साइकोसोशल डेवलपमेंट के स्टेजेस (Psychosocial development stages) की यह वह स्टेज है जब आपका बच्चा अपनी स्वतंत्रता का दावा करना शुरू करता है। उन्हें एहसास होता है कि वे कुछ चीजें खुद कर सकते हैं – और वे उन चीजों पर जोर देते हैं। वे अपनी दुनिया को एक्सप्लोर कर रहे होते हैं। वे अपने लिए कपड़े, फूड और खिलौने खुद चुनना चाहते हैं। भले ही वह उनके लिए उपयुक्त ना हो। वे अपनी ही पसंद के कपड़े पहने की जिद करते हैं तो कभी अपनी पसंद का खाना खाने की। यानी कि वे स्वायत्तता का अनुभव करना चाहते हैं।
इस स्टेज पर बच्चा टॉयलेट ट्रेनिंग के लिए भी तैयार हो जाता है। अपने बॉडी फंक्शन को कंट्रोल करना सीखना उन्हें स्वंतत्रता या स्वायत्तता की भावना देता है। जो बच्चे इस स्टेज पर खुशी-खुशी आते हैं वे अपनी क्षमताओं में सुरक्षित महसूस करेंगे। एरिकसन के अनुसार जिन बच्चों को मुखर होने का मौका नहीं दिया जाता है, जिन्हें कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है वे शर्म,आत्म संदेह की भावनाओं से जूझेंगे।
और पढ़ें: स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए ये वैक्सीन हैं जरूरी, बचा सकती हैं जानलेवा बीमारियों से!
स्टेज 3 : पहल बनाम दोषिता (Initiative vs. guilt)
3 से 5 साल
साइकोसोशल डेवलपमेंट के स्टेजेस (Psychosocial development stages) में तीसरी स्टेज है पहल बनाम दोष।इस स्टेज में बच्चे प्रीस्कूलर हो चुके होते हैं। वे दूसरों के साथ इंटरेक्ट करते हैं, खेलते हैं। वे सीखते हैं कि वे पहल कर सकते हैं और पहल के बाद परिणाम को भी कंट्रोल कर सकते हैं। इस समय आपको बच्चे को प्लानिंग, लक्ष्यों को प्राप्त करने और जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उन्हें दूसरों से इंटरैक्ट करने के ज्यादा अवसर मिल सकें। उन्हें अपनी दुनिया को एक्सप्लोर करने दें। उन्हें दूसरों से चॉकलेट लेने दें उनके साथ बातचीत करनें दें और खुद भी उनके साथ खेलें। दूसरे साथ खेलने घुलने मिलने से उनमें आत्मविश्वास की भावना बढ़ती है।
वहीं अगर पेरेंट्स बच्चों को डिसीजन लेते वक्त उनको कंट्रोल करते हैं, उन्हें सपोर्ट नहीं करते तो बच्चे पहल करना बंद कर सकते हैं। उनमें महत्वाकांक्षा की कमी हो सकती है और वे अपराध बोध से भरे हो सकते हैं। अपराधबोध की भावनाओं को बढ़ाना बच्चे को दूसरो के साथ बातचीत करने से रोक सकता है और उनकी क्रिएटिविटी को कम कर सकता है।
स्टेज 4 : उद्योग बनाम हीनता (Industry vs. inferiority)
5 से 12 साल
साइकोसोशल डेवलपमेंट के स्टेजेस (Psychosocial development stages) की चौथी स्टेज है उघोग बनाम हीनता। यहां पहुंचते तक बच्चे नए-नए गुण सीखते हैं। यहां पर उनका सर्कल भी बड़ा हो जाता है और वे खुद को दूसरे से कंपेयर करने लगते हैं। वे अपनी फैमिली को दूसरे की फैमिली से तुलना भी करते हैं। वे पढ़ाई, स्पोर्ट, आर्ट्स और सामाजिक तौर पर अच्छा कर रहे हैं या नहीं इसको दूसरे बच्चों के साथ कंपेयर करते हैं। अगर उन्हें लगता है कि वे अच्छा कर रहे हैं तो उनमें गर्व और उपलब्धि की भावना विकसित होगी। वहीं अगर वे खुद को इन स्थितियों में अच्छा नहीं पाते हैं, तो उनमें हीन भावना विकसित हो सकती है।
इस वक्त अगर आपको लगता है कि वे किसी एक क्षेत्र में स्ट्रगल कर रहे हैं तो उन्हें दूसरे में शाइन करने के लिए प्रेरित करें। जैसे अगर बच्चा मेथ्स में अच्छा नहीं है तो हो सकता है कि वह अच्छा गा सकता हो। जब आपका बच्चा सफल होता है, तो वे खुद को मेहनती महसूस करेंगे और विश्वास करेंगे कि वे लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं – और उन तक पहुंच सकते हैं। हालांकि, अगर बच्चों ने घर पर बार-बार नकारात्मक अनुभव किए हैं या उन्हें लगता है कि समाज बहुत अधिक मांग कर रहा है, तो उनमें हीनता की भावना विकसित हो सकती है।
और पढ़ें: जानिए, स्कूल जाने वाले बच्चों के जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं उनके माता-पिता