परिचय
हर महिला अपने जीवन में मां बनने का सुख पाना चाहती है। हालांकि, गर्भावस्था कई महिलाओं में संक्रमण फैलने के जोखिम को बढ़ा देती है। प्रेग्नेंसी इन संक्रमणों को अधिक गंभीर भी बना सकती है। यहां तक कि सामान्य संक्रमण भी गंभीर रोग का कारण बन सकते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले कुछ संक्रमण मुख्य रूप से मां को प्रभावित करते हैं। अन्य संक्रमण प्लेसेंटा के जरिए या जन्म के दौरान शिशु में जा सकते हैं। ऐसा होने पर शिशु की जान भी खतरे में आ सकती है।
गर्भावस्था के दौरान होने वाले संक्रमण गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी या जन्मजात विकारों का कारण बन सकते हैं। यह मां और शिशु दोनों के लिए ही जानलेवा हो सकते हैं। इसके अलावा स्थिति को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के कई गंभीर दुष्प्रभाव भी पड़ सकते हैं जो खासतौर से शिशु को प्रभावित करते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान या शिशु को जन्म देने के बाद महिलाओं में सेप्सिस (ब्लड इन्फेक्शन) होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
सेप्सिस एक जानलेवा स्थिति होती है जो शरीर की सुरक्षा प्रणाली में खराबी आने के कारण उत्पन्न होती है। आमतौर पर शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए खून में रसायन छोड़ता है। सेप्सिस तब उत्पन्न होता है जब शरीर में इन रसायनों की प्रतिक्रिया असंतुलित हो जाती है। इन बदलावों के कारण कई अंग क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।
यदि सेप्सिस सेप्टिक शॉक में तब्दील हो जाता है तो ब्लड प्रेशर तेजी से गिरने लगता है जिसके कारण मृत्यु भी हो सकती है। कई बार ऐसा सुरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) के संक्रमण से अत्यधिक समय तक लड़ने पर भी हो सकता है। इस स्थिति को सेप्टीसीमिया भी कहा जाता है।
खून में अधिक मात्रा में निकले रसायनों के कारण सूजन काफी जगहों पर फैलने लगती है। सेप्सिस के दौरान खून के थक्के जमने से लिम्ब और अंदरूनी अंगों तक रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इसके कारण उन तक पोषक तत्व और ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाते हैं। कुछ गंभीर मामलों में एक या उससे अधिक अंग काम करना बंद कर देते हैं।
बेहद खराब मामलों में सेप्सिस की वजह से ब्लड प्रेशर इतना कम हो जाता है कि मृत्यु हो सकती है। डॉक्टर इसे सेप्टिक शॉक कहते हैं। यह एक दम से कई अंगों जैसे फेफड़े, गुर्दे और लिवर के फेल होने पर होता है। कुछ मामलों में यह बेहद घातक हो सकता है।
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मैटरनल सेप्सिस क्या है? – What is maternal sepsis
मैटरनल सेप्सिस गर्भाशय का गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो आमतौर पर गर्भवती महिलाओं में पाया जाता है। यह ज्यादातर शिशु को जन्म देने से कुछ दिन पहले होता है। जन्म देने के बाद होने वाले संक्रमण को प्रासविक सेप्सिस (puerperal sepsis) कहते हैं।
ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकॉकस (GAS) नामक बैक्टीरिया मैटरनल सेप्सिस का मुख्य कारण होता है। जीएएस के कारण आमतौर पर गले और त्वचा पर संक्रमण के लक्षण दिखाई दे सकते हैं या कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। कई बार बैक्टीरिया शरीर की सुरक्षा प्रणाली को नष्ट करने लगता और सेप्सिस का कारण बन जाता है। संक्रमण गर्भाशय में पाया जाता है या उसके आसपास की ट्यूब, ओवरी या रक्त प्रवाह के कारण पूरे शरीर में फैल सकता है।
एक समय पर मैटरनल सेप्सिस जन्म के बाद मां की मृत्यु का एक सामान्य कारण हुआ करता था। हालांकि, साफ-सफाई और दवाओं की मदद से अब यह एक दुर्लभ रोग है।
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मैटरनल सेप्सिस के लक्षण – Maternal sepsis ke lakshan
मैटरनल सेप्सिस में बुखार के साथ निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं-
- सर्दी-जुकाम और आमतौर पर अस्वस्थ महसूस होना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
- योनि के सफेद डिस्चार्ज से बदबू आना
- योनि से खून बहना
- कमजोरी और बेहोशी
यदि आप गर्भवती हैं या हाल ही में शिशु को जन्म दिया है तो इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह एक आपातकालीन स्थिति हो सकती है जिसे नजरअंदाज न करें।
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मैटरनल सेप्सिस के कारण? – Maternal sepsis ke karan
जीएएस नाक और गले के तरल पदार्थ के संपर्क में आने पर व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। इसके अलावा क्षतिग्रस्त त्वचा के संपर्क में आने से भी जीएएस फैल सकता है। कुछ लोगों की त्वचा पर बिना किसी लक्षण के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं।
मैटरनल सेप्सिस तब होता है जब जीएएस संक्रमण हाथ, सर्जरी या डिलीवरी के उपकरणों की वजह से योनि के संपर्क में आ जाता है। जीएएस त्वचा के खुले घाव या क्षतिग्रस्त हुए ऊतक के संपर्क में आने पर बेहद तेजी से फैलता है। ऐसा जन्म देते समय होना बेहद आम है।
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मैटरनल सेप्सिस के जोखिम कारक – Risk factors of Maternal sepsis
मैटरनल सेप्सिस के जोखिम कारकों में निम्न शामिल हैं :
- सिजेरियन सेक्शन (सर्जरी द्वारा डिलीवरी)
- लंबे समय तक लेबर न होना या झिल्ली का जल्दी टूट जाना
- लेबर के दौरान योनि के कई परीक्षण करवाना
- त्वचा के क्षतिग्रस्त या मृत ऊतक
- डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा के टुकड़े गर्भाशय में छूट जाना
- डिलीवरी के दिनों में हाथ न धोना व अन्य साफ-सफाई के नियमों का पालन न करना
- गले में खराश या श्वसन संबंधी समस्या होना या इन समस्याओं से ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आना
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मैटरनल सेप्सिस का इलाज – Maternal sepsis treatment
प्रेग्नेंसी एक सामान्य व स्वास्थ्य स्थिति है जो हर महिला के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। हालांकि, गर्भावस्था महिलाओं को कई प्रकार के संक्रमणों की चपेट में आने के अधीन कर देती है। गर्भावस्था के कारण सामान्य संक्रमण भी गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। ऐसे में इलाज थोड़ा मुश्किल हो जाता है और दवाओं के दुष्प्रभावों के कारण बच्चे की जान भी खतरे में आ जाती है।
मैटरनल सेप्सिस में आमतौर पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता होती है जहां उसका एंटीबायोटिक की मदद से इलाज किया जाता है।
यदि डॉक्टर को गर्भावस्था या डिलीवरी के दौरान सेप्सिस के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह आपको कुछ टेस्ट व स्कैन करवाने की सलाह दे सकते हैं जिनकी मदद से वह निम्न स्थितियों की जांच कर सकें :
- खून या शरीर के अन्य तरल पदार्थों में बैक्टीरिया
- एक्स-रे, सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड की मदद से संक्रमण के स्रोत का पता लगाना
- सफेद रक्त कोशिकाओं की अधिक या कम मात्रा की पहचान
- प्लेटलेट की संख्या में कमी
- लो ब्लड प्रेशर
- खून में अत्यधिक एसिड होना (एसिडोसिस)
- किडनी या लिवर की प्रक्रियाओं में खराबी
आप में मैटरनल सेप्सिस के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर आपको आईसीयू में रखने की सलाह देंगे। वहां वह संक्रमण को रोकने, महत्पूर्ण अंगों की प्रकिया में मदद करने और रक्त प्रवाह को संतुलित करने की कोशिश करेंगे।
इंफेक्शन के कारण की पुष्टि होने पर डॉक्टर दवाओं की मदद से उस विशेष संक्रमण के इलाज की प्रक्रिया को शुरू कर देंगे। कुछ गंभीर मामलों में संक्रमण को बाहर निकालने के लिए सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
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मैटरनल सेप्सिस का रोकथाम – Precautions for maternal sepsis
गर्भावस्था के दौरान साफ-सफाई रखें खासतौर से शिशु को जन्म देने के कुछ दिन पहले। मैटरनल सेप्सिस के खतरे को कम करने के लिए आप निम्न बातों का पालन कर सकते हैं :
- योनि और गुदा के बीच की त्वचा को साफ रखने के लिए रोजाना स्नान करें।
- गुदा से योनि तक बैक्टीरिया को फैलने से रोकने के लिए उस जगह को नियमित रूप से साफ करें।
- रोजाना मैटरनिटी पैड्स को बदलें, टॉयलेट जाते समय जब भी आप पैड्स पर दाग देखें तो उसे बदलें। इसके अलावा शुरुआती दिनों में कम से कम 4 बार पैड्स बदलें।
- डॉक्टर की सलाह के बिना टैम्पन (tampons) का इस्तेमाल न करें।
- साबुन से 15 सेकंड तक हाथ धोएं और बाथरूम व पैड्स बदलने के बाद हाथ धोना न भूलें।
मैटरनल सेप्सिस की जल्दी पहचान होने व इलाज करवाने से जान जाने के जोखिम को कम किया जा सकता है। गर्भावस्था या शिशु को जन्म देने का बाद अस्वस्थ महसूस करने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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