इम्यूनोलॉजिकल (Immunological) समस्याओं की एक श्रेणी जो मिसकैरिज के लिए जिम्मेदार हो सकती है, वह है एंटीफॉस्फोलिपिड एंटीबॉडी। इसका पता ब्लड टेस्ट (Blood test) के जरिए लगाया जाता है। यदि यह शरीर में मौजूद होता है तो खून पतला करने वाली दवा दी जाती है। बेबी एस्प्रीन (81 mg) रोजाना दी जा सकती है। इसके अलावा हेपरिन इंजेक्शन का इस्तेमाल भी खून पतला करने के लिए किया जाता है। इम्यूनोलॉजिकल कारणों की एक अन्य श्रेणी महिला की भ्रूण को सामान्य रूप से दी जाने वाली सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया से रोकती है, जिससे मिसकैरिज (Miscarriages) का खतरा बढ़ जाता है।
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बार-बार मिसकैरिज (Repeated Miscarriages) होने का कारण पता करने के लिए कराएं ये टेस्ट
यदि आपका दो या अधिक बार मिसकैरिज हो चुका है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर मिसकैरिज के संभावित कारणों का पता लगाकर आगे उसे रोकने की कोशिश करेंगे। इसके लिए वह आपको कई तरह के टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः
हार्मोनल टेस्ट से पता चल सकता है बार-बार मिसकैरिज होने का कारण
यदि आपने पहले प्रोलैक्टिन (Prolactin), थायरॉइड (Thyroid) और प्रोजेस्टेरोन टेस्ट (Progesterone test) करवाया है और वह असामान्य थे जिसके लिए डॉक्टर ने आपको उपचार के लिए कहा था, तो ये टेस्ट दोबारा करवाएं ताकि इनके स्तरों का सही-सही पता लग सके और बार-बार मिसकैरिज होने के कारण का पता चल सके।
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स्ट्रक्चरल टेस्ट से डॉक्टर जान सकते हैं
हिस्टेरोस्लिंगोग्राम (Hysterosalpingogram) गर्भाशय के शेप और साइज का मूल्यांकन करने और गर्भाशय, पॉलीप्स, फाइब्रॉएड या एक सेप्टल दीवार में संभावित स्कारिंग का पता लगाने के लिए किया जाता है, जिसकी वजह से इंप्लानटेशन प्रभावित हो सकता है। यदि यूटराइन कैविटी से जुड़ी कोई चिंता है तो उसके लिए हिस्टेरोस्कोपी किया जा सकता है। कुछ महिलाओं की सर्विकल मसल्स बहुत ढीली होती है, जिसकी वजह से प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के पहले ट्राइमेस्टर में ही मिसकैरिज हो जाता है। प्रेग्नेंसी के पहले ही एक सिंपल टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि महिला का सर्विक्स सामान्य यानी सक्षम है या नहीं।
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यूटराइन लाइनिंग टेस्ट से पता लगा सकते हैं
एंडोमेट्रियल बायोप्सी साइकल के 21वें दिन या उसके बाद यह देखने के लिए किया जाता है कि क्या लाइनिंग फर्टिलाइज एग को इंप्लांट करने के लिए पर्याप्त रूप से मोटी हो रही है। यदि लाइनिंग का विकास दो या उससे अधिक दिन पीछे है तो इसका इलाज कई तरह के हॉर्मोन्स (क्लोमीफीन, एचसीजी, प्रोजेस्टेरोन) से किया जाता है। कई साइकल के बाद फिर से बायोप्सी यह जांचने के लिए की जाती है कि इलाज से मदद मिल रही है या नहीं।
बार-बार मिसकैरिज (Repeated Miscarriages) होने का कारण का पता चल सकता है जेनेटिक टेस्टिंग से
क्रोमोसोमल टेस्ट शायद ही कभी मिसकैरिज के टिशू पर किया जाता है, क्योंकि इसे पर्याप्त अध्ययन के लिए प्रिजर्व करना मुश्किल होता है। यदि क्रोमोसोमल टेस्ट की आवश्यकता होती है, तो आपके और आपके पार्टनर का ब्लड टेस्ट (Blood test) यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि जींस का कोई ट्रांस्लोकेशन (ऐसी स्थिति जिसमें जीन की संख्या सामान्य 46 होती है, लेकिन वे असामान्य रूप से एक साथ जुड़ जाते हैं) नहीं है। यह स्थिति बार-बार मिसकैरिज का कारण बन सकती है। इस टेस्ट बार-बार मिसकैरिज होने का कारण (Cause of Repeated Miscarriages) पता चल जाता है।
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बार-बार मिसकैरिज (Repeated Miscarriages) के बाद मेरे सफल गर्भधारण की कितनी संभावना है?
यदि किसी महिला का दो से अधिक बार गर्भपात हो जाता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। कई बार बार-बार मिसकैरिज के कारण का पता नहीं चल पाता। ऐसे में महिलाएं अपनी अगली प्रेग्नेंसी को लेकर आशंकित रहती हैं। जहां तक गर्भधारण की बात है तो कई अध्ययनों के मुताबिक, यदि गर्भपात के कारणों का पता नहीं चल पाता है तो बार-बार मिसकैरिज के बाद भी 65% महिलाओं को सफल गर्भधारण हुआ है।
मिसकैरिज महिलाओं को न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी कमजोर बना देता है। ऐसे में पार्टनर को महिला का पूरा सहयोग करना चाहिए और अगली प्रेग्नेंसी की प्लानिंग डॉक्टर की सलाह और फीमेल पार्टनर के पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद ही करना चाहिए।
हमें उम्मीद है कि मिसकैरिज होने का कारण (Cause of Repeated Miscarriages) पता लगाने के विषय पर आधारित ये आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर एक से ज्यादा बार मिसकैरिज हो चुका है और बार-बार मिसकैरिज होने का कारण पता नहीं चल पा रहा है तो तुरंत इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें ताकि इसे रोका जा सके।
प्रेग्नेंसी के दौरान छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। ऐसे में फोन के इस्तेमाल को लेकर भी ध्यान रखना जरूरी है। नीचे दिए इस क्विज को खेलिए और जानिए आवश्यक बातें।