ये बात तो सभी जानते हैं कि बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए दूध एक जरूरी पेय माना जाता है, लेकिन फोर्टिफाइड मिल्क कैसे आपके बच्चे के विकास में सौ प्रतिशत साथ निभाता है, ये समझने वाली बात है। दरअसल फोर्टिफाइड दूध बच्चों को
आयरन डेफिशिएंसी (iron deficiency), यानी कि एनीमिया (anemia) से बचाता है। क्योंकि फोर्टिफाइड मिल्क (fortified milk) में भरपूर मात्रा में आयरन, जिंक, विटामिन बी होता है, बच्चों में इसके सेवन से
एनीमिया का खतरा दूर होता है।
साथ ही फोर्टिफाइड मिल्क में मौजूद न्यूट्रिएंट्स की मदद से बड़े बच्चों में ब्रेन फंक्शन तेजी से होता है, जो उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसके अलावा बच्चों में फोर्टिफाइड दूध (fortified milk) के सेवन से बच्चों में रिबोफ्लेविन और
आयरन की कमी (iron deficiency)दूर होती है, जो उनकी स्कूली शिक्षा के दौरान उन्हें ज्यादा फोकस्ड और मोटिवेटेड रखता है।
आपको जान कर हैरानी होगी कि
बच्चों की बढ़ती उम्र में उनके शारीरिक और मानसिक ग्रोथ में फोर्टिफाइड दूध बड़ा योगदान देता है। खास तौर पर बच्चों की बोन हेल्थ या कहें हड्डियों को मजबूती देने का काम फोर्टिफाइड दूध (fortified milk) करता है। फोर्टिफाइड मिल्क बच्चों में मिनरल बोन डेंसिटी (mineral bone density) को बढ़ाता है और हड्डियों को मोटी और मजबूत बनता है। वैसे तो दूध में पहले से ही कैल्शियम और फॉस्फोरस की मात्रा ज्यादा होती है, लेकिन फोर्टिफाइड मिल्क में इसके साथ-साथ रॉ मिनरल्स (raw minerals) भी भरपूर मात्रा में होते हैं, जो बच्चों की हड्डियों को मजबूती प्रदान करती है।
किस उम्र में बच्चों को दें फोर्टिफाइड दूध (fortified milk)?
बच्चे को सही उम्र से फोर्टिफाइड मिल्क (fortified milk) देना जरूरी है, जिससे उसका
डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive system) इस दूध को बेहतर रूप से पचा सके। 1 साल की उम्र के बाद से बच्चे को फोर्टिफाइड मिल्क देने की हिदायत दी जाती है। इससे पहले यदि आप बच्चे को फोर्टिफाइड दूध देते हैं, तो उसे इंटेस्टिनल इशू हो सकते हैं। इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स (nutrients) और मिनरल्स (minerals) को आपके 1 साल से छोटे बच्चे की किडनी प्रोसेस नहीं कर पाएगी, जिससे आवश्यकता के अनुसार बच्चे की जरूरत पूरी नहीं होगी।
बच्चों के लिए दूध से जुड़ी और भी जरूरी जानकारी पाने के लिए देखें ये विडीओ।
क्या आप जानते हैं फोर्टिफाइड दूध से जुड़ी ये बात?
बच्चों को एक संतुलित आहार की जरूरत पड़ती है। फोर्टिफाइड मिल्क (fortified milk) आपके आहार का हिस्सा हो सकता है, लेकिन ये आहार की जगह नहीं ले सकता। बच्चों को एक दिन में 2 से 3 कप फोर्टिफाइड दूध की जरूरत पड़ती है, जो उनके दिन भर के जरूरी न्यूट्रिएंट्स और कैल्शियम की कमी (calcium deficiency) को पूरा कर सकता है। अगर बच्चा इससे ज्यादा फोर्टिफाइड दूध का सेवन करता है, तो उसे समय पर भूख नहीं लगेगी और
आहार से मिलनेवाले पोषण से वह वंचित रह जाएगा। इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार और अपने बच्चे की जरूरत के मुताबिक ही फोर्टिफाइड दूध (fortified milk) की मात्रा तय की जानी चाहिए।
क्या बच्चों के लिए फोर्टिफाइड दूध (fortified milk) बन सकता है परेशनी का सबब?
अब तक हमने फोर्टिफाइड दूध (fortified milk) क्यों जरूरी है, ये जाना। लेकिन वहीं कुछ बच्चों के लिए ये दूध (milk) तकलीफदेह साबित हो सकता है। दरअसल हम बात कर रहे हैं उन बच्चों की, जो
लैक्टॉस इन्टॉलरेंट होते हैं। इन बच्चों में आसानी से दूध नहीं पचता और उन्हें डायरिया की दिक्कत हो सकती है। क्योंकि फोर्टिफाइड मिल्क में आम मिल्क की तुलना में ज्यादा न्यूट्रिएंट्स होते हैं, लैक्टॉस इन्टॉलरेंट (lactose intolerance) बच्चे इस दूध को नहीं पचा पाते और उनमें इंटेस्टेनाइल तकलीफें (intestinal issues ) बढ़ जाती हैं। ऐसे में इन बच्चों को फोर्टिफाइड दूध से दूरी बनानी चाहिए। इन बच्चों के लिए नो डेयरी अल्टेरनेटिव में सोया मिल्क और
बादाम दूध का ऑप्शन बेहतर माना जाता है।
इस हिसाब से फोर्टिफाइड मिल्क (fortified milk) बच्चों के विकास में एक अहम् रोल निभाता है, जो उनके बढ़ते सालों में शरीर की सभी जरूरतों को पूरा करता है। इसलिए अपने बच्चों के लिए
फोर्टिफाइड दूध का ऑप्शन आपको जरूर आजमाना चाहिए।
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