क्या आप भी मां बनने के बाद डिप्रेशन में चली गई हैं? अगर आपका जवाब हां है तो यह सामान्य सी बात है। शायद आपको हैरानी होगी सुनकर कि कई महिलाओं को प्रसव के बाद बेबी ब्लूज और पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) से गुजरना पड़ता है। वहीं, अगर आकड़ों की बात की जाए तो डिलिवरी के तीन से दस दिनों के बाद महिलाओं में एक तरह की मानसिक स्थिति देखने को मिलती है, जिसे बेबी ब्लूज (Baby Blues) कहते हैं। इस आर्टिकल में जानते हैं प्रसव के बाद होने वाले डिप्रेशन से जुड़े कुछ फैक्ट्स के बारे में-
बेबी ब्लूज के बारे में तथ्य
- जिन महिलाओं में बायपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) होता है उनमें पोस्टपार्टम साइकोसिस (postpartum psychosis) की संभावना 40% अधिक होती है। उनमें से 10% मामलों में आत्महत्या या शिशु मृत्यु की संभावना देखी गई है।
- अवसाद, चिंता विकार या गंभीर मूड विकारों वाली महिलाओं में डिलिवरी के बाद अवसाद होने की संभावना 30% से 35% अधिक होती है।
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बेबी ब्लूज पर क्या कहती है रिसर्च
- एक अध्ययन में पाया गया कि एशियाई देशों में प्रसवोत्तर अवसाद (postpartum depression) की दर नई माताओं में 65% या उससे अधिक हो सकती है।
- लगभग 70-80% न्यू मॉम को शिशु के जन्म के चार-पांच दिनों के बाद कुछ नकारात्मक भावनाओं का सामना करना पड़ता है। चाइल्ड बर्थ (child birth) के पहले सप्ताह के दौरान लगभग 80 प्रतिशत तक महिलाओं में ‘बेबी ब्लूज’ देखने को मिलता है।
- डिलिवरी के बाद डिप्रेशन एक मनोदशा विकार (mood disorder) है जो महिलाओं को प्रसव के बाद प्रभावित कर सकता है।
- डर, अत्यधिक सेंसिटिव होना, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग (mood swings) जैसी समस्याएं ज्यादातर स्त्रियों में प्रसव के बाद देखने को मिलती हैं, इसे ही बेबी ब्लूज (baby blues) कहा जाता है। ये किसी भी महिला को हो सकता है।
क्यों होता है बेबी ब्लूज?
- बच्चे को जन्म देने के 3 से 5 दिन बाद मां असहाय, चिंतित, चिड़चिड़ी और परेशान महसूस करती हैं, जिसकी वजह से बेबी ब्लूज होता है।
- डिलिवरी के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक मूड स्विंग रहता है। समय के साथ जल्द ही यह समस्या दूर हो जाती है। अगर प्रसव के कई महीने बाद तक भी अगर महिला में ऐसे लक्षण मौजूद दिखें तो मेडिकल साइंस की भाषा में इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। आपको इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए।
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डिलिवरी के बाद बेबी ब्लूज
- बेबी ब्लूज में महिला को रोने की इच्छा, भूख और नींद न लगना, आत्महत्या का ख्याल आना आदि होता है।
- बेबी ब्लूज का कारण, प्रसव के तुरंत बाद होने वाला हॉर्मोनल बदलाव है। प्रेग्नेंसी के बाद महिला में हॉर्मोनल बदलाव बहुत तेजी से होता है। इसकी वजह से नई मां को मूड स्विंग होता है।
- बेबी ब्लूज आगे चल कर पोस्टपार्टम डिप्रेशन का रूप ले लेता है। इसके लक्षण बेबी ब्लूज से भी ज्यादा खतरनाक होते है।
भावनाओं में होता है तीव्र बदलाव
- बेबी ब्लूज में मां को एक पल खुशी तो दूसरे पल उदासी महसूस होती है।
- हारवर्ड हेल्थ पब्लिकेशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में तो यह बात भी सामने आई है कि मां के साथ-साथ पहली बार पिता बनने वाले 10 प्रतिशत और बच्चे के जन्म के बाद 25 प्रतिशत पुरुषों में भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन देखने को मिलता है।
- 10% से 20% मामलों में न्यू मॉम्स में नैदानिक प्रसवोत्तर (clinical postpartum depression) अवसाद मिलता है।
- हारवर्ड हेल्थ पब्लिकेशन में छपी एक स्टडी में पाया गया कि जन्म देने के एक साल बाद तक हर सात में से एक महिला पीपीडी यानी पोस्टपार्टम डिप्रेशन का अनुभव कर सकती है। संयुक्त राज्य में हर साल लगभग चार मिलियन (40 लाख) महिलाएं बच्चों को जन्म देती हैं। इसका मतलब है कि लगभग छह लाख महिलाएं डिलिवरी के बाद अवसाद का अनुभव करती हैं।
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बेबी ब्लूज से ऐसे करें बचाव
बेबी ब्लूज या पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कई तरीके के ट्रीटमेंट्स का संयोजन। यानी काउंसलिंग, दवाइयां और देखभाल के साथ-साथ मां बनी महिला को भावनात्मक सपोर्ट देना। काउंसलिंग में महिला को उसकी बीमारी के बारे में बताया जाता है, कि ये होना आम है और इससे कैसे निपटा जाए। लेकिन अगर डिलिवरी के बाद डिप्रेशन बहुत ज्याद है, तो इसके लिए डॉक्टर कुछ एंटी डिप्रेसेंट लिख सकता है। आपको इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
परिवार की लें मदद
बच्चे के जन्म के बाद यकीनन घर में खुशियां आ जाती है लेकिन एक बात का ध्यान हमेशा रखें कि नई मां बच्चे के जन्म के बाद कई विचारों से घिर जाती है। नई मां के मन में ये सवाल होता है कि वो कैसे बच्चे को पालेगी और साथ ही अपने स्वास्थ्य को कैसे जल्द वो ठीक कर पाएगी। बच्चे के जन्म के बाद मां शारीरिक रूप से कमजोर होती है, इसलिए वो अधिक परेशान रहती है। साथ ही उसे बच्चे की भी चिंता रहती है। इन सब बातों के बीच मूड का अचानक से परिवर्तन होना, चिंता होना, डिप्रेशन में चले जाना परिणाम के रूप में सामने आता है। ऐसे में परिवार के सदस्यों के साथ ही विशेष तौर पर बच्चे के पिता को पूरा सहयोग देना चाहिए। होने वाले पिता को समय-समय पर न्यू मॉम को ये एहसास दिलाना चाहिए कि वो हर कदम में उनके साथ हैं। साथ ही हर एक छोटी बात को भी ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से होने वाली मां की चिंता कम हो जाएगी और साथ ही पोस्टपार्टम डिप्रेशन की संभावना भी कम हो जाएगी। आपको इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको पोस्टपार्टम डिप्रेशन या बेबी ब्लूज से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें। उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको डिलिवरी के बाद किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या से गुजरना पड़ रहा है तो बेहतर होगा कि आप इस बारे में एक बार डॉक्टर से बात जरूर करें। बिना सलाह से आपकी सेहत खराब हो सकती है, जिसका असर बच्चे की सेहत पर भी दिखाई पड़ सकता है।
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