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Miscarriage: गर्भपात क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Anoop Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/09/2021

    Miscarriage: गर्भपात क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

    गर्भावस्था के 20 वें सप्ताह से पहले भ्रूण का  मरना गर्भपात (मिसकैरिज) कहलाता है। यह आमतौर पर पहली तिमाही या प्रेगनेंसी के शुरुआत के पहले तीन महीनों के दौरान होता है। गर्भपात (मिसकैरिज)कई कारणों एवं स्वास्थ्य समस्याओं से होता है जिनमें से कई समस्याएं अपने नियंत्रण में नहीं होती हैं। अधिकांश गर्भपात इसलिए हो जाता है क्योंकि भ्रूण सामान्य तरीके से विकसित नहीं हो पाता और अपने आप नष्ट हो जाता है।

    गर्भपात (मिसकैरिज) होना एक सामान्य समस्या है लेकिन यह महिला को शारीरिक और मानसिक आघात पहुंचाता है और इससे उबरने में काफी समय लगता है। कई बार महिला को गर्भपात (मिसकैरिज) के संकेत पहले ही मिल जाते हैं। अगर समस्या की जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकती हैं।

    गर्भपात (मिसकैरिज) कई प्रकार का होता है, जो इसके लक्षणों और प्रेग्नेंसी के स्टेज पर निर्भर करता है। डॉक्टर निदान के बाद यह बताते हैं कि महिला को किस तरह का गर्भपात हुआ है।

    गर्भपात के प्रकार

    पूर्ण गर्भपात (Complete abortion): इसमें सभी प्रेग्नेंसी टिश्यू शरीर से बाहर निकल आते हैं।

    अपूर्ण  गर्भपात (मिसकैरिज): इसमें महिला के शरीर से कुछ टिश्यू और प्लेसेंटा के भाग शरीर से बाहर निकल आते हैं जबकि कुछ अंदर ही रह जाते हैं।

    मिस्ड मिसकैरेज (Missed miscarriage): इसमें भ्रूण अपने आप नष्ट हो जाता है और महिला को पता भी नहीं चल पाता।

     थ्रेटेंड मिसकैरेज : महिला को तेज ब्लीडिंग और ऐंठन होता है जो गर्भपात का संकेत देता है।

    अनिवार्य गर्भपात: इसमें गर्भाशय ग्रीवा फैलने, ब्लीडिंग और ऐंठन के कारण गर्भपात करना जरुरी होता है।

    सेप्टिक गर्भपात: गर्भाशय के अंदर इंफेक्शन के कारण गर्भपात हो जाता है।

    कितना सामान्य है गर्भपात (Miscarriage) होना?

    गर्भपात यानी मिसकैरिज एक सामान्य समस्या है। पूरी दुनिया में लाखों महिलाओं को प्रेग्नेंसी वीक पूरा होने से पहले ही गर्भपात हो जाता है। लगभग 50 प्रतिशत प्रेग्नेंसी पीरियड रुकने या महिला को अपनी गर्भावस्था का पता चलने से पहले ही समाप्त हो जाती है। जबकि 15 से 25 प्रेग्नेंसी महिला की जानकारी में गर्भपात के रुप में खत्म हो जाती है।

    80 प्रतिशत से अधिक गर्भपात प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में होता है। 50 प्रतिशत गर्भपात (मिसकैरिज) क्रोमोसोम से जुड़ी समस्याओं के कारण होता है। जबकि 35 की उम्र में गर्भधारण के दौरान  20 प्रतिशत गर्भपात के मामले सामने आते हैं। 40 की उम्र में गर्भापात की संभावना 40 प्रतिशत और 45 की उम्र में 80 प्रतिशत बढ़ जाती है। गर्भावस्था के 12वे हफ्ते पहले गर्भपात के 85 प्रतिशत मामले नजर आते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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    गर्भपात (मिसकैरिज) के क्या लक्षण है? (Miscarriage symptoms)

    गर्भपात (मिसकैरिज) के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं जो प्रेग्नेंसी के स्टेज पर निर्भर करते हैं।कुछ मामलों में गर्भपात इतनी जल्दी हो जाता है कि महिला को पता ही नहीं चल पाता कि वह गर्भवती थी । गर्भपात (मिसकैरिज) के ये लक्षण सामने आते हैं :

    कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से पूरे शरीर में संकुचन होने लगता है। यदि योनि से भ्रूण के ऊतक या प्लेसेंटा के कुछ हिस्से बाहर निकलते हैं तो इन्हें एक साफ कंटेनर में रखें और तुरंत डॉक्टर के पास जाकर दिखाएं। यह ध्यान रखें कि ज्यादातर प्रेगनेंट महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती है लेकिन जल्दी ही अपने आप समाप्त भी हो जाती है। यदि ब्लीडिंग पीरियड के जैसी हो रही हो तो यह गर्भपात (मिसकैरिज) का संकेत हो सकता है।

    गर्भपात (मिसकैरिज):  मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

    ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर गर्भपात (मिसकैरिज) अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।

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    गर्भपात (मिसकैरिज) होने के कारण क्या है?

    गर्भपात (मिसकैरिज) आमतौर पर कई कारणों से होता है। गर्भावस्था के दौरान मां का शरीर भ्रूण को हार्मोन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है जो भ्रूण के विकास में मदद करता है। पहली तिमाही में गर्भपात तब होता है जब भ्रूण का सामान्य तरह से विकास नहीं हो पाता है। गर्भपात के 50 प्रतिशत मामले क्रोमोसोम या जीन से जुड़ी समस्याओं के कारण सामने आते हैं। इसके अलावा 35 वर्ष की उम्र के बाद इसका खतरा अधिक बढ़ जाता है।

    गुणसूत्र जीन को धारण करता है और भ्रूण में एक जोड़ी गुणसूत्र मां से और एक जोड़ी पिता से प्राप्त होता है। लेकिन एक्स्ट्रा गुणसूत्र या इसका अभाव होने पर भ्रूण बनता तो है लेकिन विकसित होने से पहले ही नष्ट हो जाता है। इसके अलावा यदि दोनों जोड़ी गुणसूत्र पिता से ही प्राप्त होने पर भ्रूण का विकास प्रभावित होता है और मोलर प्रेगनेंसी के कारण गर्भपात हो सकता है।

    खराब जीवनशैली और खानपान से भी भ्रूण का विकास प्रभावित होता है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी या कुपोषण, ड्रग या एल्कोहल का सेवन, अधिक उम्र में मां बनना, थॉयराइड रोग, हाॅर्मोन से जुड़ी समस्याएं, मोटापा, इंफेक्शन, गर्भाशय ग्रीवा में समस्या, हाई ब्लड प्रेशर सहित कई अन्य समस्याओं से भी गर्भपात हो सकता है।

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    गर्भपात (मिसकैरिज) के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?

    जैसा कि पहले ही बताया गया कि गर्भपात (मिसकैरिज) एक आम समस्या है। गर्भपात के कारण महिला को भविष्य में प्रेग्नेंट होने में सामान्य रुप से कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन शरीर में कमजोरी, खून की कमी, बाल झड़ना और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं कुछ महिलाओं में यूटेरिन इंफेक्शन भी हो सकता है। गर्भपात के बाद योनि से गंधयुक्त स्राव और पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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    यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

    गर्भपात का निदान (Miscarriage diagnosis) कैसे किया जाता है?

    गर्भपात का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस समस्या को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :

    • अल्ट्रासाउंड-इसमें डॉक्टर भ्रूण के हार्ट बीट और सामान्य विकास का पता लगाते हैं। यदि पहले अल्ट्रासाउंड में निदान नहीं हो पाता है तो एक हफ्ते बाद दूसरा अल्ट्रासाउंड करके बच्चे की स्थिति का पता लगाया जाता है।
    • ब्लड टेस्ट- खून की जांच करके महिला के शरीर में एचसीजी और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर का पता लगाया जाता है। ये दोनों हार्मोन असामान्य होने पर प्रेगनेंसी में समस्या हो सकती है।
    • पेल्विक परीक्षण- इसमें यह परीक्षण किया जाता है कि गर्भवती महिला का गर्भाशय ग्रीवा कितना पतला या फैल गया है।
    • टिश्यू टेस्ट-योनि से टिश्यू बाहर निकलने पर इसकी जांच की जाती है और गर्भपात की पुष्टि की जाती है।

    इसके अलावा यदि किसी महिला को यदि पहले भी गर्भपात हो चुका हो तो डॉक्टर पति और पत्नी दोनों को क्रोमोसोम टेस्ट कराने के लिए कहते हैं ताकि यह पुष्टि हो सके की गुणसूत्र संबंधी समस्याएं ही गर्भपात के लिए जिम्मेदार हैं।

    गर्भपात का इलाज (Miscarriage treatment) कैसे होता है?

    गर्भपात यानी मिसकैरिज का इलाज गर्भपात के प्रकार पर निर्भर करता है। कुछ थेरिपी और दवाओं से गर्भपात के असर को कम किया जाता है। गर्भपात के लिए के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :

    1. प्रेगनेंसी के ऊतकों और प्लेसेंटा को बाहर निकालने के लिए ओरली कुछ दवाएं दी जाती हैं जबकि कुछ गोलियों को योनि में डाला जाता है। इस दवाओं के प्रभाव से चौबीस घंटे में शरीर के अंदर से सभी ऊतक बाहर निकल आते हैं और कुछ दिनों में महिला सामान्य जीवन जीने लगती है।
    2. सर्जिकल प्रोसिजर तब किया जाता है जब यूट्रेस  से भी गर्भपात का उपचार किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा को फैलाकर गर्भाशय के अंदर से ऊतकों को निकालते हैं। इस विधि तब अपनायी जाती है जब महिला को इंफेक्शन या हैवी ब्लीडिंग हो रही हो।

    इसके अलावा यदि इंफेक्शन के कोई लक्षण नहीं नजर आते हैं लेकिन गर्भपात की पुष्टि के लिए महिला को तीन से चार हफ्तों का इंतजार करना पड़ता है। जब यह पता चल जाता है कि भ्रूण खराब हो चुका है तो दवा या सर्जिकल ट्रीटमेंट से गर्भाशय से ऊतकों को निकाला जाता है।

    जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे गर्भपात (Miscarriage)  से बचाने करने में मदद कर सकते हैं?

     गर्भपात से बचने के लिए डॉक्टर आपको गर्भधारण करने के बाद पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, आयरन और फोलिक एसिड लेने की सलाह देंगे। हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए आपको वह संपूर्ण आवश्यक आहार लेने चाहिए जो एक मां बनने वाली महिला के शरीर के लिए जरूरी होता है। गर्भावस्था के दौरान निम्न फूड का सेवन करना चाहिए:

    • लिवर
    • शेलफिश
    • मशरूम
    • अखरोट
    • दूध
    • दही
    • फल 
    • हरी पत्तेदार सब्जियां
    • पनीर

    संतुलित खानपान के साथ ही नियमित एक्सरसाइज करना चाहिए और इंफेक्शन से बचने के लिए हर सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान, एल्कोहल या नशीली दवाओं का सेवन नहीं करना चहिए और कैफीन युक्त पेयपदार्थ सीमित मात्रा में लेना चाहिए। साथ ही रोजाना मल्टी विटामिन लेने चाहिए और किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने पर जांच करानी चाहिए।

    उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए आप एक्सपर्ट से भी जानकारी ले सकते हैं। इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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