दूसरी प्रेग्नेंसी के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराना या न कराना आपका फैसला है। डॉ. सगारिका बसु कहती हैं कि ‘प्रेग्नेंसी के दौरान मां को भी न्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है। लेक्टेशन के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत पड़ती है। अगर महिला बैलेंस डायट ले रही है तो सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान भी ब्रेस्टफीडिंग कराई जा सकती है।’ रिसर्च से ये बात सामने आई है कि प्रग्नेंसी के दौरान ब्रेस्टफीडिंग कराने से होने वाले बच्चे के वजन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। साथ ही मिसकैरिज का भी कोई खतरा नहीं रहता है। पहले बच्चे को एक साल के अंदर ब्रेस्टफीड करवाना बंद कर दिया जाए तो बेहतर रहेगा। छह माह के बाद बच्चे दूध के अलावा दाल का पानी व चावल का पानी लेना शुरू कर देते हैं। ऐसे में एक साल के बाद तक स्तनपान बंद किया जा सकता है। बच्चे को गाय का दूध दिया जा सकता है।
5. दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान क्या कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं?
अगर पहली प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या नहीं रही है तो दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशन का रिस्क कम हो जाता है। दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ कॉम्प्लिकेशन जैसे प्लेसेंटल एब्रप्शन( Placental abruption), पोस्टपार्टन हैम्ब्रेज ( Postpartum hemorrhage) की समस्या हो सकती है। ऐसा उन महिलाओं में ज्यादा होता है जिनके दो से ज्यादा बच्चे होते हैं।
अगर आपको पहली प्रेग्नेंसी में प्रीटर्म लेबर और बर्थ, प्री क्लेम्पिसया (preeclampsia), प्लासेंटल एब्रप्शन (placental abruption) की समस्या हो चुकी है तो सेकेंड प्रेग्नेंसी में भी इनका हाई रिस्क हो सकता है। क्रोनिक मेडिकल कंडीशन भी सेकेंड प्रेग्नेंसी में दिक्कत कर सकती है।
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6.सेकेंड प्रेग्नेंसी के बाद पोस्टपार्टम रिकवरी अलग हो सकती है?