इंडियन मेडिकल प्रैक्टिशनर कॉपरेटिव फार्मेसी एंड स्टोर (Indian Medical Practitioner’s Cooperative Pharmacy and Stores) के अनुसार भारत की तकरीबन 10 प्रतिशत आबादी इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या से पीड़ित है। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन IBS के लिए प्रोबायोटिक्स लाभकारी माना गया है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम आपके साथ इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) एवं IBS के लिए प्रोबायोटिक्स (Probiotics For IBS) से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करने जा रहे हैं।
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) क्या है?
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के कारण क्या हैं?
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
- प्रोबायोटिक्स क्या है?
- IBS के लिए प्रोबायोटिक्स लाभकारी है?
- IBS की समस्या होने पर डायट से जुड़ी किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
IBS के लिए प्रोबायोटिक्स (Probiotics For IBS) से जुड़े इन सवालों का जवाब क्या है? जानने के लिए आगे इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) क्या है?
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) आंतों से जुड़ी तकलीफ है। IBS की समस्या होने पर पेट दर्द, पेट में ऐंठन, पेट के अंदुरुनी हिस्से में सूजन, डायरिया एवं कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम को मेडिकल टर्म में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे: स्पैस्टिक कोलन (Spastic Colon), इरिटेबल कोलन (Irritable Colon), म्यूकस कोइलटिस (Mucus colitis)। हालांकि अब ऐसे में ये सवाल उठता है कि इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के कारण क्या हो सकते हैं और क्या IBS के लिए प्रोबायोटिक्स (Probiotics For IBS) लाभकारी हो सकता है, इसका जवाब भी आगे जानेंगे।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के कारण क्या हैं?
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- आंतों की मांसपेशियों में सिकुड़न आना (Bowel Care)- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या होने के कारण आंतों की दीवार में सिकुड़न आ जाती है। ऐसी स्थिति पेट दर्द, एसिडिटी, डायरिया एवं पेट में सूजन का कारण बन जाती है।
- नर्वस सिस्टम (Nervous system)- डायजेस्टिव सिस्टम की नसों में बदलाव की वजह से एसिडिटी या मल से जुड़ी समस्या का कारण बनने लगती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अगर ब्रेन और इंटेस्टाइन का अगर आपस में कोर्डिनेशन ना हो तो इससे डायजेस्टिव सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति दर्द, कब्ज या डायरिया जैसी समस्याओं का शिकार हो सकता है।
- पेट में सूजन (Stomach swelling)- IBS से पीड़ित लोगों की इम्यून सिस्टम सेल्स सामान्य से ज्यादा बढ़ जाते हैं। ऐसी स्थिति दर्द एवं डायरिया जैसी तकलीफों को दावत देने का काम करती है।
- क्रोनिक इंफ्केशन (Chronic Infection)- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या होने के कारण बैक्टीरिया या वायरस दस्त जैसी तकलीफ शुरू कर देती है
- स्ट्रेस (Stress)- स्ट्रेस का शरीर पर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है और यह इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का कारण भी बन जाती है।
- हॉर्मोन (Hormone)- इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) की समस्या का कारण हॉर्मोनल इम्बैलेंस भी माना गया है।
इन अलग-अलग कारणों से इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) की समस्या शुरू हो सकती है।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम और कब्ज की समस्या होने पर बॉवेल मूवमेंट (Bowel movements) के साथ पेट दर्द (Abdominal pain) की समस्या होने के साथ-साथ IBS के निम्नलिखित लक्षण भी हो सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल है:
- पेट में सूजन (Bloating) के साथ-साथ तेज दर्द (Stomach pain) महसूस होना।
- अत्यधिक गैस (Acidity) बनाना।
- पेट का टाइट या सख्त महसूस होना।
- अत्यधिक सख्त मल (Hard stool) होना।
- मल त्यागने में कठिनाई होना।
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) की तकलीफ होने पर ऊपर बताये लक्षण महसूस हो सकते हैं और कुछ दिनों के लिए ठीक होने के बाद वापस भी आ सकते हैं अगर इसका इलाज ठीक तरह से ना करवाया जाए तो।
नोट: यह ध्यान रखें कि अगर किसी व्यक्ति को इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) की समस्या है, तो इसकी वजह से स्टूल में ब्लड या वजन कम (Weight loss) होने जैसी समस्या नहीं होगी।
ये हैं इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण, कारण और अब जानते हैं IBS के लिए प्रोबायोटिक्स (Probiotics For IBS) क्यों लाभकारी हो सकता है। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं प्रोबायोटिक्स (Probiotics) क्या है।
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प्रोबायोटिक्स (Probiotics) क्या है?
प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया और यीस्ट होते हैं, जिसके सेवन से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। हालांकि अगर प्रोबायोटिक्स को अक्सर यह मान लेते हैं कि यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है या नहीं। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेकोनोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार प्रोबायोटिक्स गुड बैक्टीरिया होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। दरअसल अगर सामान्य शब्दों में समझें तो प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया के लिस्ट में शामिल है, जो गट हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं। आइये अब समझते हैं IBS के लिए प्रोबायोटिक्स कैसे लाभकारी है।
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IBS के लिए प्रोबायोटिक्स (Probiotics For IBS) लाभकारी है?
IBS के लिए प्रोबायोटिक्स के सेवन से इसके लक्षणों में सुधार देखी जा सकती है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार प्रोबायोटिक्स हानिकारक बैक्टीरिया को अच्छे बैक्टीरिया में बदल जाते हैं, जिससे पेट के अंदुरुनी सूजन को कम करने में मदद मिलती है और डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाये रखने में मदद मिल सकती है।
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IBS के लिए प्रोबायोटिक्स: IBS की समस्या होने पर डायट से जुड़ी किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
अगर आप इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) की समस्या से परेशान रहते हैं, तो सबसे पहले अपने लाइफ स्टाइल में 3 सबसे महत्वपूर्ण बातों को शामिल करें। जैसे:
- समय पर सोना और नींद पूरी (Sound sleep) करना।
- नियमित एक्सरसाइज (Regular workout) करना।
- तनाव (Tension) से दूर रहना।
अगर आपने इन 3 बातों को फॉलो कर लिए, तो समझिये इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम और कब्ज की समस्या अब और नहीं आपको परेशान करेगी। वहीं स्टैंडफोर्ड (Stanford) हेल्थ केयर में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) होने पर डायट में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को शामिल ना करें। जैसे:
- स्वीटनर्स में शामिल फ्रुक्टोज (Fructose), हनी (Honey) एवं कॉर्न सिरप (Corn syrup)का सेवन ना करें।
- एप्पल (Apple), एप्रिकॉट (Apricot) , एवोकैडो (Avocado) और मेलॉन से दूरी बनायें।
- दूध (Milk) का सेवन ना करें।
- व्हीट प्रॉडट्स ना खाएं। बिन्स (Beans) और फलियां (Legumes) का सेवन ना करें
- लहसुन (Garlic) और प्याज (Onions) के सेवन से भी बचें।
इन खाद्य पदार्थों पर रोक लगाने के साथ-साथ कुछ बातों पर ध्यान रखना अतिआवश्यक हो जाता है। जैसे:
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन ना करें।
- कैफीन (Caffeine) के सेवन से बचें।
- कार्बोनेटेड बेवरेज (Carbonated beverages) न लें।
- ग्लूटेन (Gluten) न ले।
- शुगर (Sugar) का सेवन ना करें।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम एक सामान्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (GI) डिसऑर्डर है, जिससे आसानी से बचा जा सकता है। हालांकि अगर आप IBS (Inflammatory bowel disease) या किसी भी बीमारी के प्रति लापरवाही बरतते हैं, तो इस छोटी सी शारीरिक परेशानी को गंभीर होने में भले ही थोड़ा वक्त लग जाए, लेकिन फिर पूरी उम्र किसी का साथ मिले या ना मिले पर दवाओं का साथ तो आपको लेना ही पड़ेगा! इसलिए परेशान करने वाले फिजिकल चेंजेस को इग्नोर ना करें। IBS के लिए प्रोबायोटिक्स (Probiotics For IBS) से जुड़े अगर आप कुछ सवाल का जवाब चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए। हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब जरूर देंगे।
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