक्तियों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देती है।
  • शोध से पता चलता है कि जिन छात्रों के माता-पिता उनकी शिक्षा में शामिल होते हैं, उनमें इसकी संभावना अधिक होती है।
  • अगर बच्चा स्कूल में है तो वहां इन्हें अच्छी तरह से अपनाएं :

सभी बच्चों को सीखने को बढ़ावा देने के लिए स्कूल, पेरेंट्स, परिवार और समुदाय को मिलकर काम करना चाहिए। जब स्कूल सक्रिय रूप से माता-पिता और सामुदायिक संसाधनों को शामिल करते हैं तो वे छात्रों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं के लिए अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने में सक्षम होते हैं। परिवार और समुदाय की भागीदारी स्कूलों, परिवार और सामुदायिक समूहों और व्यक्तियों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देती है। इन साझेदारियों के परिणामस्वरूप संसाधनों को साझा और अधिकतम किया जाता है। और वे बच्चों और युवाओं को स्वस्थ व्यवहार विकसित करने और स्वस्थ परिवारों को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

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शोध से पता चलता है कि जिन छात्रों के माता-पिता उनकी शिक्षा में शामिल होते हैं, उनमें इसकी संभावना अधिक होती है:

  • बच्चों को बड़ा करने में परिवार और समुदाय (समाज) का योगदान किस प्रकार होता है ? इसमें कोई दो राय नहीं कि जो परिवार बड़े होते हैं वहां बच्चे को बहुत प्यार और दुलार मिलता है। यही स्नेह और प्यार हमारे बच्चे के भीतर सुरक्षित होने की भावना को बढ़ाता है। इससे बच्चों में दुनिया को देखने और जानने की उत्सुकता बढ़ी रहती है।
  • एक परिवार में बच्चे की जन्म के बाद उसका परिवार में एक अलग ही स्थान बन जाता है। उसे केवल परिवार के सदस्य का हिस्सा नहीं समझा जाता। बल्कि, घर के सभी सदस्य उसका दिलो-जान से खास ध्यान रखते हैं। इस तरह बच्चा विभिन्न व्यक्तियों के साथ रहता है, और सबका दुलारा बनता है। इतने व्यक्तियों के सम्पर्क में रहने से जाहिर है बच्चों पर सबका कुछ-न-कुछ प्रभाव पड़ता है।
  • बच्चा परिवार और समाज में रह कर ही चीजों को देखना, उसे परखना और नई चीजों को सीखता है। समुदाय में रहकर ही उसे नयी बातें सीखने के अवसर मिलते हैं।
  • अपने परिवार व लोगों को विभिन्न कार्यों में लगा देख उसे भी धीरे-धीरे अपने कामों को समझने का ललक जगता। इतना ही नहीं, अपनी उम्र  के मुताबिक जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, जिम्मेदारी भी उठाना सीखता है।
  • बड़े परिवार में हर उम्र के लोग होते हैं। चूंकि बच्चा हर समय देखता और सीखता रहता है,इसलिए हर उम्र के लोगों के साथ रहना उसके लिए फायदेमंद होता है। उसे परिवार में तरह तरह के लोगों से मिलने,खेलने तथा सीखने के अवसर मिलते हैं।
  • बच्चा परिवार और समुदाय नहीं बल्कि हर समय और हर जगह सीखता रहता है। इसलिए उसे सिखाने या समझाने का कोई खास समय या स्थान नहीं बनाना चाहिए।

बच्चों के लिए परिवार का महत्व कैसे समझा जा सकता है? (Importance of family to children)

बच्चों के लिए परिवार उनके शारीरिक विकास के साथ-साथ उनके मानसिक और सामाजिक विकास के लिए काफी अहम भूमिका निभाते हैं। हालांकि, इन सबके अलावा, बच्चों के लिए परिवार आर्थिक विकास के लिए काफी जरूरी हो सकता है। परिवार न सिर्फ बच्चे के स्किल्स को समझने में मदद कर सकते हैं, बल्कि उसे बेहतर बनाने के लिए आर्थिक सहयोग भी दे सकते हैं। जो बच्चे के मनोबल को बढ़ाने में भी काफी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

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सही और गलत के अंतर को समझाने में मदद कर सकते हैं

बच्चों के लिए परिवार एक तरह से उसका साया बन जाता है। जो बच्चे के हर सुख-दुख में हमेशा उसके साथ रहते हैं। उम्र के कई पड़ावों पर बच्चे अलग-अलग सामाजिक गतिविधियों और व्यक्तियों से होकर गुजरते हैं। ऐसे में अपने अनुभव के अनुसार एक परिवार अपने बच्चे को सही और गलत के बीच के फर्क को समझने में मदद कर सकता है।

बच्चों के लिए परिवार

बच्चों के लिए परिवार गलत संगत से बाहर लाने में मददगार हो सकता है

उम्र और अपने-अपने अनुभव के अनुसार ही लोगों को अच्छी और बुरी संगत के बीच का अंतर और उन्हें पहचानने का फर्क समझ आता है। किसी बच्चे के अच्छे सामाजिक विकास में न सिर्फ उसका परिवार एक अहम हिस्सा होता है, बल्कि उसके आस-पास के रहने वाले लोग, पड़ोसी, शिक्षक और दोस्तों का भी इसमें काफी अहम योगदान होता है। अगर बच्चे के आस-पास का संगत गलत हो जाए, तो बच्चे में बुराईयां घर कर सकती हैं, जैसे- चोरी करना, झूठ बोलना, गाली देना, अपने से बड़ों या छोटों का अपमान करना, किसी की बात न मानना, हर बात पर जिद्द करना आदि। जिनसे बच्चे को बचाएं रखने के लिए एक परिवार और करीबी लोग ही बच्चे की मदद कर सकते हैं।

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अगर बच्चे में कोई बुरी आदत आ जाए, तो उसे कैसे सुधारें?

निम्न टिप्स इससे बचने में आपकी मदद कर सकते हैं।

झूठ बोलने की आदत

अगर बच्चा झूठ बोलना शुरू कर दे, तो यह हर पेरेंट्स की सबसे बड़ा सिर दर्द बन सकता है। ऐसी स्थिति में एक बात का ध्यान रखें कि, बच्चा आपसे तभी झूठ बोल सकता है, जब वह आपसे सच कहने में डर रहा हो, या बच्चे को कोई बात आपसे छुपानी हो, या बच्चे ने अपनी नजर में कुछ गलत किया हो जिसकी सच्चाई जानने के बाद आप बच्चे को किसी तरह की सजा दे सकते हैं। अगर आपका बच्चा झूठ बोलना शुरू करता है, तो सबसे पहले उसके झूठ बोलने का कारण पता करें। जब आपको उसका कारण पता चल जाए, तो बच्चे से इस बारे में जरूर बात करें और उसे डांटे, मारे या धमकाएं नहीं। बल्कि, प्यार से उसे समझाएं कि इस तरह उसका झूठ बोलना गलत है।

साथ ही, बच्चे को बताएं कि अगर भविष्य में ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न हो जिसके बारे में बच्चा आपसे बात करने से डरे, तो परिवार वालों से बात करने की बजाय वो किसी अन्य करीबी घर के सदस्य या अच्छे दोस्त के माता-पिता से भी इसके बारे में बात कर सकता है ताकि वे बच्चे को एक अच्छी सलाह दे सकें।

चोरी करने की आदत

छोटी उम्र में बच्चे अक्सर चोरी करना आसानी से सीख जाते हैं क्योंकि उन्हें तरह-तरह की बाहर की चीजें खानी और खरीदनी होती है। कई बार स्कूल के दोस्तों के पास ऐसी वस्तु हो सकती है, जिसकी चाह वे भी रख सकते हैं। हो सकता है, कि उस बारे में आपका बच्चा आपसे बात भी करे लेकिन आप अपनी किसी खास वजह से उस चीज के खरीदने से मना भी कर दें। ऐसी ही कुछ तरह की स्थितियों में बच्चा चोरी करना सीख सकता है। जो एक तरह से उसके दोस्तों के सामने आत्मसम्मान और दिखावे की भावना से भी जुड़ी हो सकती है।

अगर आपका बच्चा ऐसी कोई हरकत करता है, तो उसे मारने या डांटने की बजाय आप उसे वह वजह बता सकते हैं, जिसकी वजह से आपने उस वस्तु को खरीदने से मना कर दिया था। साथ ही, अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में भी थोड़ी बहुत जानकारी अपने बच्चे को दें। इसके अलावा, अपने बच्चे को समझाएं कि, उसके उम्र और सीखने की उम्र के लिहाज से उस किस तरह की वस्तुओं से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

22/07/2021

Nikhil Kumar द्वारा लिखित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे

Updated by: Nidhi Sinha


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Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/07/2021

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