अगर प्रेग्नेंसी के दौरान आपको किसी प्रकार की समस्या नहीं, तो यकीनन आप पूरी तरह से अपनी प्रेग्नेंसी को एंजॉय कर सकते हैं। प्रेग्नेंसी के पहले या फिर प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या होने पर महिलाओं के मन में शंका बनी रहती है कि कहीं किसी कारण से उनके होने वाले बच्चे पर बुरा असर न पड़े। कुछ बीमारियां ऐसी होती है, जो आपकी प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लीकेशंस पैदा कर सकती हैं या फिर ट्रीटमेंट न कराने पर बड़ी समस्या का कारण भी बन सकती हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको अल्सरेटिव कोलाइटिस और प्रेग्नेंसी (Ulcerative Colitis and Pregnancy) के बारे में जानकारी देंगे। जानिए प्रेग्नेंसी में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis in pregnancy) के कारण आपको प्रेग्नेंसी के समय किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है और साथ ही हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए क्या किया जा सकता है।
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अल्सरेटिव कोलाइटिस और प्रेग्नेंसी (Ulcerative Colitis and Pregnancy)
अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) डाइजेस्टिव सिस्टम से संबंधित समस्या है, जिसमें बड़ी आंत यानी लार्ज इंटेस्टाइन में जलन की समस्या पैदा हो जाती है। अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो ये पाचन तंत्र में अल्सर का कारण बन जाती है। अल्सर में धीरे-धीरे पस पड़ने लगता है और फिर स्टूल में ब्लड आने की समस्या भी होने लगती है। ये बीमारी अनुवांशिक हो सकती है और महिला या पुरुष को 15 से 35 वर्ष की आयु में होने की संभावना अधिक रहती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस होने पर पेट में दर्द, लूज मोशन, कमजोरी का एहसास (Feeling of weakness), ज्वाइंट्स में दर्द आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। प्रेग्नेंसी में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis in pregnancy) कुछ चुनौतियों का कारण बन सकता है। अगर आपको अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) की समस्या है और आप कंसीव करने के बारे में सोच रही है, तो ये जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है।
अल्सरेटिव कोलाइटिस के कारण क्या कंसीव करने में हो सकती है समस्या?
अल्सरेटिव कोलाइटिस होने पर आपके कंसीव करने में कोई समस्या नहीं आता है। अगर आपकी सर्जरी हो चुकी है, तो कंसीव करने में समस्या हो सकती है। फुल कोलेक्टॉमी (Full colectomy) में सर्जन पूरी बड़ी आंत को हटा देता है और एक इंटरनल पाउच क्रिएट करता है। इस कारण से पेल्विक टिशू में कुछ निशान पड़ जाते हैं। अगर आपको सर्जरी करने की जरूरत है और आप बच्चा चाहती हैं, तो आपका डॉक्टर पार्सियल कोलेक्टोमी (Partial colectomy) की मदद से बाहर की तरफ एक पाउच बना देते हैं। इससे आपके प्रेग्नेंट होने के चांस में कोई कमी नहीं आती है। बच्चा हो जाने के बाद सर्जन बची हुई इंटेस्टाइन को हटा देते हैं और अंदर की तरह एक पाउच बना देते हैं।
प्रेग्नेंसी में अल्सरेटिव कोलाइटिस हो जाए, तो क्या प्रेग्नेंसी हो सकती है हेल्दी?
अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) की समस्या से पीड़ित होने के बाद अगर आप कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं, तो ऐसे आपको प्रॉपर ट्रीटमेंट की जरूरत है। आपको हेल्दी प्रेग्नेंसी (Healthy pregnancy) के लिए समय-समय पर गाइनी से मिलना चाहिए और साथ ही इस बात के बारे में भी जानकारी लेने की जरूरत है कि ऐसे में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की कितनी प्रतिशत संभावना है। मुख्य बात ये है कि आपको अल्सरेटिव कोलाइटिस को कंट्रोल में रखने की आवश्यकता है। इसके लिए आपको वजन की लगातार जांच करनी होगी और साथ ही पोषण से भरपूर डायट का सेवन करना होगा। बैलेंस्ड डायट (Balance diet) की मदद से आप हेल्दी प्रेग्नेंसी एंजॉय कर सकते हैं। अगर कंसीव करते समय आपका वेट कम है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात जरूर करें और वजन को बढ़ाने के लिए हेल्दी वेट गेन फूड्स का सेवन करें।
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प्रेग्नेंसी में अल्सरेटिव कोलाइटिस का डायग्नोसिस (Diagnosis of ulcerative colitis in pregnancy)
प्रेग्नेंसी में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis in pregnancy) की मेडिकल प्रोसीजर के लिए ऑफ लिमिट हैं। कुछ टेस्ट महिला या भ्रूण को जोखिम में डाल सकती हैं। कुछ डायग्नोसिस्ट टूल्स प्रेग्नेंसी के दौरान सुरक्षित माने जाते हैं। इन प्रक्रियाओं में शामिल हैं:
- कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy)
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
- रेक्टम बायोप्सी (Rectal biopsy)
- अपर एंडोस्कोपी (Upper endoscopy)
प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट जैसे कि सीटी स्कैन या फिर एक्स-रे (X-ray) नहीं करते हैं। अगर इमरजेंसी होती है, तो ऐसे में इमेजिंग टेस्ट करना जरूरी हो जाता है। ऐसे में डॉक्टर प्रेग्नेंसी सेफ एमआरआई (Without the use of Gadolinium) किया जाता है।
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प्रेग्नेंसी में अल्सरेटिव कोलाइटिस का ट्रीटमेंट (Ulcerative colitis treatment in pregnancy)
प्रेग्नेंसी में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis in pregnancy) की समस्या होने पर डॉक्टर ट्रीटमेंट को अवॉयड करते हैं। ऐसे में अन्य ट्रीमेंट दिए जा सकते हैं। डॉक्टर ऐसे में मेडिकेशन को सुरक्षित मानते हैं और मेडिसिंस का इस्तेमाल ब्रेस्टफीडिंग के दौरान (Breastfeeding) भी सुरक्षित माना जाता है। अगर दवाओं का सेवन बंद कर दिया जाए, तो स्थिति अधिक खराब हो सकती है। प्रेग्नेंसी में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis in pregnancy) होने पर डॉक्टर अमीनोसैलिसिलेट्स (Aminosalicylates) जैसे कि सल्फासालजीन (Sulfasalazine) और मेसालेमिन (Mesalamine) लेने की सलाह दे सकते हैं। कुछ कंडीशन में डॉक्टर डोज को एडजस्ट भी कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर महिला प्रेग्नेंट होने पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग कर रही है, तो डॉक्टर जितना संभव हो सकता है, खुराक कम कर देते हैं। डॉक्टर प्रेग्नेंसी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotics), थैलिडोमाइड (Thalidomide) आदि को न लेने की सलाह देते हैं।
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अल्सरेटिव कोलाइटिस की समस्या के कारण न्यूट्रिएंट्स, विटामिन और मिनिरल्स का सही से अवशोषण नहीं हो पाता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक सावधानी की जरूरत होती है। आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए कि कौन-से फूड्स का सेवन किया जाए और फोलिक एसिड आदि की कितनी मात्रा का सेवन किया जाए। डॉक्टर आपको जरूरी मील प्लान के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही समय-समय पर रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बताएंगे। डायट के दौरान इन बातों का ध्यान रखें।
- खाने में आधी प्लेट फ्रूट्स के साथ ही आधी प्लेट सब्जियों को शामिल करें।
- खाने में व्होल ग्रेन भी शामिल करें।
- खाने में हाई फैट डेयरी जैसे कि दूध या दही का सेवन करें।
- खाने में नमक की मात्रा कम करें।
- खाने में फ्राइड के साथ ही शुगर युक्त फूड्स से दूरी बनाएं।
- नट्स, पॉपकॉर्न आदि से भी दूरी बनाएं क्योंकि ये सूजन को बढ़ाने का काम कर सकते हैं।
- पानी की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें वरना डिहायड्रेशन की समस्या हो सकती है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से प्रेग्नेंसी में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis in pregnancy) के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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