घर में शिशु और पालतू जानवर एक साथ होने पर आपको नवजात शिशु की देखभाल में अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है। कई मामलों में ये पालतू जानवर बच्चों के लिए अच्छे होते हैं। तो कई बार इनकी वजह से कुछ परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है। घर में पालतू जानवर होने पर नवजात शिशु की देखभाल कैसे की जाए? यह सवाल कई पेरेंट्स के दिमाग में घूमता रहता है। इस आर्टिकल में आपको कुछ ऐसे वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में बताएंगे जिससे आपका ये कंफ्यूजन क्लियर हो जाएगा और आप घर में पालतू जानवर और शिशु को एक साथ आसानी से मैनेज कर पाएंगे।
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पालतू जानवर और शिशु
अलबर्टा विश्वविद्यालय में एक शोध प्रकाशित किया गया। जिसमें बताया गया कि घर में पालतू जानवर और शिशु एक साथ होने पर शिशु को एलर्जी की समस्या विकसित होने का खतरा कम होता है। इसके साथ ही जन्म के बाद शुरुआती कुछ महीनों में यदि शिशु और पालतू जानवर के संपर्क में आते हैं तो उनमें मोटापे का खतरा भी कम होता है।
यह दो प्रकार के गट बैक्टीरिया रुमिनोकोकस (Ruminococcus), जिससे एलर्जी का खतरा कम होता है और ओस्किलोस्पिरा (Oscillospira) से होता है। यह बैक्टीरिया पालतू जानवर के घर में उपस्थित होने पर ही मौजूद होते हैं। बिल्ली और कुत्ते की बॉडी में हेल्दी बैक्टीरिया होते हैं। ऐसे में उनके द्वारा आपका चेहरा चाटने पर यह बैक्टीरिया ट्रांसफर हो जाते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि पालतू जानवर और शिशु एक साथ घर में होने पर इससे नुकसान के साथ ही कुछ फायदे भी होते हैं।
पालतू जानवर और शिशु की देखभाल में सावधानी
पालतू जानवर और शिशु की देखभाल को लेकर हमने दिल्ली के वेटनरी डॉक्टर जगपाल से खास बातचीत की। उन्होंने घर में पालतू जानवर होने पर शिशु की देखभाल कैसे करें? इस संबंध में हैलो स्वास्थ्य से कुछ अहम जानकारियां साझा कीं।
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पालतू जानवर साथ होने पर शिशु को अकेला ना छोड़ें
घर में पालतू जानवर और शिशु को कभी भी अकेला ना छोड़ें। यदि शिशु की उम्र छह महीने से ज्यादा है तो वह पालतू जानवर (कुत्ते, पिल्ले) के खाने में अपना हाथ डाल सकता है। छोटे बच्चे अक्सर अपने हांथ या उंगलियों को मुंह में डालते हैं, जिससे पैट के खाने में मौजूद बैक्टीरिया शिशु की बॉडी में प्रवेश कर सकते हैं। इससे शिशु को संक्रमण हो सकता है।
जानवर भले ही कितना भी पालतू हो, उसे गुस्सा आ जाता है। शिशु कुत्ते या पिल्ले की पूंछ खींच सकते हैं। जिससे आक्रामक होने की स्थिति में वे शिशु को काट सकते हैं। पालतू जानवर और शिशु को लेकर यह सावधानी रखना बेहद जरूरी है।
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पालतू जानवर और शिशु दोनों का वैक्सिनेशन जरूर कराएं
डॉक्टर जगपाल ने कहा, ‘पेट भले ही कुत्ता, पिल्ला या बिल्ली हो, उसका वैक्सिनेशन हमेशा कराना चाहिए। अक्सर इनके साथ खेलते वक्त शिशु को पालतू जानवर का नाखून या खरोंच लग सकती है। यदि पैट का वैक्सिनेशन नहीं कराया है तो उसे रेबीज हो सकता है। रेबीज होने पर इसका इलाज मुश्किल होता है।’ उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि समय पर पैट का वैक्सिनेशन हो जाए। साथ ही शिशु को इंफेक्शन से बचाने वाले टीके भी जरूर लगवाएं। इस तरह पालतू जानवर और शिशु दोनों की देखभाल की जा सकती है।
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पालतू जानवर को शिशु को चाटने ना दें
कुत्ते का वैक्सिनेशन होने पर भी उसे अकेला बाहर ना जाने दें। वह बाहर की कुछ हानिकारक चीजें खा सकता है, जिससे उसकी बॉडी में दोबारा नुकसानदायक पदार्थ पैदा हो सकते हैं। यह शिशु को चाटने की स्थिति में उसकी बॉडी में जा सकते हैं। ज्यादातर पालतू पिल्लों और कुत्तों का स्वभाव अपने मालिक या परिचित को जीभ से चाटने का होता है। इसके साथ ही पालतू कुत्ते या पिल्ले में कुछ ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जो शिशु के पेट में कीड़े की समस्या पैदा कर सकते हैं।
पालतू जानवर की क्षेत्र सीमाओं को तय करें
भले ही आपक पेट कितना भी समझदार हो या वह बच्चे का बहुत ज्यादा ख्याल रखता हो, लेकिन आपको उसके लिए एक क्षेत्र की सीमा तय करनी चाहिए। जैसे- अगर आप चाहते हैं कि आपका पेट कभी भी किचन में न जाए, तो उसे हमेसा किचन से दूर रखें। अगर वो किचन में प्रवेश कर भी लेता है, तो तुरंत उसे बाहर जाने के लिए कहें और इसके लिए उसे समझाएं की उसे किचन में फिर से दोबारा कभी प्रवेश नहीं करना है। कभी-कभी इस तरह की छोटी-छोटी बातें स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत आवश्यक हो सकती हैं।
अंत में हम यही कहेंगे कि पालतू जानवर शिशु के लिए अच्छे होते हैं लेकिन, दोनों के एक साथ घर में रहने पर आपको शिशु का विशेष ख्याल रखने की आवश्यकता होगी।
पालतू जानवर और शिशु दोनों का ध्यान रखना है जरूरी
आमतौर पर गर्भवती और नवजात शिशुओं के लिए कुत्तों का आसपास होना सुरक्षित माना जाता है। यदि आपका पालतू कुत्ता हेल्दी है और उसे सभी तरह के जरूरी टीके लगे हैं तो ऐसे में आपको कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।गली के कुत्ते किसी को भी खासतौर पर गर्भवती महिला या छोटे बच्चे के लिए मुश्किल का कारण बन सकते है। इसलिए, निम्नलिखित बातें अवश्य सुनिश्चित करें :
- सुनिश्चित करें कि आपके पालतू कुत्ते की नियमित जांच होती हो और समय-समय पर उसे टीके लग रहे हों।
- यदि कुत्ते का व्यवहार अनियमित हो तो ऐसे में उन्हें ट्रेनिंग दें।
- कुत्तों में ईर्ष्या की भावना हो सकती है, ऐसे में बच्चे और मां का ख्याल ज्यादा रखें।
- उन कुत्तों से सावधान रहें जिन्हें आप नहीं जानते हैं और अपने बच्चे को घर लाने से पहले कुत्ते के व्यवहार संबंधी संकेतों पर ध्यान दें।
- अपने कुत्ते को टिक्स (जूं) से बचाएं।
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पालतू जानवर और शिशु: दोनों के साथ होने पर इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी
गर्भावस्था में पालतू जानवर से सावधानी बरतने की जरूरत होती है। यदि आपके पास बिल्ली है तो बता दें बिल्ली के मल में पैरासाइट होता है जो की टोक्सोप्लाज्मोसिस का कारण बनता है। टोक्सोप्लाज्मोसिस एक सामान्य संक्रमण है और गर्भवती महिला और बच्चे को यह संक्रमण प्रभावित नहीं करता है। यदि आप काफी समय से बिल्लियों के आसपास रहे हैं, तो संभावना है कि आप इस इन्फेक्शन के शिकार हो जाएं। हालांकि, सभी बिल्लियों में पैरासाइट नहीं होता है। वैसे घर में रहने वाली बिल्लियों में टोक्सोप्लाज्मोसिस या किसी अन्य बीमारी होने की संभावना कम होती है। लेकिन, संक्रमण कब और किसे घेर ले, यह कहना मुश्किल है। इसलिए, संक्रमण को रोकने के लिए ये टिप्स फॉलो करें-
- समय-समय पर अपने हाथ धोएं।
- बिल्ली को कच्चा मीट ना खिलाएं क्योंकि उसमें पैरासाइट होने की संभावना अधिक होती है।
- बिल्ली जिस जगह पर मल और मूत्र त्यागे, उस जगह से दूर रहें।
- बिल्लियों के लिए उपयोग होने वाले सैंडबॉक्स को ढंककर रखे।
- सैंडबॉक्स को साफ करते समय हमेशा डिस्पोजेबल दस्ताने पहनें।
- सैंडबॉक्स को प्रतिदिन साफ करें।
- नियमित रूप से बिल्ली की जांच करवाएं और टीकाकरण के लिए पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
अपने बच्चे के लिए पेट्स के तौर पर क्या चुनें?
इसके कोई दोराय नहीं कि लगभग 90 फीसदी लोग अपने बच्चे की सुरक्षा और घर पर एक खुशहाल पेट्स के तौर पर किसी कुत्ते का ही चुनाव करना पसंद करेंगे। हालांकि, डॉग्स के अलावा, आप किट्न, खरगोश, तोता, कछुआ आदि भी अपने घर पर रख सकते हैं। कोशिश करें कि पेट्स हमेशा न्यू वॉर्न बेबी ही हो। क्योंकि उनका लगाव आपके प्रति बहुत ज्यादा हो सकता है और आप उन्हें अपनी सहूलियत के अनुसार ट्रेन भी कर सकते हैं। वहीं, अगर आप किसी बड़े पेट्स का चुनाव करते हैं, तो हमेशा किसी ट्रेंड पेट्स का ही चुनाव करें। ध्यान रखें कि आपकों एक जानवर के साथ तालमेल बिठाने में काफी वक्त लग सकता है। इस दौरान आपको कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
हम उम्मीद करते हैं कि पालतू जानवर और शिशु की देखभाल पर आधारित यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आपके घर में पालतू जानवर और नवजात शिशु एकसाथ हैं तो आपको ऊपर बताई बातों का ध्यान रखना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
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