आजकल सोशल मीडिया का ट्रेंड (Social media trends) इतना ज्यादा बढ़ गया है कि बड़े से लेकर बच्चे तक इससे प्रभावित हैं। स्कूल में पढ़ने वाले छोटे बच्चों तक की प्रोफाइल भी आपको सोशल मीडिया पर अपडेट मिलेगी। कई बार यदि पेरेंट्स ध्यान न दें तो स्कूल से आने के बाद बच्चे पूरा दिन मोबाइल पर लगे रहते हैं। जिसका बुरा प्रभाव उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है। इसलिए बच्चों में सोशल मीडिया (Social media) इस्तेमाल से पहले उन्हें इसकी गाइड लाइन समझानी चाहिए। इस बारे में शेमरॉक स्कूल की संस्थापक निदेशक मीनल अरोड़ा कहती हैं कि पेरेंट्स को अपने बच्चों को यह समझाना चाहिए कि सोशल मीडिया वेबसाइइट्स पर मिलने वाले कमेंट्स अथवा लाइक्स से कोई फर्क नहीं पड़ता, असली जिंदगी में उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत ही उन्हें भविष्य में कामयाबी अथवा नाकामी की राह पर ले जाती है।
कई स्टडी में यह बात सामने आ चुकी है कि सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों में एंग्जायटी (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) के लक्षण दिखाई देते हैं। वहीं कई रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि सोशल मीडिया से बच्चों के खाने पीने और व्यवहार में गड़बड़ी देखने को मिली है। रिसर्च के अनुसार, जितना ज्यादा समय बच्चों में सोशल मीडिया अकाउंट पर बिताता है उतनी ही ज्यादा उसकी सोच, व्यवहार और खाने पीने में गड़बड़ियां नजर आती हैं।
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बहुत सारे बच्चे सोशल मीडिया पर कई चीजों को देख माता पिता से उनकी जिद करने लगते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सोशल मीडिया से बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव पड़ते हैं। कई अध्ययनों के निष्कर्ष के अनुसार, सोशल मीडिया बच्चों के मन में नाखुशी की भावना लाता है।
हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में जानेंगे, निर्देश जो आपके अपने बच्चों के सोशल मीडिया यूजेस के लिए बतानी चाहिए। जैसे –
- बच्चों को नींद पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करना (Sleep is very important)
- बच्चों को सोशल मीडिया का उचित इस्तेमाल बताएं
- जानकारी गुप्त रखना सिखाएं (Teach to keep information secret)
- मोबाइल के हार्मफुल प्रभावों के बारे में बताएं
- सोशल मीडिया की दायरों के अंदर रह कर सोशल साइट्स फॉलो करना सिखाएं
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1.बच्चों को नींद पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करना
बच्चों को सोने, खेलने, होम वर्क (Home work) और ट्यूशन (Tutation), सब की समय निर्धारित कर लें। बच्चों में यह आदत डालना जरूर चाहिए कि वह अपने सभी कामों को समय पर पूरा कर ले। इन सब से फ्री होने के बाद बचे हुए टाइम में बच्चों को सोशल मीडिया अपनी निगरानी में खेलने दें।
एक शोध से पाया गया कि, 12 से 15 साल के प्रत्येक तीन में से एक-से-दो बच्चों की नींद (Sleep) हफ्ते में एक बार जरूर खराब होती है, और इसका कारण सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा उपयोग है। शोध के परिणाम से यह पता चलता है कि, बच्चों की इस नींद टूटने की वजह सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल है। कार्डिफ यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने शोध के दौरान पाया कि हर पांच बच्चों में से एक से अधिक बच्चों ने रात में भी उठ कर सोशल मीडिया फॉलो किया। जिसके कारण उनमें अगले दिन थकान (Fatigue) हावी रही।
2.बच्चों को सोशल मीडिया से अधिक सोशल होने की वैल्यू बताएं
बच्चों को सोशल मीडिया के गाइड हेतु यह बताना चाहिए कि, कैसे इन साइट्स ने सोशल की जगह अन-सोशल कर दिया है। वास्तविक दुनिया से जुड़ने और सोशली लोगों और रिश्तेदार (Relatives) दूरियों के शिकार हो रहे हैं।
बच्चों को सोशल मीडिया से जुड़े तथ्यों के बारे में बताना चाहिए, ताकि वह इसके दुष्प्रभाव और जरूरत को समझ सकें। पड़ोसी देश चीन के अलावा भी कई देश हैं जहां फेसबुक (Facebook) और वॉहट्स एप्प (Whatsapp) को प्रतिबंधित किया गया है। इन देशों में इन सोशल साइट्स को वहां की सरकार कंट्रोल करती है।
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3.जानकारी गुप्त रखना सिखाएं (Teach to keep information secret)
सोशल मीडिया पर डेटा चुराने वालों से बच पाना बहुत मुश्किल है। बच्चों को वीपीएन (Virtual Private Network) को इनस्टॉल करना आज के जमाने में कितनी महत्वपूर्ण है, इससे अवगत कराएं। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क से आपकी जानकारी सुरक्षित और निजी रहती है और इसे आसानी से इसे हैक कर पाना बहुत मुश्किल होता है। मार्केट में कई तरह के वीपीएन उपलब्ध हैं, आप अपनी और बच्चों की जरूरत के अनुसार वीपीएन को चयन इंस्टाल कर लें।
4.मोबाइल के बुरे प्रभावों के बारे में बताएं (Explain the bad effects of mobile)
मोबाइल से निकलने वाली तरंगो के खतरे के बारे में और इनसे पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बच्चों को जरूर बताएं। उन्हें सोशल मीडिया और इंटरनेट पर उपलब्ध बेनिफिट्स के बारे में जागरूक करें। बच्चों का इन मीडिया का सीमित उपयोग ही सराहें। बच्चो को बताना चाहिए कि किस तरह से इन सोशल साइट्स का यूज एक हद तक ही ठीक है।
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5.दायरों के अंदर रह कर सोशल साइट्स फॉलो करना सिखाना
बच्चों को यह निर्देश देते रहें कि इन सोशल साइट्स पर एकदम से अजनबी से नहीं जुड़े। निजी सूचनाओं जैसे फोटो, घर का पता, मोबाइल आदि का विवरण इन जगहों पर न दे। उन्हें बताना चाहिए कि, वे इन साइट्स का प्रयोग केवल नए लोगों से जुड़ने हेतु न करें।
पेरेंट्स होने के नाते आपको इन पर नजर रखना चाहिए कि, बच्चे सोशल मीडिया को किस तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। बच्चों के लिए इन चीजों के लिए भी एक निश्चित समय बना दें। उनके यूसेज टाइम को सीमित करने और सोशल मीडिया पर उनकी गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है।
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हमने उपरोक्त बताया कि सोशल मीडिया से बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव होते हैं। इसलिए हम यह नहीं कह रहे कि बच्चों को सोशल मीडिया से बिल्कुल दूर करें। लेकिन इसकी बजाय उन्हें इसका इस्तेमाल करते वक्त जरूरी बातों को ध्यान रखने के बारे में बताएं। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में बच्चों में सोशल मीडिया (Social media in kids) से पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों से कैसे बचाया जाए इसकी जानकारी दी गई है। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो आप अपना सवाल कमेंट कर पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके सवालों का जवाब दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और बच्चों में सोशल मीडिया (Use of social media in kids) के प्रभाव से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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