फर्स्ट ट्राइमेस्टर (First trimester)
प्रेग्नेंसी के दौरान ऑर्गैज्म (ograsm) का अनुभव करना चाहती हैं तो आपके लिए फर्स्ट ट्राइमेस्टर सही होगा। इस दौरान महिलाओं की बॉडी ज्यादा सेंसटिव हो जाती है। ब्रेस्ट इस दौरान ज्यादा सेंसटिव हो जाते हैं और पार्टनर के द्वारा इन्हें टच करने पर आप जल्दी एक्साइटेड हो सकती हैं। इसके साथ ही महिलाओं की लिबिडो भी इस दौरान बढ़ जाती है। वजायना में नैचुरल लुब्रिकेशन भी बढ़ जाता है जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान ऑर्गैज्म तक पहुंचना आसान होता है। इन सबके साथ इस दौरान आप मूड स्विंग, जी मिचलाना और उल्टी का शिकार हो जाती हैं। वहीं कई महिलाओं की सेक्स ड्राइव (sex drive) भी कम हो जाती है। इसलिए आप चाहें तो फर्स्ट ट्राइमेस्टर के दौरान ऑर्गैज्म को एंजॉय करें या इन लक्षणों के चले जाने का इंतजार करें।
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सेकेंड ट्राइमेस्टर (Second trimester)
अब बात करते हैं सेकेंड ट्राइमेस्टर के बारे में। दूसरा ट्राइमेस्टर आते-आते सामान्यत: मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) की समस्या से राहत मिल चुकी होती है और तीसरे ट्राइमेस्टर का डिसकंफर्ट शुरू होने में अभी काफी वक्त होता है। प्रेग्नेंसी में ऑर्गैज्म का अनुभव करने का यह बेस्ट टाइम हो सकता है, लेकिन निम्न बातों को आप महूसस कर सकती हैं।
1.ऑर्गैज्म (orgasm) के दौरान ज्यादा प्लेजर का होगा एहसास
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड फ्लो बढ़ जाता है। जिससे यूटेरस (uterus) और वजायनल एरिया (vaginal area) बड़ा हो जाता है। जिससे सेंसेटिविटी ज्यादा होती है। यह अनुभव हर महिला के लिए अलग हो सकता है, लेकिन ज्यादातर महिलाओं के लिए यह अधिक आनंददायक होता है और ऐसे में ऑर्गैज्म तक पहुंचना भी आसान होता है।
2.ऑर्गैज्म के बाद क्रैम्प्स (cramps) अनुभव होना
ऐसा होना सामान्य है। ऐसा तब भी हो सकता है जब आप प्रेग्नेंट ना भी हो। इनको लेकर परेशान ना हो। यह लेबर पेन नहीं है और नाही इससे लेबर पेन शुरू होगा। क्रैम्प्स आराम करने के बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं।
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3.पेट बहुत टाइट होने का एहसास
इससे भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसा सामान्य महिला को ऑर्गैज्म के दौरान भी एहसास हो सकता है। स्ट्रेच स्किन और बड़ी बेली के साथ चांसेज ज्यादा होते हैं कि आपको अधिक सेंसेशन महसूस हो।