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6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) में आपको क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/06/2022

    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) में आपको क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) का अर्थ है कि आपकी प्रेग्नेंसी के सेकंड ट्रायमेस्टर अब समाप्त होने वाला है और थर्ड ट्रायमेस्टर शुरू होने वाला है। सेकंड ट्रायमेस्टर को गर्भावस्था का सबसे सुखद चरण माना जाता है। क्योंकि, इस समय अधिकतर गर्भवती महिलाएं कम परेशानियों का अनुभव करती हैं। जैसे कि आप जानते ही हैं कि गर्भवती महिला हर महीने अलग लक्षणों का अनुभव करती है। इसके साथ ही उनके शरीर और गर्भ में शिशु में भी बहुत से बदलाव होते हैं। आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं 6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) के बारे में। सबसे पहले जान लेते हैं कि इस महीने गर्भवती महिला किन लक्षणों का अनुभव करती हैं?

    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) में नजर आने वाले सामान्य लक्षण कौन से हैं?

    जैसा कि पहले ही बताया गया है पहले और तीसरे ट्रायमेस्टर की तुलना में इस ट्रायमेस्टर में महिलाएं कम समस्याओं का अनुभव करती हैं, लेकिन इस दौरान अधिकतर महिलाएं इन परेशानियों का अनुभव कर सकती हैं:

    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy): कब्ज और अपच (Constipation and Indigestion)

    पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान अधिकतर महिलाएं हार्टबर्न के साथ ही कब्ज का भी अनुभव कर सकती हैं। प्रेग्नेंसी के शुरुआती स्टेज में कब्ज, हॉर्मोन्स में बदलाव के कारण हो सकती है। लेकिन समय के साथ यूट्रस के बढ़ने से बॉवेल पर प्रेशर पड़ता है, जिससे अपच की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही इस समय मल्टीविटामिन्स पिल्स लेने से भी कब्ज की समस्या हो सकती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए नियमित व्यायाम करें, पर्याप्त पानी पीएं और अधिक फाइबर युक्त आहार का सेवन करें।

    6 मंथ प्रेग्नेंसी, 6 Months Pregnancy

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    एडिमा (Edema)

    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) के बाद आप लास्ट ट्रायमेस्टर में एंटर करने वाली होती हैं, तो इस समय आप पैरों, एड़ियों और कई बार हाथों में सूजन को भी महसूस कर सकती हैं। जैसे ही शरीर शिशु के लिए प्रीपेयर हो रहा होता है, तो बच्चे के पोषण के लिए टिश्यूज में फ्लूइड को रिटेन होता है, जिससे यह सूजन हो सकती है। आंखों और गालों के आसपास सूजन होना भी सामान्य है। लेकिन, अगर इसके साथ आपका प्रोटीन लेवल अधिक होता है, तो यह समस्या गंभीर हो सकती है।

    6 मंथ प्रेग्नेंसी: क्रेविंग और भूख का बढ़ना (Cravings and Increased Appetite)

    इस स्टेज पर आप केवल खुद के लिए नहीं, बल्कि शिशु के लिए भी खाती हैं। शिशु का विकास हो रहा होता है, तो आपके शरीर द्वारा शिशु को न्यूट्रिएंट्स और विटामिन्स की सप्लाई करना जरूरी है। यही कारण है कि इस समय आपको अधिक भूख लग सकती है या क्रेविंग हो सकती है। ऐसा होना सामान्य है। इसलिए, हमेशा हेल्दी फूड का चुनाव करें जैसे फ्रूट, सब्जियां, साबुत अनाज आदि।

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    खर्राटे लेना (Snoring)

    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) के दौरान अधिकतर महिलाएं स्नोरिंग यानी खर्राटों की समस्या का अनुभव करती हैं। इसके लिए भी प्रेग्नेंसी हॉर्मोन्स को जिम्मेदार माना जाता है। वजन के बढ़ने से गर्दन और हेड टिश्यू सूज जाते है, इससे खर्राटों की परेशानी हो सकती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए नेजल स्ट्रिप्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। स्नोरिंग का मतलब जेस्टेशनल डायबिटीज भी हो सकती है। इस के लिए ब्लड और यूरिन टेस्ट कराएं।

    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy): पीठ दर्द (Backache)

    पीठ दर्द की समस्या को भी इस समय अधिकतर महिलाएं अनुभव करती हैं। यह दर्द डिलीवरी के बाद अधिकतर खुद ही ठीक हो जाती है। इस टाइम वजन के बढ़ने से भी पीठ दर्द हो सकती है। यूट्रस के बढ़ने से भी यह प्रॉब्लम हो सकती है। बैठते हुए गुड पोस्चर को मैंटेन करने से इस परेशानी से राहत पाई जा सकती है। अब जानिए इस दौरान गर्भवती महिला में होने वाले शारीरिक और मानसिक चेंजेज के बारे में।

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    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) में गर्भवती महिला में होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव

    छह महीने की गर्भावस्था में महिला कई शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना करती है। यह बदलाव इस प्रकार हैं:

    • स्ट्रेच मार्क्स (Stretch marks): इस दौरान ग्रोइंग यूट्रस के कारण स्किन टिश्यूज में टाइनी टेअर होने के कारण स्ट्रेच मार्क्स हो सकते हैं।
    • लिनिया नाइग्रा (Linea nigra): इस दौरान लाइन जो बेली बटन से प्युबिस तक जाती है, वो डार्क हो जाती है।
    • स्किन पिगमेंटेशन चेंजेज (Skin pigmentation changes): प्रेग्नेंसी में अधिक हॉर्मोन्स बनने से स्किन पिगमेंटेशन हो सकती है, जिसे मेलाज्मा (Melasma) कहा जाता है। यह प्रॉब्लम गालों, गर्दन और माथे में डार्क स्पॉट जैसी दिखती है।
    • कोलोस्ट्रम (Colostrum):6 मंथ प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट से येलो लिक्विड का स्त्राव होने लगता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है। यह वो पहला ब्रेस्ट मिल्क है, जिसे सबसे पहले शिशु जन्म के बाद पीता है।
    • प्रेग्नेंसी ब्रेन (Pregnancy brain): कंसन्ट्रेट करने में समस्या या चीजों को भूल जाने की समस्या भी इस महीने हार्मोनल बदलावों के कारण हो सकती है। इसे मॉमनेसिया (Momnesia) भी कहा जाता है।
    • मूड स्विंग्स और एंग्जायटी (Mood swings and anxiety): हॉर्मोन्स के बदलाव मूड स्विंग्स और एंग्जायटी का कारण भी बन सकता है। अब जानिए इस दौरान शिशु में होने वाले विकास के बारे में।

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    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) में शिशु का विकास कैसे होता है, जानिए

    गर्भ में छह महीने के शिशु का विकास तेजी से हो रहा होता है। भ्रूण पूरी तरह से ग्रो हो रहा होता है और दिन प्रतिदिन स्ट्रांग होता है। उसके ऑर्गन्स अभी बन रहे होते हैं, लेकिन उसके लंग्स अभी पूरी तरह से डेवलप नहीं हुए होते। इस दौरान शिशु की स्किन और मसल्स मैच्योर हो चुके होते हैं। ऐसे में, आप शिशु की मूवमेंट को भी महसूस कर सकते हैं। उसके वजन के बढ़ने के साथ ही वो लेंथ भी बढ़ चुकी होती है। वो आवाजों के प्रति रियेक्ट करना शुरू कर देता है। आप अल्ट्रासाउंड से शिशु की पोजीशन जान सकते हैं।

    इस टाइम वो लाइट और अंधेरे को भी महसूस कर सकता है और उसमें बीमारियों से लड़ने के लिए व्हाइट ब्लड सेल्स का विकास भी शुरू हो गया होता है। शिशु के चेहरे की डेवलपमेंट भी हो चुकी होती है जैसे आईलैशेज, आईब्रोस और बाल आदि। शिशु के बालों की ग्रोथ उसके जेनेटिक्स पर निर्भर करता है और कुछ बच्चे बहुत अधिक बालों के साथ जन्म लेते हैं, तो कुछ बिलकुल गंजे होते हैं। अब जानिए इस दौरान आपको क्या खाना चाहिए और किन चीजों को नजरअंदाज करना चाहिए?

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    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy): कैसे होनी चाहिए आपकी डायट?

    जैसा कि पहले ही बताया गया है कि छह महीने की प्रेग्नेंसी में शिशु का विकास तेजी से हो रहा होता है। इस दौरान आपको अपनी डायट का भी खास ख्याल रखना चाहिए। इस समय आपको अपनी डायट में इन चीजों को शामिल करना चाहिए:

    • अधिक से अधिक हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध आदि को अपनी डायट में इंक्लूड करें। क्योंकि, यह कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत हैं। जिससे शिशु की हड्डियों और दांतों को मजबूती मिलती है।
    • फोलिक एसिड युक्त आहार जैसे दालों, पत्तेदार सब्जियों, नट्स, बीन्स, साइट्रस फ्रूट्स आदि को भी लें। यह भी शिशु की ग्रोथ के लिए जरूरी है।
    • होल ग्रेन प्रोडक्ट्स, बीन्स, ड्रायड फ्रूट्स, लीन पोर्क, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि भी लें। यह आयरन का अच्छा स्त्रोत होते हैं
    • फूड्स जैसे येलो और ऑरेंज सब्जियां, सब्जियां, दूध आदि में विटामिन ए होता है। इन्हें लेना भी न भूलें।
    • इसके साथ ही लीन मीट और पोल्ट्री, अंडे, सोया प्रोडक्ट्स, बीन्स, नट्स आदि में प्रोटीन होता है, जो इस दौरान आपके और शिशु के लिए लाभदायक है। यही नहीं, साइट्रस फ्रूट्स, स्ट्रॉबेरी, टमाटर और ब्रोकोली
    • आदि को भी लें क्योंकि यह विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है।

    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) में अधिक कैफीन, कच्चे और बिना पके फूड्स को लेने से बचें। अगर आपको सीलिएक बीमारी (Celiac disease) है, तो आपको ग्लूटेन युक्त आहार को लेने से भी बचना चाहिए। अधिक मरक्युरी युक्त फिश खाना भी इस दौरान हानिकारक हो सकता है। अधिक तले-भुने और मसालेदार आहार को भी अवॉयड करें। क्योंकि, इससे आपको हार्टबर्न की समस्या हो सकती है। अब जानते हैं इस दौरान होने वाले टेस्ट्स के बारे में।

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    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) में होने वाले टेस्ट्स कौन से हैं?

    इस महीने भी आपके लिए रेगुलर चेक-अप और जांच जरूरी है। 6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) में डॉक्टर आपको कुछ टेस्ट्स की सलाह दे सकते हैं। ताकि, आपके स्वास्थ्य और शिशु की ग्रोथ के बारे में जाना जा सके। यह टेस्ट्स इस प्रकार हैं:

    • ब्लड प्रेशर चेकअप
    • वेट मेजरमेंट
    • प्रोटीन और शुगर को जांचने के लिए यूरिन टेस्ट
    • जेस्टेशनल डायबिटीज टेस्ट
    • यूट्रस के फंडल हाइट की जांच
    • भ्रूण की पोजीशन और यूट्रस के साइज की जांच
    • वैरिकोज वेन्स (Varicose veins) और सूजन के लिए पैरों और लिंब्स की जांच

    अब जानिए कि 6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) में कौन सी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए?

    6 मंथ प्रेग्नेंसी, 6 Months Pregnancy

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    कौन से लक्षणों में लें तुरंत डॉक्टर की सलाह?

    इस दौरान आप कई समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं। लेकिन, अगर आप उनमें से निम्नलिखित समस्याओं का अनुभव करें, तो तुरंत डॉक्टर से बात करें:

    • एनल लायनिंग से गंभीर ब्लीडिंग, क्योंकि यह गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
    • वजाइनल ब्लीडिंग होना।
    • यूरिन पास करते हुए दर्द को अनुभव करना।
    • लगातार उलटी आना।
    • वॉटर बेग का बर्स्ट होना।
    • लोअर पेल्विक एरिया में बहुत अधिक डिस्कम्फर्ट या प्रेशर का अनुभव होना।
    • एक घंटे में भ्रूण का दस से कम बार मूवमेंट होना।
    • एब्डोमन एरिया में अधिक दर्द होना।
    • लोअर बैक में गंभीर दर्द होना।
    • एक घंटे में पांच से अधिक कॉन्ट्रैक्शंस होना।

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    6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy): इन चीजों का रखें इस समय ध्यान

    प्रेग्नेंसी में आपका खुद का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। ताकि शिशु को पूरा पोषण प्राप्त हो सके और उसका विकास सही से हो। होने वाली मां के लिए इन चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:

    • नियमित एक्सरसाइज करें। इससे आपको फिट रहने में मदद मिलेगी। इस दौरान कीगल एक्सरसाइज की जा सकती है।
    • दिन में कम से कम आठ घंटे की नींद लें।
    • अपनी साइड पर सोने की कोशिश करें। ताकि, किडनी फंक्शन को प्रोमोट किया जा सके। इससे  आपके रेक्टम पर भी कम प्रेशर पड़ेगा।
    • अपने बॉडी पोस्चर को सही बनाए रखें और जितना हो सके पैरों को ऊपर रखें।
    • हाथों और लिंब्स की खुजली को कम करने के लिए विटामिन बी6 का सेवन करें। लेकिन, इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
    • चाइल्डबर्थ के बारे में पूरी इंफॉर्मेशन लें। 6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) या गर्भावस्था के किसी भी समय चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसकी जगह इस समय बरती जाने वाली प्रीकॉशन्स को लेकर जानकारी ग्रहण करें।
    • अपने दिमाग को पॉजिटिव और रिलैक्स रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें, गर्म पानी से नहाएं, म्यूजिक सुने और आपको जो पसंद हो वो करें।

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    यह तो थी जानकारी 6 मंथ प्रेग्नेंसी (6 Months Pregnancy) के बारे में। हालांकि, प्रेग्नेंसी के नौ महीने आसान नहीं होते। लेकिन, प्रेग्नेंसी के अन्य चरणों के मुकाबले इस मंथ को थोड़ा आसान माना जाता है। हर प्रेग्नेंसी अलग होती है।  इसलिए, ऐसा जरूरी नहीं कि इस दौरान हर महिला एक जैसे लक्षणों का ही अनुभव करे या उसे एक जैसी समस्याएं हों। यही कारण है कि मंथ चाहे कोई भी हो, आप चिंता छोड़ कर अपने इस सफर का पूरा मजा लें। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से इस बारे में जानना न भूलें।

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