अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI) फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है जिसमें फर्टिलाइजेशन की सुविधा के लिए महिला के गर्भाशय के अंदर शुक्राणु को इंसर्ट कराया जाता है। आईयूआई (IUI) का उद्देश्य स्पर्म की संख्या में वृद्धि करके फैलोपियन ट्यूब तक अधिक स्पर्म पहुंचाने का है। इससे फर्टिलाइजेशन की संभावना को बढ़ाया जाता है। जो महिलाएं नैचुरल प्रॉसेस से प्रेग्नेंट नहीं हो पाती हैं या फिर किसी समस्या की वजह से कंसीव नहीं कर पाती हैं, वो इस ट्रीटमेंट से मां बन सकती हैं। अगर आप ये ट्रीटमेंट लेने जा रही हैं तो एक बार IUI का रिस्क जानना बहुत जरूरी है। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको IUI का रिस्क और अन्य आवश्यक जानकारी भी मिलेगी।
जब हैलो स्वास्थय ने कोलकाता के फोर्टिस हॉस्पिटल की कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना सिन्हा से IUI के बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि, ‘इस ट्रीटमेंट के दौरान इंस्ट्रूमेंट से इंफेक्शन का खतरा लगभग न के बराबर ही है क्योंकि सभी डॉक्टर इस बात का ध्यान रखते हैं कि किसी भी प्रकार से पेशेंट को इंफेक्शन न हो। बाकी इस दौरान दी जाने वाली मेडिसिन के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। जिन्हें IUI का रिस्क कहा जा सकता है। लोगों के मन में मल्टिपल प्रग्नेंसी का डर भी होता है। ये नैचुरल प्रॉसेस नहीं है। मल्टिपल प्रग्नेंसी हो सकती है।’
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IUI का रिस्क क्या है?
IUI का रिस्क क्या हो सकता है अगर इसकी बात करें तो इससे साइड इफेक्ट होने की संभावना रहती है। अगर आप इस प्रक्रिया से गुजर रहे हैं तो आपको ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए। जानिए IUI का रिस्क क्या हो सकता है।
IUI का रिस्क मल्टिपल प्रेग्नेंसी का खतरा
पहला IUI का रिस्क है कि इस प्रक्रिया के बाद संक्रमण का जोखिम रहता है। आज के समय में डॉक्टर स्टेराॅइल इंस्ट्रूमेंट का यूज करते हैं इसलिए संक्रमण की संभावना कम हो जाती है। अगर ऑव्युलेशन के लिए मेडिसिन का यूज किया जा रहा है तो कई शिशुओं के लिए खतरा हो सकता है। प्रजनन दवाइयां शिशुओं के खतरे को बढ़ाती हैं। दवाइयां लेने से एक से अधिक एग रिलीज होते हैं और ये मल्टिपल प्रेग्नेंसी के लिए जिम्मेदार होते हैं। आपका फिजीशियन एक साथ कई एग रिलीज को रोकने के लिए अल्ट्रासाउंड की सहायता से निगरानी करेगा। साथ ही वो आपको अलग से मेडिसिन भी देगा। इसे IUI का रिस्क माना जा सकता है। आईयूआई के खतरे के रूप में प्रीमेच्योर डिलिवरी के साथ ही मिसकैरिज का खतरा भी बढ़ जाता है।
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IUI का रिस्क है ओवेरियन हायपर स्टिमुलेशन सिंड्रोम
दूसरा IUI का रिस्क यह है कि कभी-कभार फर्टिलिटी मेडिसिन के कारण ओवरी ओवर रिस्पॉन्ड करती है। इस कारण ओवेरियन हायपर स्टिमुलेशन सिंड्रोम (ovarian hyperstimulation syndrome) की संभावना रहती है। एक ही समय में कई सारे एग मैच्योर होकर रिलीज होते हैं। इस कारण ओवरी बढ़ सकती है। साथ ही चेस्ट और पेट में तरल पदार्थ का निर्माण होने लगता है। किडनी की समस्या, रक्त के थक्के या फिर अंडाशय में टि्वस्टिंग हो सकती है। इसे भी IUI का रिस्क कहा जा सकता है।
IUI का रिस्क तो आप समझ ही गए होंगे अब जानते हैं सफल IUI के लक्षणों के बारे में। जो प्रक्रिया के बाद दिखाई देते हैं।
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सफल IUI के लक्षण क्या हैं?
1. आईयूआई के बाद कॉम्प्लीकेशन : इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग
- यूट्रस में भ्रूण (Embryo) के इम्प्लांट होने के बाद ब्लीडिंग शुरू हो जाती है।
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में पीरियड्स (मासिक धर्म) आने के पहले स्पॉटिंग की तरह ब्लीडिंग होती है।
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग जरूरी नहीं की हर किसी को हो।
- IUI के द्वारा फर्टिलाइजेशन होने के बाद जाइगोट इम्प्लांट होने के तकरीबन 2 हफ्ते के बाद ब्लीडिंग हो सकती है।
- गर्भधारण के 6 से 12 दिनों के बाद आपको सामान्य रक्तस्राव का अनुभव हो सकता है।
- क्रैंप भी महसूस किया जा सकते हैं।
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2. मासिक धर्म में देरी
- सामान्य गर्भावस्था की तरह पीरियड्स में देरी हो सकती है क्योंकि तनाव और कई हॉर्मोनल परिवर्तन इस दौरान शरीर में होते हैं।
- शुरुआती महीने में अगर पीरियड्स ठीक तरह से नहीं आता है, तो ये प्रेग्नेंसी के लक्षण हो सकते हैं।
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3. ब्रेस्ट का सॉफ्ट होना
- सामान्य से ज्यादा ब्रेस्ट का सॉफ्ट होना।
- इस दौरान स्तन सेंसिटिव भी हो जाते हैं।
4. आईयूआई के बाद कॉम्प्लीकेशन : कमजोरी और थकान
गर्भ में भ्रूण का इम्प्लांटेशन आर्टिफिशियल तरह से किया गया है। इसलिए शरीर में कई बदलाव जैसे कमजोरी या थकान महसूस की जा सकती है। हालांकि कभी-कभी किसी भी तरह के बदलाव नहीं भी हो सकते हैं।
5. जी मिचलाना
सफल IUI के लक्षण सामान्य प्रेग्नेंसी लक्षणों की तरह हो सकते हैं। इन लक्षणों में मॉर्निंग सिकनेस और जी मिचलाना भी शामिल हो सकता है।
इसके अलावा भी IUI के बाद कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
1. चक्कर आना या कम दिखाई देना- हालांकि चक्कर आना नॉर्मल प्रेग्नेंसी के लक्षण भी हैं।
2. वजन का अचानक से कम होना।
4. मतली और उल्टी- उल्टी की समस्या भी प्रेग्नेंसी की शुरुआती दौर में देखी जाती है।
5. पेल्विक पेन।
6. पेट के आकार में अचानक से वृद्धि होना।
7. अंडाशय में सूजन आना।
9. मूड स्विंग- प्रेग्नेंट महिलाओं का मूड स्विंग सबसे ज्यादा होता है।
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आईयूआई का सक्सेस फैक्टर क्या है ?
आईयूआई का सक्सेस रेट कई बातों पर निर्भर करता है। प्रत्येक कपल आईयूआई के प्रति अलग रिस्पॉन्स शो करते हैं। कुछ फैक्टर जो कि इस प्रोसेस पर असर डालता है, वो है..
- उम्र
- अंडरलाइंग इनफर्टिलिटी डायग्नोज
- फर्टिलिटी ड्रग यूज किया गया है या फिर नहीं
- फर्टिलिटी से संबंधित अन्य कंसर्न
महिला की उम्र बढ़ने (40 साल या अधिक उम्र) के साथ ही आईयूआई का सक्सेस रेट भी कम होने लगता है। वहीं आईयूआई की तीन साइकिल होने के बाद अगर महिला प्रेग्नेंट नहीं हो पाती है तो भी आईयूआई का सक्सेस रेट कम होने लगता है।
आईयूआई प्रक्रिया के दौरान संक्रमण का जोखिम हो सकता है क्योंकि इसमें गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से एक पतली ट्यूब से शुक्राणु को गर्भाशय में डालते हैं। इस दौरान कुछ महिलाओं को दर्द या ऐंठन का अनुभव हो सकता है। अगर जोखिम की बात करें तो इस दौरान गर्भाशय ग्रीवा को चोट लगने की संभावना हो सकती है जिससे प्रक्रिया के बाद तेज दर्द, स्पॉटिंग या ब्लीडिंग हो सकती है। डॉक्टर बाद में पेशेंट को आराम करने की सलाह देते हैं ताकि किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े। अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (Intrauterine insemination) एक सरल प्रक्रिया है। प्रक्रिया से जुड़े दुष्प्रभाव भी बहुत कम हैं। IUI उपचार के अधिकांश दुष्प्रभाव आमतौर पर समय के साथ कम हो जाते हैं या फिर फर्टिलिटी मेडिसिन न लेने पर समाप्त हो जाते हैं।
हमें उम्मीद है कि IUI का रिस्क क्या हो सकता है विषय पर लिखा आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। इस आर्टिकल को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि IUI का रिस्क काफी कम है। अगर आप पेरेंट्स बनना चाहते हैं और किसी वजह से नैचुरल तरीका काम नहीं कर रहा है तो इस ट्रीटमेंट का सहारा लिया जा सकता है। अगर आप IUI का रिस्क और इस प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो किसी एक्सपर्ट से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता।
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