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दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर महिलाएं पूछती हैं ये सवाल

दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर महिलाएं पूछती हैं ये सवाल

पहली बार मां बनने के बाद एक मां के साथ बहुत सारे एहसास जुड़ जाते हैं। दूसरी प्रेग्नेंसी के बारे में सोचने से पहले महिलाओं के मन में बहुत सी बातें आती हैं। इन बातों का संबंध पहले बच्चे से, होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य, सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में पड़ने वाले प्रभाव आदि से हो सकता है। हो सकता है कि आपके मन में भी सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ सवाल आ रहे हों। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए उनके जवाब।

हैलो स्वास्थ्य ने फोर्टिस हॉस्पिटल की कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्‍ट डॉ. सगारिका बसु से दूसरी प्रेग्नेंसी के बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि ‘सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान महिला की बॉडी क्या रिस्पॉन्स कर रही है, ये बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर महिला को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है तो दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान उसे समस्या नहीं होनी चाहिए।’ 

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1. दूसरी बार मां बनने पर क्या ज्यादा थकान महसूस होती है?

कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्‍ट  डॉ. सगारिका बसु  कहती हैं कि,’ दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान मां के ऊपर अधिक जिम्मेदारी हो सकती है। सभी महिलाओं को सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक थकान महसूस हो, ये जरूरी नहीं है। बच्चे की जिम्मेदारी के कारण महिलाएं थकने के बावजूद सही से नींद नहीं ले पाती है। इस कारण से उन्हें अधिक थकान महसूस होती है। दूसरा कारण घर का माहौल हो सकता है।

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पहली प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को घर में खास तरह की देखभाल दी जाती है। वहीं दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान पार्टनर को भी यह महसूस होता है कि उनकी पत्नी अब सबकुछ आराम से डील कर सकती हैं। इन कारणों की वजह से भी दूसरी बार प्रेग्नेंट हुई महिला के रिलैक्सेशन में कमी आ सकती है। अगर महिला को ऐसा महसूस हो रहा कि थकावट के बावजूद भी वो आराम नहीं कर पा रही है तो घर के सदस्यों की मदद लेने से पहले हिचकिचाना नहीं चाहिए। जब भी थकान महसूस हो, कुछ समय तक आराम करें।

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2. डिलिवरी के वक्त क्या ज्यादा दर्द हो सकता है?

दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान डिलिवरी के संबंध में रिसर्च की गई। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि पहली बार की तुलना में महिलाओं को दूसरी प्रेग्नेंसी में जल्दी लेबर हो सकता है। कहने का मतलब ये है कि जो हो सकता है आपको पहली प्रेग्नेंसी के दौरान लेबर पेन नौवें महीने के आखिरी में शुरू हुआ। वहीं दूसरी प्रेग्नेंसी में लेबर पेन आठ महीने के बाद कभी भी शुरू हो सकता है। ऐसा सभी महिलाओं के साथ हो, ये जरूरी नहीं है, लेकिन ज्यादातर महिलाओं के साथ ऐसा हो सकता है।

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3.मेरा पहला बच्चा छोटा है, उसे कब बताएं कि नया मेहमान आने वाला है ?

ये बहुत ही निजी मामला है। पहले बच्चे को दूसरी प्रेग्नेंसी के बारे में जानकारी देने के लिए आपको दूसरी से तीसरी तिमाही का इंतजार करना चाहिए। अगर आपका बच्चा छोटा है तो सकता है कि उसको कुछ समझ न आए। आप चाहे तो तीन साल से कम उम्र के बच्चे को नए मेहमान के आने के बारे में अपने अंदाज में खबर दे सकती हैं। आप कह सकती हैं कि उसके साथ खेलने वाला एक और दोस्त या बेबी आ रहा है। हो सकता है कि आपकी बात सुनकर बच्चा बहुत उत्साहित हो जाए। अगर बच्चा पांच साल तक का है तो आप उसे दूसरी तिमाही के बाद कभी भी इस बात की जानकारी दे सकती हैं।

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4. दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान क्या ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवाना चाहिए?

दूसरी प्रेग्नेंसी के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराना या न कराना आपका फैसला है। डॉ. सगारिका बसु कहती हैं कि ‘प्रेग्नेंसी के दौरान मां को भी न्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है। लेक्टेशन के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत पड़ती है। अगर महिला बैलेंस डायट ले रही है तो सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान भी ब्रेस्टफीडिंग कराई जा सकती है।’ रिसर्च से ये बात सामने आई है कि प्रग्नेंसी के दौरान ब्रेस्टफीडिंग कराने से होने वाले बच्चे के वजन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। साथ ही मिसकैरिज का भी कोई खतरा नहीं रहता है। पहले बच्चे को एक साल के अंदर ब्रेस्टफीड करवाना बंद कर दिया जाए तो बेहतर रहेगा। छह माह के बाद बच्चे दूध के अलावा दाल का पानी व चावल का पानी लेना शुरू कर देते हैं। ऐसे में एक साल के बाद तक स्तनपान बंद किया जा सकता है। बच्चे को गाय का दूध दिया जा सकता है।

5. दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान क्या कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं?

अगर पहली प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या नहीं रही है तो दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशन का रिस्क कम हो जाता है। दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ कॉम्प्लिकेशन जैसे प्लेसेंटल एब्रप्शन( Placental abruption), पोस्टपार्टन हैम्ब्रेज ( Postpartum hemorrhage) की समस्या हो सकती है। ऐसा उन महिलाओं में ज्यादा होता है जिनके दो से ज्यादा बच्चे होते हैं।

अगर आपको पहली प्रेग्नेंसी में प्रीटर्म लेबर और बर्थ, प्री क्लेम्पिसया (preeclampsia), प्लासेंटल एब्रप्शन (placental abruption) की समस्या हो चुकी है तो सेकेंड प्रेग्नेंसी में भी इनका हाई रिस्क हो सकता है। क्रोनिक मेडिकल कंडीशन भी सेकेंड प्रेग्नेंसी में दिक्कत कर सकती है।

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6.सेकेंड प्रेग्नेंसी के बाद पोस्टपार्टम रिकवरी अलग हो सकती है?

डॉ. सगारिका बसु कहती है कि ‘ऐसा जरूरी नहीं है कि सेकेंड प्रेग्नेंसी के बाद पोस्टपार्टम रिकवरी में ज्यादा समय लगें। ये बात कुछ महिलाओं की शारीरिक स्थिति पर निर्भर कर सकती है।’ सेकेंड प्रेग्नेंसी के बाद पेट में संकुचन का अहसास तेज भी हो सकता है। बच्चे के जन्म के बाद यूट्रस सिकुड़ जाता है। पहली प्रेग्नेंसी के बाद गर्भाशय की मांसपेशियां बेहतर ढंग से टोन हो जाती है। सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसा नहीं हो पाता है। गर्भाशय में रुक-रुक कर संकुचन हो सकता है।

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7. दूसरी बार प्रेग्नेंसी अलग हो सकती है?

दूसरी प्रेग्नेंसी के बाद आपको समस्या होगी या नहीं, इस बारे में साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है। दूसरी प्रेग्नेंसी के बाद कुछ महिलाओं को कॉम्प्लिकेशन होते हैं और वहीं कुछ महिलाएं किसी भी अन्य तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करतीं। ये महिला के शरीर पर निर्भर करता है।

दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान आपको समस्या होगी या नहीं, ये बात काफी हद तक पहली प्रेग्नेंसी से जुड़ी हुई है। अगर महिला को पहली प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। जिन महिलाओं को पहली प्रेग्नेंसी के दौरान समस्या हुई है, वो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही सेकेंड प्रेग्नेंसी प्लान करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Stillbirth risk in a second pregnancy/https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/22353949/Accessed on 28/07/2020

Current Version

30/09/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

Updated by: [email protected]


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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/09/2021

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