गर्भावस्था की शुरुआत खुशियों के साथ-साथ शारीरिक परेशानियां भी बढ़ा देती है, लेकिन ये परेशानी ज्यादा बढ़ सकती है जब गर्भवती महिला के गर्भ में 2 बच्चे पल रहे हो। जिसे सामान्य भाषा में जुड़वां बच्चे (ट्विन्स बेबी) कहते हैं। कई बार तो जुड़वां बच्चों का जन्म (Twins baby birth) रिस्की भी हो जाता है। जुड़वां बच्चे कैसे कंसीव होते हैं ये जानते हैं।
गर्भ में जुड़वा बच्चे: जुड़वां बच्चे होने के कारण (Cause of Twins baby birth)
जुड़वां बच्चों का जन्म निम्नलिखित कारणों पर निर्भर करता है। इनमें शामिल हैं-
1. जुड़वां बच्चों का जन्म जेनेटिकल (अनुवांशिक) है
जुड़वां बच्चों का जन्म सबसे पहले जेनेटिकल कारणों पर निर्भर करता है। अगर आप खुद या आपके माता-पिता या फिर ब्लड रिलेशन में कोई ट्विन्स हैं तो जुड़वां बच्चों की संभावना ज्यादा होती है। जेनेटिकल कारणों की वजह से ऑव्युलेशन प्रॉसेस के दौरान दो एग (अंडों) का फॉर्मेशन होता है। जिस कारण ट्विन्स बेबी की संभावना बढ़ जाती है।
2. जुड़वां बच्चों का जन्म माता-पिता की लंबाई और वजन पर करता है निर्भर
प्रेग्नेंट महिला की बॉडी का वेट ज्यादा होना और लंबाई ज्यादा होना जुड़वां बच्चों का संकेत हो सकता है।
3. जुड़वां बच्चों का जन्म मां की उम्र ज्यादा होने के कारण भी हो सकता है
जिन महिलाओं की उम्र 35 साल से ज्यादा होती है उनमें जुड़वां बच्चों के होने की संभावना ज्यादा होती है।
4. गर्भवती महिला ने पहले जुड़वां बच्चों को जन्म दिया हो
अगर महिला ने पहले जुड़वां शिशु को जन्म दिया है, तो ऐसी स्थिति में ट्विन्स बच्चे (Twins baby) की संभावना ज्यादा होती है।
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गर्भ में जुड़वा बच्चे: जुड़वां बच्चों का जन्म रिस्की (Risk during Twins baby birth) क्यों होता है?
जुड़वां बच्चों का जन्म निम्लिखित कारणों से मां और शिशु दोनों के लिए रिस्की हो सकता है।
जुड़वां बच्चों के जन्म के वक्त या शिशु के जन्म से पहले मां को होने वाली परेशानियों में शामिल हैं
- प्रेग्नेंसी-इंडियूस्ड हाइपरटेंशन (PIH) हाई ब्लड प्रेशर होता है, जो गर्भावस्था के दौरान होता है। 37 प्रतिशत तक ट्विन्स प्रेग्नेंसी में PIH होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसी स्थिति में समय से पहले शिशु का जन्म हो सकता है। शिशु का ठीक तरह से शारीरिक विकास नहीं हो पाता है या फिर स्टिलबर्थ की संभावना होती है। यह गर्भवती महिला के लिए गंभीर समस्या हो सकती है।
- ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान प्री-क्लेमप्सिया (Preeclampsia) की संभावना ज्यादा होती है। ऐसी स्थिति में शरीर में सूजन, तेज सिर दर्द और वजन का अत्यधिक तेजी से बढ़ना आदि परेशानियां होती हैं।
- ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) का खतरा बढ़ सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज का इलाज डायट और लाइफस्टाइल में बदलाव कर किया जा सकता है।
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- जुड़वां बच्चे के डिलिवरी से पहले बनने वाली मां को ब्लीडिंग हो सकती है।
- ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम जैसे कब्ज (Constipation) की समस्या से परेशान रह सकती हैं।
- ट्विन्स या मल्टिपल प्रेग्नेंसी के बाद महिला में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की संभावना बढ़ सकती है।
- जुड़वां बच्चों का जन्म रिस्की सिजेरियन डिलिवरी (C-Section) के कारण भी हो सकता है।
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जुड़वां बच्चे कैसे होते हैं वेनेशिंग ट्विन सिंड्रोम का शिकार?
ट्विनस प्रेग्नेंसी में सबसे ज्यादा मिसकैरिज (Miscarriage) की संभावना होती है। कुछ जुड़वां बच्चे सर्वाइव नहीं कर पाते हैं और वेनिश हो जाते हैं, जिसे वेनेशिंग ट्विन सिंड्रोम कहते हैं। गर्भ में पल रहे जुड़वां बच्चों में से एक शिशु को पोषण दूसरे शिशु के मुकाबले ठीक तरह से नहीं मिल पाता है। गर्भ में पल रहा दो शिशु जब एक ही प्लासेंटा से पोषण ग्रहण करता है, तो यह ट्विन-टू-ट्विन ट्रांसफियूजन सिंड्रोम (TTTS) के लक्षण होते हैं
जुड़वां बच्चों का जन्म रिस्की होने के निम्नलिखित कारण हैं।
- जुड़वां बच्चों (ट्विन्स बेबी) का जन्म प्रेग्नेंसी के 20 हफ्ते के बाद और प्रेग्नेंसी के 37 हफ्ते के पहले हो सकता है। सिर्फ 40 प्रतिशत ट्विन प्रेग्नेंसी 40 हफ्ते से लेकर 42 हफ्ते तक हो सकती है। ज्यादातर एक से ज्यादा बच्चों का जन्म प्रेग्नेंसी के 39वें हफ्ते में हो सकता है।
- शिशु के शारीरिक अंगों का विकास जैसे लंग्स ठीक तरह से डेवलप न होने के कारण सांस लेने में परेशानी महसूस हो सकती है। समय से पहले जन्म लिए शिशु को वेंटिलेटर पर रखा जाता है, जब तक लंग्स (Lungs) ठीक तरह से काम न करें।
- पेट और इंटेस्टाइनल ट्रैक (Intestinal tract) संबंधित परेशानी।
- नर्वस सिस्टम से जुड़ी परेशानी। कभी-कभी ब्रेन में ब्लीडिंग भी हो सकती है।
- जन्म के समय शिशु का वजन (Babies weight) कम होना।
- जेनेरल रेस्पायरेटरी प्रॉब्लम जैसे अस्थमा या रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट इंफेक्शन (Respiratory Tract Infection) की परेशानी हो सकती है।
- डेव्लपमेंटल डिलेस
- लर्निंग डिसेबिलिटीज
- सेरेब्रल पाल्सी
- आंखें कमजोर होना
- सुनने की क्षमता कम होना
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ऊपर बताए गए कारण जुड़वां बच्चों का जन्म रिस्की बना सकते हैं लेकिन, ट्विन्स प्रेग्नेंसी को हेल्दी बनाया जा सकता है। जानिए कैसे?
1. गर्भ में जुड़वा बच्चे: हमेशा बेड पर लेटे न रहें
अगर डॉक्टर ने आपको बेड रेस्ट की सलाह नहीं दी है, तो हमेशा लेटे न रहें। इससे कोई भी शारीरिक लाभ नहीं मिलेगा।
2. आहार पर ध्यान दें
गर्भवती महिला के शरीर में ट्विन बेबी है इसलिए पौष्टिक आहार का सेवन करें। हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ट्विन प्रेग्नेंसी के दौरान ठीक तरह से आहार का सेवन करना चाहिए। अगर इस दौरान सामान्य से ज्यादा वजन बढ़ता है तो घबराएं नहीं। यह ट्विन्स के हेल्दी होने की निशानी हो सकती है। इसलिए आहार में प्रोटीन, कैल्शियम जैसे अन्य पौष्टिक तत्वों का जरूर शामिल करें। जुड़वां बच्चों का जन्म (Twins baby birth) कठिन हो सकता है क्योंकि इस दौरान शरीर का वजन भी ज्यादा बढ़ जाता है। जिससे चलने या फिर उठने-बैठने में भी परेशानी हो सकती है।
3. हाइड्रेटेड रहें
डॉ. अनीता गुप्ता कहती हैं कि, ‘प्रेग्नेंसी कोई भी हो लेकिन, पानी कम पीने के कारण इस दौरान डीहाइड्रेशन की समस्या शुरू हो सकती है। ऐसे में प्रीमैच्योर बेबी की डिलिवरी का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और तरल पदार्थों का सेवन करें। जुड़वां बच्चों का जन्म (Twins baby birth) सामान्य प्रेग्नेंसी से अलग होता है।’
4. प्रीनेटल केयर
यह सबसे जरूरी है कि प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीनेटल केयर अवश्य और नियमित करवाएं। इससे शरीर में हो रहे बदलाव को समझने का मौका मिलेगा और ट्विन प्रेग्नेंसी हेल्दी रहेगी।
डॉ. अनीता गुप्ता कहती हैं कि,’ ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान नॉर्मल प्रेग्नेंसी की तुलना में गर्भवती महिला का वजन 17 से 25 किलो तक बढ़ सकता है। अगर गर्भवती महिला एक्सरसाइज करना चाहती हैं, तो डॉक्टर के सलाह अनुसार कर सकती हैं। हालांकि अगर महिला को पहले से एक्सरसाइज करने की आदत नहीं है तो इस दौरान अचानक से एक्सरसाइज न करें। बेहतर होगा कि प्रेग्नेंट लेडी वॉक करें। वैसे इस दौरान स्विमिंग और योगा भी एक्सपर्ट्स के साथ किया जा सकता है।’
अगर आप जुड़वां बच्चों का जन्म (Twins baby birth) और इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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