सी-सेक्शन डिलिवरी का असर! क्या फिर से प्रेग्नेंट होने पर सी-सेक्शन डिलिवरी का असर पड़ता है? दरअसल पहली बार में सी-सेक्शन डिलिवरी होने पर हर महिला के मन में यही सवाल उठता है कि क्या सी-सेक्शन डिलिवरी का असर दूसरी प्रेग्नेंसी पर पड़ेगा। दरअसल ऐसी परिस्थितियां जिसमें सी-सेक्शन होने की संभावना हो, तब डॉक्टर के द्वारा बताए सुझावों से नॉर्मल डिलिवरी की संभावनाएं बढ़ाई जा सकती हैं। सी-सेक्शन डिलिवरी के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसमें डिलिवरी के बाद महिला को पूरी तरह फिट होने और डेली लाइफ में वापसी करने में समय लगता है वहीं दूसरी डिलिवरी पर भी सी-सेक्शन डिलिवरी का असर पड़ता है।
सी-सेक्शन को लेकर कहा जा सकता है कि ये एक बड़ा ऑपरेशन या सर्जरी है जिसके कारण इंफेक्शन (Infection) और दर्द की समस्या आती है। पहली बार सी-सेक्शन डिलिवरी (C-section delivery) होने पर दूसरी बार प्रेग्नेंसी में कई सावधानियां रखनी पड़ती हैं इसके अलावा पहली बार सी-सेक्शन होने के बाद दूसरी बार भी सी-सेक्शन से ही डिलिवरी होने की संभावना रहती है। एक बार सी-सेक्शन होने के बाद दूसरी बार नॉर्मल डिलिवरी के कम ही चांस रहते हैं। यहां पर हम सी-सेक्शन डिलिवरी का असर के बारे में बात कर रहे हैं तो आइए जानते हैं क्या दूसरी प्रेग्नेंसी पर सी-सेक्शन डिलिवरी का असर पड़ता है।
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इन कारणों से करनी पड़ती है सी-सेक्शन डिलिवरी (C-section)
ऐसे कई कारण होते हैं जिनकी वजह से नॉर्मल डिलिवरी (Normal delivery) की बजाय सी-सेक्शन (C-section) डिलिवरी करानी पड़ती है। हर महिला चाहती है कि वह नॉर्मल तरीके से अपने बच्चे को जन्म दे, लेकिन परिस्थितियां आपके अनुसार रहे ऐसा मुमकिन नहीं है। यहां पर हम कुछ कारण बताने जा रहे हैं, जिससे आप जानेंगे कि किन वजहों से एक महिला की नॉर्मल डिलिवरी की बजाय सी-सेक्शन डिलिवरी (C-section delivery) करनी पड़ती है। सी-सेक्शन डिलिवरी का असर क्या होता है और इसका कारण क्या है? आइए जानते हैं।
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- जब गर्भवती महिला का प्लासेंटा (अपरा) बहुत नीचे हो, जिससे बच्चे के बाहर आने में रूकावट पैदा हो रही हो।
- शरीर में पानी की कमी भी सिजेरियन डिलिवरी का कारण होती है।
- यदि गर्भवती महिला अंडरवेट हैं, तो सी-सेक्शन (C-section) करना पड़ता है।
- यदि किसी वजह से गर्भवती महिला को लेबर पेन (Labour pain) नहीं हो रहा है, तो भी सी-सेक्शन करना पड़ता है।
- यदि बच्चे का सिर बहुत बड़ा हो, या गर्भवती महिला का पेल्विक शिशु को जन्म देने में रूकावट पैदा कर रहा हो।
- नॉर्मल डिलिवरी में अगर मां और गर्भस्थ बच्चे की जान को खतरा है तो भी सी-सेक्शन डिलिवरी की जाती है।
- यदि योनि मार्ग से डिलिवरी में कठिनाई हो रही है तो भी सी-सेक्शन डिलिवरी की जाती है।
- यदि गर्भ में दो या दो से ज्यादा बच्चे हैं तब भी डॉक्टर रिस्क न लेने की बजाय सी-सेक्शन डिलिवरी (C-section delivery) की बात कहते हैं।
- गर्भवती महिला को एचआईवी (HIV) होने पर भी डॉक्टर सी-सेक्शन डिलिवरी की सलाह देते हैं ताकि बच्चे को इंफेक्शन से बचाया जा सके।
- अगर महिला के गर्भाशय का पहले भी ऑपरेशन हो चुका है तो सी-सेक्शन का सहारा लिया जाता है।
- जेनिटल हर्पीस संक्रमण होने पर संक्रमण के खतरे से शिशु को बचाने के लिए सी-सेक्शन डिलिवरी की जाती है।
- यदि गर्भाशय ग्रीवा के पास बड़ा फाइब्राॅएड है तो भी सी-सेक्शन डिलिवरी की जाती है।
- यदि गर्भवती महिला को प्लासेंटा (Placenta) प्रिविया की समस्या है तब भी सी-सेक्शन डिलिवरी की जाती है।
- यदि शिशु के दिल की धड़कन असामान्य है तब भी डॉक्टर कई मामलों में सी-सेक्शन डिलिवरी की सलाह देते हैं।
- यदि गर्भाशय में शिशु की पुजिशन ठीक नहीं है, यदि शिशु ब्रीच पुजिशन में है तब भी सी-सेक्शन डिलिवरी का सहारा लिया जाता है।
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क्या दूसरी प्रेग्नेंसी पर पड़ता है सी-सेक्शन डिलिवरी का असर (C-section affect on next pregnancy)
दोबारा प्रेग्नेंसी में निश्चित तौर पर सी-सेक्शन डिलिवरी का असर पड़ता है। सी-सेक्शन होने के बाद दोबारा प्रेग्नेंसी पर डिलिवरी नॉर्मल होने की संभावना कम ही होती है। एक बार अगर सी-सेक्शन हुआ तो अगली डिलिवरी भी सी-सेक्शन के जरिए ही की जाती है। आइए जानते हैं दूसरी प्रेग्नेंसी पर क्या होता सी-सेक्शन डिलिवरी का असर।
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- सी-सेक्शन डिलिवरी का असर दूसरी प्रेग्नेंसी पर पड़ता है ऐसे में नॉर्मल डिलिवरी (Normal delivery) के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
- जब पहली बार सी-सेक्शन डिलिवरी होती है, तब भी मां को डॉक्टर से आगे की सारी संभावनाओं के बारे में बात कर लेना चाहिए।
- सी-सेक्शन की वजह से फर्टिलिटी (Fertility) की समस्या होने के चांसेस रहते हैं। सिजेरियन के बाद कंसीव करने में समस्या आती है, जबकि नॉर्मल डिलिवरी वाली महिलाएं आमतौर पर जल्द कंसीव कर लेती हैं।
- सी-सेक्शन डिलिवरी का असर ये भी होता कि मोटापा बढ़ जाता है, यदि इसे कंट्रोल न किया जाए तो अगली प्रेग्नेंसी फिर से सिजेरियन होने की संभावना बढ़ जाती है।
- सी-सेक्शन डिलिवरी का असर महिला पर ऐसा होता है कि पहली बार सी-सेक्शन डिलिवरी से बच्चे को जन्म देने के बाद महिला में खून की कमी हो जाती है। ऐसे में दूसरी डिलिवरी पर इसका असर पड़ता है।
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सी-सेक्शन डिलिवरी का असर दूसरी प्रेग्नेंसी पर न हो इसके लिए करें ये उपाय
अगर आप चाहती हैं कि सी-सेक्शन डिलिवरी का असर दूसरी प्रेग्नेंसी पर न पड़े तो इसके लिए आप ये उपाय कर सकती हैं –
- सी-सेक्शन होने के बाद जख्मों और टांकों को पूरी तरह ठीक होने दें। उसमें कोई कोताही न बरतें।
- डॉक्टर ने जो डायट बताई है जिन चीजों से परहेज करने को कहा है, उसका पालन जरूर करें।
- सी-सेक्शन के बाद जो दवाईयां दी जाती हैं उससे मोटापा (Obesity) बढ़ जाता है, इसलिए नियमित व्यायाम करें।
- कोशिश करें कि वजन ज्यादा न बढ़ने पाएं, क्योंकि सी-सेक्शन के बाद बढ़े हुए वजन को कम करना मुश्किल भरा होता है।
- यदि वजन ज्यादा बढ़ गया तो अगली डिलिवरी भी सी-सेक्शन हो सकती है, साथ ही कंसीव करने में भी दिक्कत आ सकती है।
- डॉक्टर जैसे बताएं, उसके अनुसार बच्चे को दूध पिलाएं।
- दोबारा प्रेग्नेंसी के लिए कम से कम 18 महीने का अंतर जरूर रखें, ताकि नॉर्मल डिलिवरी के चांसेस बढ़ सकें।
- पहली प्रेग्नेंसी में सिजेरियन क्यों करना पड़ा, इन कारणों पर गौर करें और उसे दूर करने की कोशिश करें।
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हम आशा करते हैं कि सी-सेक्शन डिलिवरी का असर बाद की प्रेग्नेंसी पर कितना पड़ता है से संबंधित सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे। सी-सेक्शन डिलिवरी जोखिमों से भरी होती है। अगर किसी महिला की पहली डिलिवरी सी-सेक्शन से हुई है, तो दूसरी प्रेग्नेंसी पर सी-सेक्शन डिलिवरी का असर पड़ सकता है। इससे जुड़ी दूसरी जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता।
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