अगर आप प्रेग्नेंट (Pregnant) हैं और किसी प्रकार का अल्कॉहल, जैसे कि शराब आदि का सेवन करती हैं, तो आपको सावधान होने की जरुरत है। क्योंकि ऐसी स्थिति में आपका शराब पीना आपके पेट में पल रहे शिशु के विकास और स्वास्थ्य दोनों पर बुरा असर डाल सकता है। प्रेग्नेंसी में शराब का सेवन करने से नवजात में फेटल अल्कोहल सिंड्रोम की समस्या घर कर जाती है। इसे एफएएसडी ( फेटल अल्कोहल सिंड्रोम )के रूप में भी पहचाना जाता है। नवजात बच्चों में यह विकार कम और गंभीर दोनों रूप में हो सकते हैं, जो स्थायी और बुढ़ापे तक परेशान करते हैं। साथ ही इससे बच्चों में कई मानसिक (Mentally) और शारीरिक ( Physically) दोष भी हो सकते हैं।
फेटल अल्कोहल सिंड्रोम के प्रकार
बता दें कि भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम बेहद गंभीर स्थिति है। एफएएस से पीड़ितों में सुनने, याद्दशात, देखने और ध्यान देने की क्षमता कम होती है। इनमें संवाद करने और सीखने की क्षमता भी अन्य के मुकाबले कम होती है। ये हैं इसके प्रकार।
- फेटल अल्कोहल सिंड्रोम (FAS)
- आंशिक फेटल अल्कोहल सिंड्रोम
- अल्कोहल से संबंधित जन्म दोष
- अल्कोहल से संबंधित न्यूरोडेवलपमेंट विकार
- जन्म के पूर्व अल्कोहल के संपर्क में आने वाले तंत्रिका संबंधी विकार
फेटल अल्कोहल सिंड्रोम के कारण
गर्भवती महिला के शराब पीने से यह उनके नाल से भ्रूण के पास आसानी से पहुंच जाता है। गर्भधारण की स्थिति मेंर पचा नहीं पाता है और अल्काॅहल जमा होने लगता है, जिस कारण भ्रूम में पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन की कमी होने लगती है।
अगर गर्भवती महिला को शराब की लत ज्यादा है तो यह उनके साथ-साथ बच्चे के लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। कई शोध में इस बात की भी पुष्टि हो चुकी है कि गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में शराब का सेवन जोखिम भरा होता है।
वहीं, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के गाइडलाइन के मुताबिक, गर्भावस्था के पूरे पीरियड में किसी भी वक्त शराब पीना खतरे से खाली नहीं है।
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फेटल अल्कोहल सिंड्रोम के लक्षण
भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम के कई संभावित लक्षण हैं जो बच्चों में आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें मानसिक से लेकर शारीरिक प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं।
शारीरिक लक्षण
चेहरे पर कई असामान्यताएं, जैसे कि चौड़ी और छोटी आंखें, ऊपरी होठ का अधिक पतला होना, छोटी और भद्दी नाक, कम हाइट और कम वजन, छोटा सिर, गुर्दे में खराबी, जोड़ों, अंगों और उंगलियों में विकृति, जन्म से पहले और बाद में शारीरिक विकास धीमा,
दिल से संबंधित कई समस्याएं, किडनी और हड्डियों में कमजोरी, देखने और सुनने में कमी, छोटा सिर और एक्टिव न होना।
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मानसिक लक्षण
ऐसे लोग शुरुआत से लेकर अंत तक सोचने और समझने के कच्चे होते हैं। इनमें ध्यान की बहुत बड़ी कमी होती है। इनमें अपनी बात को व्यक्त करने में भी हिचकिचाहट होती है। बौद्धिक रूप से कमजोर और अन्य लोगों से समन्वय बैठाने में लचर होते हैं। इनमें निर्णय लेने की क्षमता का आभाव होता है। घबराहट या अति सक्रियता, व्यवहार में जल्दी-जल्दी बुरा बदलाव आना। तर्क और समस्या को हल करने में कठिनाई होना।
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फेटल अल्कोहल सिंड्रोम जटिलताएं
- भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम से पीड़ितों में समय-समय पर इन समस्याओं को भी देखा जाता हैं। जैसे…
- ध्यान में कमी और अति-सक्रितयता (ADHD)
- आक्रामकता, अनुचित सामाजिक व्यवहार व नियम और कानून को न मानना
- शराब या नशीली दवाओं का दुरुपयोग करना
- मानसिक स्वास्थ्य विकार, जैसे अवसाद, चिंता या खाने के विकार
- स्कूल में रहने और समय से पहले छोड़ देने की समस्या
- अनुचित यौन व्यवहार होना
- समय से पहले मौत होना
- सामाजिक और व्यवाहारिक रूप से परेशानी
- भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में सामाजिक और व्यवाहारिक रूप से कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे…
- स्कूल में अन्य बच्चों की तुलना में अलग व्यवहार
- दूसरों से बातचीत करने और उनके संग तालमेल बैठाने में दिक्कत
- खराब सामाजिक कौशल
- एक काम से दूसरे काम को शुरू करने और उसे बदलने में कठिनाई होना
- व्यवहार और गुस्से पर नियंत्रण न होना
- किसी काम को लगातार करने में कमजोर
- लक्ष्य निर्धारित कर उसे हासिल करने में कमजोर
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फेटल अल्कोहल सिंड्रोम का निदान
यदि आप गर्भावस्था दिनों में शराब का सेवन कर रही हैं तो एक बार डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें। डॉक्टर को इस बात की जानकारी दें कि आपने गर्भावस्था के दिनों में क्या खाया और पिया है। यदि आपको डिलवरी के कुछ समय बाद आपको अपने बच्चे में कुछ असामान्य चींजें नजर आए तो भी डॉक्टर से परामर्श करें। यदि आपको अपने बच्चे में किसी भी वक्त निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर को बताएं जिससे कि आपके बच्चे का समय रहते इलाज किया जा सके। ये बड़े संकेत हैं…
- बच्चे का धीमा विकास होना
- चेहरे का आसामान्य होना
- सुनने और देखने में कमी होना
- समन्वय बैठाने में कमजोर महसूस करना
ध्यान दें बच्चे में भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम जन्म से ही पैदा होता है जो उम्र के किसी भी पड़ाव पर देखा जा सकता है। साथ ही बच्चों में यह विकार समय से इलाज न कराने पर लंबे समय बने रहते हैं। बता दें कि इससे बच्चे की तंत्रिका तंत्र में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं जो बीमारी से पीड़ित को दिमागी रूप से कमजोर और बीमार बनाता है।
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फेटल अल्कोहल सिंड्रोम पर ऐसे लगाएं रोकथाम
विशेषज्ञों को मानना है कि अगर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन नहीं करती हैं, तो भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम पर पूरी तरह से रोकथाम लगाई जा सकती है। ये दिशानिर्देश भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम को रोकने में मदद कर सकते हैं।
गर्भवती होने से पहले छोड़ दें शराब
अगर आप गर्भवती होना चाहती हैं तो शराब का सेवन तुरंत बंद कर दें. शराब छोड़ने के बाद ही प्रेग्नेंसी के लिए प्लान करें।
गर्भावस्था के दौरान न करें शराब का सेवन
यदि आपने प्रेग्नेंट होने से पहले शराब का सेवन हीं छोड़ा है तो आप अपने होने वाले बच्चे को भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम से पूरे गर्भावस्था पीरियड के दौरान शराब की एक बूंद न पीकर बचा सकते हैं.
असुरक्षित यौन संबंध के दौरान न ले शराब
यदि आप रोजाना सेक्स करने की आदी हैं और असुरक्षित यौन संबंध बनाती हैं तो आपको इन दिनों में शराब को बिल्कुल भी हाथ नहीं लगाना चाहिए। असुरक्षित यौन संबंध में आपके गर्भवती होने की संभावना होती है।
शराब के आदी हैं तो करें ये काम
अगर आप शराब की आदी हैं और इसके चंगुल से नहीं निकल पा रही हैं और आप बेबी भी प्लान करना चाहती हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. आप दिन, हफ्ते और महीने में कितनी शराब का सेवन करती हैं यह सब डॉक्टर को उचित रूप से बताएं।
गर्भावस्था में शराब पीने के शारीरिक नुकसान
गर्भावस्था में शराब का सेवन मां और बच्चे दाेनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे उनमें कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम उत्पन्न हो सकती है, जैसे कि कैंसर और हार्ट डिजीज आदि। इसलिए डॉक्टर की मानें, तो प्रेग्नेंसी के समय अल्कोहल के सेवन से बचना चाहिए।
कैंसर
गर्भावस्था में शराब पीने के लिए कई शारीरिक नुकसान हो सकते हैं, मां और शिशु दोनों के लिए। जिनमें से एक है कैंसर होने का खतरा। इस बार में साहनी हॉस्पिटल की गायनेकाेलॉजिस्ट डॉक्टर संतोष सहानी का कहना है कि प्रेग्नेंसी में शराब के सेवन से मां और शिशु दोनों में कैंसर का खतरा सकता है। खतरा तब और भी ज्यादा बढ़ जाता है जब शरीर में शराब एसीटैल्डिहाइड, शक्तिशाली कैसरजन में परिवर्तित हो जाता है। शराब के अधिक उपयोग से मुंह, गले, ग्रासनली, लीवर, स्तन, पेट और मलाशय के कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक रहता हैं।इसका का खतरा उन लोगों में और भी अधिक बढ़ जाता है, जो बहुत अधिक शराब पीने के साथ तम्बाकू का सेवन भी करते हैं।
हृदय रोग
प्रेग्नेंट महिला में शराब अधिक पीने के कारण प्लेटलेट्स की ब्लड क्लॉट्स के रूप में जमा होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा होना मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। जिसके कारण प्रेग्नेंस महिला में हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। शराब के सेवन से मां में पीने वाले उन लोगों में मौत का खतरा दोगुना हो जाता है, जिन्हें पहले हार्ट अटैक आ चुका है।
डिमेंशिया यानी पागलपन
उम्र बढ़ने के साथ लोगों में औसत रूप से लगभग 1.9 प्रतिशत की दर से मस्तिष्क सिकुड़ता है। इसे सामान्य माना जाता है। लेकिन अधिक शराब पीने से मस्तिष्क के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों में इस संकुचन की गति बढ़ जाती है जिसके कारण स्मृति हानि और डिमेंशिया के अन्य लक्षण दिखाई देते हैं।
1996 में उठाया गया ये कदम
बता दें कि भ्रूण अल्कोहल प्रभाव (FAE) का इस्तेमाल पहले किसी व्यक्ति में बौद्धिक अक्षमता, व्यवहार और सीखने की समस्याओं को जानने के लिए किया गया था। वहीं, 1996 में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन (IOM) ने एफएई (FAE) को शराब से संबंधित न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर (ARND) और जन्म दोष (ARBD) में बदल दिया था।
न्यूरोएहैवियरल डिसऑर्डर को प्रीनेटल अल्कोहल एक्सपोजर (ND-PAE) के साथ जोड़ा गया:
ND-PAE को पहली बार 2013 में अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन (APA) के डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल 5 (DSM 5) में शामिल किया गया। बता दें कि एनडी-पीएई स्थिति वो होती है जिसमें भ्रूण अल्कोहल डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति सोचने, व्यवहार करने और क्षमता-दक्षता कम होती है। लोगों में एनडी-पीएई गर्भावस्था के दौरान शराब के संपर्क में आने से होता है।
इस आर्टिकल को पढ़कर आपने जाना होगा कि शिशु के विकास के लिए किस तरह से शराब या अन्य अल्कोहल का सवेन हानिकारक साबित हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए। ऐसा करना मां और शिशु दोनों की सेहत के लिए अच्छा है।
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