वॉटर बर्थ के दौरान जन्म से मतलब है वार्म वॉटर टब में घर में, बर्थिंग सेंटर में या फिर हॉस्पिटल में बच्चे को जन्म देना है। जो माएं नैचुरल बर्थ की इच्छा रखती हैं वो वाॅटर बर्थ के दौरान बच्चे को जन्म देती हैं। वॉटर बर्थ के दौरान जन्म के समय किसी भी प्रकार का एपिड्यूरल या फिर मेडिकेशन नहीं दिया जाता है।
कई महिलाओं को ये लगता है कि वॉटर बर्थ के दौरान जन्म देते समय महिला को दर्द नहीं होता है। ये बात सही नहीं है। हां ये जरूर कहा जा सकता है कि वॉटर बर्थ के दौरान जन्म देते समय महिलाएं वातावरण में रिलैक्स फील कर सकती हैं। दर्द के बावजूद वॉटर बर्थ के दौरान जन्म देते समय महिलाएं सुखद अनुभव कर सकती हैं। लेबर के दौरान संकुचन ठीक वैसे ही होते हैं जैसे कि एक सामान्य महिला महसूस करती है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि वॉटर बर्थ के वक्त क्या होता है।
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वॉटर बर्थ के दौरान जन्म कौन दे सकता है?
वॉटर बर्थ के समय जन्म देना सभी महिलाओं के लिए संभव नहीं होता है। जिन महिलाओं को ब्लड प्रेशर को लेकर समस्या रहती है या फिर बेबी के मैच्योर न होने पर वॉटर बर्थ सजेस्ट नहीं किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हाई रिस्क कंडिशन में भी वॉटर बर्थ सजेस्ट नहीं किया जाता है। कुछ ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिनके कारण डॉक्टर महिला को वॉटर बर्थ के लिए मना कर सकता है। वॉटर बर्थ के दौरान जन्म देना निजी फैसला होता है, लेकिन हेल्थ केयर प्रोवाइड की बिना राय के वॉटर बर्थ लेना खतरनाक हो सकता है।
जिन महिलाओं को जुड़वां बच्चे होने वाले हैं, उनके लिए वॉटर बर्थ प्रॉसेस से बच्चों को जन्म देना मुश्किल हो सकता है।वॉटर बर्थ के दौरान जुड़वा बच्चों का जन्म संभव है, लेकिन जन्म के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वजायनल डिलिवरी के दौरान जुड़वां बच्चों के जन्म में दिक्कत होती है। ठीक उसी प्रकार वॉटर बर्थ के दौरान भी दिक्कत हो सकती है। ऐसे में तजुर्बे वाली दाई या प्रसूति रोग विशेषज्ञ आपकी सहायता कर सकती है। जुड़वां बच्चे में पहला बच्चा होने के बाद दूसरे बच्चे के लिए समस्या उत्पन्न हो सकती है।
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वॉटर बर्थ के दौरान ध्यान रखने वाली बातें
वॉटर बर्थ के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखा जाता है। लेबर के दौरान ही बाथ टब में जाना चाहिए। पानी का तापमान ज्यादा नहीं होना चाहिए। पानी का तापमान 95.00 ° F (35 ° C) से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जब भी वॉटर बाथ की प्रक्रिया अपनाई जा रही हो, तब साथ में एक्सपर्ट का होना जरूरी है। एक्सपर्ट के पास वॉटर प्रूफ डॉप्लर होना चाहिए ताकि वो पानी के अंदर भी बच्चे की दिल की धड़कन सुन सके। जैसे ही बच्चा डिलिवर हो जाए, महिला को उसे पानी से बाहर निकाल कर संभालना चाहिए। इस समय पार्टनर भी आपकी हेल्प कर सकता है। वॉटर बर्थ उन महिलाओं को नहीं लेना चाहिए जिन्हें,
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- त्वचा के संक्रमण की समस्या हो।
- अगर होने वाली मां को 100.4 ° F (38 ° C) या उससे अधिक का बुखार हो।
- अगर महिला को ज्यादा मात्रा में योनि से खून निकल रहा हो।
- भ्रूण के दिल की धड़कन का पता लगाने में कठिनाई हो रही हो।
- अगर महिला का शोल्डर डिस्टोसिया (shoulder dystocia) का इतिहास रहा हो।
- गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे हो।
- गर्भ में पल रहा बच्चा ब्रीच पुजिशन में हो।
इंफेक्शन की संभावना
वॉटर बर्थ का मतलब बाथ टब में बैठकर बच्चे को पुश करना और फिर डिलिवरी करना होता है। बाथ टब में जो भी पानी है वो इंफक्टेड हो सकता है। जन्म के समय अगर बच्चे के शरीर में पानी चला जाए तो उसके लिए खतरा हो सकता है। वॉटर बर्थ के दौरान जन्म लेने वाले शिशु में संक्रमण की संभावना भी हो सकती है।
भले ही पानी स्टेराइल हो, लेकिन किसी भी कारण से वो दूषित हो सकता है। वैसे तो बच्चे जन्म के तुरंत बाद सांस नहीं लेते हैं। इसलिए पानी निगलने की संभावना कम ही रहती है, लेकिन किसी कारणवश अगर बच्चा पानी निगल लेता है तो ये उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है। बच्चे को वॉटर बर्थ के दौरान संक्रमण का खतरा तभी रहता है जब वो तेजी से सांस लें। अगर परिस्थियां सही हैं तो बच्चे को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं रहता है।
वॉटर बर्थ के अन्य रिस्क
- बच्चे के शरीर के तापमान को रेगुलेट करने में परेशानी
- गर्भनाल की क्षति की संभावना
- बच्चे को सांस लेने में तकलीफ
- एक्सफिक्सिया एंड सीजर्स (asphyxia and seizures)
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वॉटर बर्थ और डिलिवरी के दौरान क्या होता है?
वॉटर बर्थ के वक्त जन्म देते समय महिला को अलग रंग दिख सकते हैं। लेबर के दौरान बाथ टब का रंग, बच्चे के जन्म के दौरान म्युकस, ब्लीडिंग के कारण पानी का लाल रंग आदि दिखता है, लेकिन वर्थ टब में होने के कारण महिला को अलग रंग समझ में नहीं आते। जब बच्चे की डिलिवरी हो जाती है तो हेल्पर टब को खाली कर देते हैं। जन्म के बाद मिडवाइफ सबसे पहले आपके बच्चे और आपकी देखभाल करेगी। साथ ही हेल्पर पंप की हेल्प से टॉयलेट में टब को खाली करके क्लीन कर लेंगे। टब को ब्लीच करके स्टोरेज के लिए रख दिया जाता है, या फिर रिटर्न कर दिया जाता है।
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कितनी होती है कॉस्ट?
वॉटर बर्थ के समय जन्म देना महिला के लिए महंगा भी साबित हो सकता है। वॉटर बर्थ के लिए करीब 80,000 से 1.25 लाख रुपए तक का खर्चा आ सकता है। अगर आपको वॉटर बर्थ के बारे में जानकारी नहीं है और अधिक खर्च नहीं करना चाहते हैं तो इस बारे में न सोचें।
इस दौरान बच्चे को जन्म देना या न देना महिला का निजी फैसला हो सकता है। इस बारे में डॉक्टर से बात करना बहुत जरूरी है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ कॉम्प्लिकेशन हैं तो डॉक्टर मना भी कर सकता है। इसलिए सब चीजों को अच्छी तरह से जानने और समझने के बाद ही इसका फैसला लें। जरूरी हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल वॉटर बर्थ के दौरान बच्चे के जन्म से जुड़ी जानकारी दी गई है। यदि आपका इससे जुड़ा कोई प्रश्न है तो आप कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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