मेरे पड़ोस में एक बच्चा रहता है जिसका नाम ‘रूशान’ है। चार साल का ‘रूशान’ अपनी उम्र के बच्चों से छोटा (कम हाइट) और कमजोर दिखता है। जब मैंने उसकी मां से पूछा तो उन्होंने बताया कि उसकी ग्रोथ देर से हो रही है। बता दें कि जिसे शिशु के विकास में देरी उसे कहा जाता है जब वे अपनी उम्र के अनुसार नहीं बढ़ते। शिशु के विकास में यह देरी किसी विशेष स्वास्थ्य स्थिति के कारण हो सकती है। जिसमें ग्रोथ हॉर्मोन डेफिसिएंशी (growth hormone deficiency) या हायपोथायरॉइडिज्म (hypothyroidism) जैसी हेल्थ कंडिशन शामिल हैं। कुछ केसेज में अर्ली ट्रीटमेंट से ही बच्चे सामान्य हाइट प्राप्त कर लेते हैं। वहीं कुछ को जीवनभर इलाज की जरूरत पड़ती है। अगर पेरेंट्स को लगता है कि बच्चा सामान्य दर से नहीं बढ़ रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। शिशु के विकास में देरी किन कारणों से होती है और इसके लक्षण क्या होते हैं। ऐसी सभी जानकारी इस आर्टिकल में दी जा रही है।
शिशु के विकास में देरी को दर्शाते लक्षण (delayed growth symptoms)
अगर बच्चा उसकी उम्र के दूसरे बच्चों की तुलना में छोटा है यानी कि उसकी हाइट कम है तो उसे ग्रोथ प्रॉब्लम हो सकती है। आमतौर पर यह एक मेडिकल इशू माना जाता है। अगर बच्चा अपनी उम्र के 95 प्रतिशत बच्चों से हाइट में छोटा है तो उसकी विकास दर धीमी है। विकास में देरी उन बच्चों में भी डायग्नोस की जा सकती है जिनकी हाइट तो सामान्य है, लेकिन उनकी विकास दर धीमी है।
शिशु के विकास में देरी के कारणों के आधार पर इसके लक्षण निम्न हो सकते हैं।
- अगर वे किसी प्रकार के बौनेपन (dwarfism) का शिकार हैं तो उनके हाथ और पैर उनके धड़ (torso) के सामान्य अनुपात से बाहर हो सकते हैं
- अगर बच्चों में थायरॉक्सिन हॉर्मोन (thyroxine hormone) का लेवल कम है तो उनमें एनर्जी की कमी, कब्ज, रूखी त्वचा और बाल जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं
- अगर उनके अंदर ग्रोथ हॉर्मोन (growth hormone) (GH) का लेवल बहुत कम है तो यह उनके चेहरे के विकास को प्रभावित कर सकता है। जिससे वे युवा होने पर असामान्य दिखते हैं
- अगर शिशु की विकास में देरी का कारण स्टमक और बॉवेल डिजीज (Bowel disease) है तो स्टूल में खून आना, डायरिया, कब्ज, उल्टी आना और जी मिचलाना जैसे लक्षण दिखाई दे देते हैं
शिशु के विकास में देरी कई कारण हो सकते हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।
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फैमिली हिस्ट्री
अगर घर में पैरेंट्स या दूसरे फैमिली मेंबर्स की हाइट कम है तो यह नॉर्मल कि बच्चा भी अपने उम्र के दूसरे बच्चों से धीरे-धीरे बढ़े। फैमिली हिस्ट्री के कारण विकास में देरी किसी अंडरलाइन प्रॉब्लम का इंडिकेशन नहीं है। बच्चा जेनेटिक्स (genetics) के चलते सामान्य से कम हाइट का हो सकता है।
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शारीरिक विकास में देरी (Constitutional growth delay)
इस कंडिशन में बच्चा औसत से छोटा होता है, लेकिन उसका विकास सामान्य दर से ही होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसे बच्चों में डिलैड बोन एज (bone age) की प्रॉब्लम होती है। इसका मतलब है कि हड्डियों का विकास बच्चों के विकास से धीमी गति से होता है। ऐसे बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में प्यूबर्टी (puberty) तक भी देरी से पहुंचते हैं। इस कारण कुछ बच्चों की हाइट अर्ली टीनेज में औसत से कम होती है, लेकिन वे युवावस्था में अपने दोस्तों की बराबरी कर लेते हैं।
ग्रोथ हॉर्मोन की कमी (Growth hormone deficiency)
सामान्य परिस्थितयों में जीएच शरीर के ऊतकों को विकास के लिए प्रोत्साहित करता है। जिन बच्चों में आंशिक या पूरी तरह से ग्रोथ हॉर्मोन डेफिसिएंशी होती है वे हेल्दी ग्रोथ रेट से विकास नहीं कर पाते।
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हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism)
शिशु और बच्चे जिनमें हायपोथायरॉइडिज्म होता है। उनमें अंडरएक्टिव थायरॉइड ग्लैंड होता है। थायरॉइड ऐसे हॉर्मोन्स को रिलीज करने के लिए जिम्मेदार होता है जो नॉर्मल ग्रोथ को प्रमोट करते हैं। इसलिए शिशु के विकास में देरी संभवत: अंडरएक्टिव थायरॉइड का संकेत हो सकता है।
टर्नर सिंड्रोम (Turner Syndrome)
टर्नर सिंड्रोम (TS) एक आनुवंशिक स्थिति है जेनेटिक कंडिशन है जो महिलाओं प्रभावित करता है जो एक एक्स क्रोमोसोम (X chromosome) मिसिंग होता है। टर्नर सिंड्रोम 2500 महिलाओं में से 1 महिला को प्रभावित करता है। हालांकि टीएस वाले बच्चों में ग्रोथ हॉर्मोन सामान्य मात्रा में प्रोड्यूस होता है, लेकिन बॉडी इसका उपयोग प्रभावी ढंग से नहीं कर पाती।
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शिशु के विकास में देरी होने के अन्य कारण
शिशु के विकास में देरी होने के अन्य कारणों में निम्न शामिल हैं। हालांकि ये असामान्य कारण हैं।
- डाउन सिंड्रोम, यह एक ऐसी आनुवंशिक कंडिशन है जिसमें व्यक्ति में 46 की जगह 47 क्रोमोसोम पाए जाते हैं
- स्केलेटल डिसप्लेसिया (skeletal dysplasia) कई परिस्थितयों का समूह जो हड्डियों के विकास में रुकावट का कारण बनती है
- कुछ विशेष प्रकार के एनीमिया जैसे कि सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anemia)
- किडनी, हार्ट, डायजेस्टिव और लंग से जुड़ी बीमारियां
- प्रेग्नेंसी के दौरान मां का कुछ विशेष प्रकार की दवाओं का उपयोग
- कुपोषण
- सीवियर स्ट्रेस
शिशु के विकास में देरी का निदान (diagnosis) कैसे किया जाता है?
जब आप इस परेशानी को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं तो वे बच्चे की और हो सकता है कि पेरेंट्स की भी डिटेल्ड मेडिकल हिस्ट्री लेंगे। जिसमें निम्न शामिल हैं।
- प्रेग्नेंसी के दौरान मां के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां
- जन्म के वक्त शिशु की लेंथ और वेट से जुड़ी जानकारियां
- परिवार के दूसरे सदस्यों की हाइट के बारे में जानकारी
- परिवार के दूसरे सदस्यों के बारे में जानकारी यदि उनके विकास में भी देरी हुई थी
- डॉक्टर बच्चे की ग्रोथ का 6 महीने का चार्ट भी तैयार कर सकते हैं
कुछ टेस्ट और इमेजिंग स्टडीज डॉक्टर के लिए मददगार हो सकते हैं। हाथ और कलाई का एक्सरे शिशु के बोन डेवलपमेंट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसके साथ ही ब्लड टेस्ट के जरिए हॉर्मोन इंबैलेंस और पेट, किडनी और लिवर से जुड़ी तकलीफों के बारे में पता किया जा सकता है।
कुछ कैसेज में डॉक्टर ब्लड टेस्टिंग के लिए बच्चे को रातभर के लिए हॉस्पिटल में रुकने के लिए कह सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ग्रोथ हॉर्मोन की काफी मात्रा का प्रोडक्शन तब होता है जब बच्चा सो रहा हो। कई बार शिशु के विकास में देरी का कारण कुछ सिंड्रोम होते हैं जिनका परीक्षण किया जा चुका होता है। जैसे कि डाउन सिंड्रोम (Down syndrome) और टर्नर सिंड्रोम।
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शिशु के विकास में देरी होने पर इसका इलाज कैसे किया जाता है?
बच्चे का ट्रीटमेंट उस कारण पर निर्भर करता है जिसकी वहज से विकास में देरी हो रही है। अगर विकास में देरी का कारण फैमिली हिस्ट्री या कॉन्स्टिट्यूशनल डिले (constitutional delay) है तो डॉक्टर सामान्यत: कोई ट्रीटमेंट रिकमंड नहीं करते। दूसरे कारणों के आधार पर निम्न ट्रीटमेंट शुरू किए जा सकते हैं।
ग्रोथ हॉर्मोन डिफेशिएंसी (Growth hormone deficiency) होने पर
अगर आपके बच्चे में ग्रोथ हॉर्मोन डेफिशिएंसी है तो डॉक्टर जीएच का इंजेक्शन दे सकता है। इंजेक्शन घर में पेरेंट्स के द्वारा दिन में एक बार दिया जाता है। यह इंजेक्शन कई वर्षों तक दिया जाता है जब तक बच्चे का विकास जारी रहता है। डॉक्टर ट्रीटमेंट के प्रभाव पर नजर रखते हैं और उसके अनुसार डोज को घटाते या बढ़ाते हैं।
हायपोथायरॉडिज्म (Hypothyroidism) के कारण शिशु के विकास में देरी होने पर
शिशु के लिए डॉक्टर थायरॉइड हॉर्मोन रिप्लेसमेंट ड्रग्स देते हैं जो कि शिशु के अंडरएक्टिव थायरॉइड ग्लैंड के साथ कंपनसेट करते हैं। ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर शिशु के हॉर्मोन लेवल को रेगुलरली मॉनिटर करते हैं। कुछ बच्चे इस डिसऑर्डर से कुछ समय में ओवरकम कर लेते हैं, लेकिन कुछ बच्चों को जीवनभर ये ट्रीटमेंट लेना पड़ता है।
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टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome) के कारण शिशु के विकास में देरी होने पर
टर्नर सिंड्रोम होने पर भी शिशुओं में ग्रोथ हॉर्मोन का प्रोडक्शन नैचुरली होता है, लेकिन इंजेक्शन के जरिए जीएच दिए जाने पर बॉडी इसका उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से करती है। 4-6 साल तक के बच्चे को डॉक्टर रोज एक इंजेक्शन देने की सलाह दे सकते हैं ताकि वह व्यस्क होने तक सामान्य हाइट तक पहुंच जाएं।
इसके अलावा भी कई अन्य कारण हो सकते हैं जो कि शिशु के विकास में देरी के लिए जिम्मेदार हो। उनके आधार पर डॉक्टर ट्रीटमेंट सजेस्ट करते हैं। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करें। चूंकि अर्ली ट्रीटमेंट आपके बच्चे को नॉर्मल हाइट तक पहुंचाने में मदद कर सकता है। इसलिए अगर शिशु में डिलेड ग्रोथ के लक्षण नजर आते हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और शिशु के विकास में देरी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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