हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में गर्भाधान-संस्कार को सबसे महत्त्वपूर्ण माना गया है। इसे गर्भ संस्कार भी कहा जाता है। गर्भ संस्कार के फायदे इतने है कि इसकी अहमियत का उल्लेख महाभारत कथा के एक प्रसंग में भी है, गर्भावस्था के दौरान अर्जुन जब अपनी पत्नी सुभद्रा को चक्रव्यूह रचना का ज्ञान देते हैं। उस समय सुभद्रा के गर्भ में पले रहे अभिमन्यु भी इसे सीख लेते हैं। इसे गर्भ संस्कार का भाग कहना गलत नहीं होगा।
लखनऊ स्थित मेडिकल कॉलेज की रिटायर्ड गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शालिनी चंद्रा के अनुसार “गर्भ शिशु के लिए एक आदर्श वातावरण है। गर्भ में पल रहा शिशु शारीरिक स्पर्श से अधिक, मां की भावनात्मक स्थिति पर भी प्रतिक्रिया देता है। वह कहती हैं कि जब मां उदास फिल्में देखती हैं, तो शिशु कम रिस्पॉन्स करते हैं। लेकिन जब मां तेजी से हंसती है, तो गर्भ में शिशु ज्यादा प्रतिक्रियाएं देता है। उसी प्रकार प्रेग्नेंट महिला क्या/कैसा सोचती है? क्या पढ़ती है? उसका असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इसलिए, प्रेग्नेंट महिला को गर्भावस्था के समय अच्छी सोच रखने की सलाह दी जाती है।’ “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर यह गर्भ संस्कार क्या है? इसका महत्व क्या है?
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गर्भ संस्कार क्या है?
गर्भ में पल रहे शिशु को शिक्षा देना ही गर्भाधान या फिर गर्भ संस्कार कहलाता है। वैदिक काल में भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से हिंदू धर्म में यह माना जाता था कि गर्भ से ही शिशु के पारंपरिक और आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा शुरू हो जाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान मां सकारात्मक रहेगी, तो शिशु की सोच व व्यवहार पर उसका असर पड़ेगा। इस बात से हर कोई सहमत होगा कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला जो कुछ भी खाती है, सोचती है या पढ़ती है उसका असर शिशु पर जरूर होता है। इसलिए, जन्म के बाद नहीं बल्कि गर्भ से ही शिशु को संस्कार देने की बात सनातन धर्म में कही गई है। उससे पहले दिए गए संस्कार भी उस पर असर डालते हैं।
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गर्भवती होने पर गर्भ संस्कार कब शुरू करें?
गर्भ संस्कार केवल गर्भावस्था के दौरान की जाने वाली देखभाल के बारे में नहीं है, बल्कि इसकी तैयारी गर्भाधान से कम से कम एक वर्ष पहले ही शुरू हो जाती है। यह संस्कार गर्भावस्था से पहले, गर्भावस्था की पूरी अवधि और स्तनपान के समय को कवर करता है। ऐसा माना जाता है कि गर्भाधान संस्कार पूरी गर्भावस्था के साथ-साथ शिशु के दो वर्ष पूरे होने तक चलता है।
गर्भ संस्कार के अंतर्गत कौन-कौन सी गतिविधियां शामिल हैं?
गर्भ संस्कार शिशु और प्रेग्नेंट महिला के भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए फायदेमंद है। ये कुछ गतिविधियां जिनका पालन गर्भाधान संस्कार के दौरान करना चाहिए :
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गर्भ संस्कार के फायदे में से एक है सकारात्मक सोच (Positive thinking)
प्रेग्नेंसी के दौरान महिला की मनोदशा में काफी बदलाव आते हैं लेकिन, यह संस्कार उन भावनाओं को नियंत्रित करके पॉजिटिव सोच बनाए रखने में सहायता करता है। गर्भ संस्कार के फायदे में एक सबसे असरदार प्रभाव है कि इससे बच्चा पॉजिटिव सोच विकसित करता है।
गर्भ संस्कार के फायदे में अच्छा आहार (Healthy diet)
प्रेग्नेंसी में स्वस्थ और संतुलित आहार बेहद जरूरी है, क्योंकि गर्भ में शिशु का विकास मां के पोषण पर निर्भर करता है। इसलिए, डॉक्टर मां को विटामिन और खनिजों से भरपूर खाना खाने की सलाह देते हैं। गर्भ संस्कार के तहत सात्विक भोजन करना चाहिए। गर्भ संस्कार के फायदे में हेल्दी डायट भी एक भाग है। सादा और अच्छा भोजन हमेशा स्वास्थ के लिए अच्छा होता है। डॉक्टर भी इन कारणों से सिंपल और सादा खाना खाने की सलाह देते हैं।
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संगीत (Music)
म्यूजिक सुनने से मन को शांति मिलती है। संगीत स्ट्रेस को दूर करने में भी हेल्प कर सकता है। अगर गर्भवती महिला अच्छा संगीत सुनती है, तो शिशु पर भी उसका प्रभाव पड़ता है और वह खुश रहता है। गर्भ संस्कार के फायदे में म्यूजिक का असर भी होता है। आपको जैसा म्यूजिक पसंद हो वैसा ही संगीत बच्चा भी पसंद करता है। बच्चे के ऊपर कोई भी अच्छा संगीत पसंद आता है।
व्यायाम (Exercise)
डॉक्टर के परामर्श पर प्रेग्नेंट महिला को हल्के-फुल्के व्यायाम और योग करते रहना चाहिए। इससे शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास अच्छा होता है। इससे प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाला तनाव दूर रहेगा। गर्भ संस्कार के फायदे में व्यायाम की सलाह भी डॉक्टर देते हैं। गर्भ संस्कार के फायदे के लिए सही समय पर एक्सरसाइज करना जरूरी होता है। यह मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होता है।
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गर्भ संस्कार से क्या-क्या लाभ मिलते हैं?
- गर्भ संस्कार से गर्भ में पल रहे शिशु में अच्छे गुणों का विकास हो सकता है।
- गर्भ संस्कार के कारण शिशु शांत स्वभाव का, तेजस्वी, संस्कारवान, हेल्दी और बुद्धिमान हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ संस्कार से शिशु में सकारात्मकता का विकास होता है।
- गर्भ में बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर होता है।
गर्भ संस्कार से सिर्फ शिशु को ही नहीं बल्कि प्रेग्नेंट महिला को भी बहुत फायदे मिलते हैं। अगर महिला कंसीव करने के बारे में सोच रही है या प्रेग्नेंट है, तो वे गर्भाधान संस्कार की प्रॉसेस अपना सकती है। इससे प्रेग्नेंसी में भी सहायता मिलती है और जन्म के समय बच्चा स्वस्थ पैदा होता है। गर्भ संस्कार के फायदे को बहुत पुराने समय से माना जाता है। इसके लिए डॉक्टर भी सलाह देते हैं। प्रेग्नेंट महिला के पास यह समय अपने बच्चे के साथ कनेक्ट करने के लिए होता है। महिला अपने बच्चे के साथ इस दौरान कनेक्ट कर सकती है। यह हमेशा फायदेमंद होता है। गर्भ संस्कार की धारणा बहुत पुरानी है और सालों से लोग इसको फॉलो कर रहे हैं। प्रेग्नेंट महिला इसके माध्यम से अपने होने वाले बच्चे को जानने और पहचानने लगती है। साथ ही भ्रूण भी अपनी मां की आहट पहचानने लगता है।
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