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दूसरे बच्चे में 18 महीने का गैप रखना क्यों है जरूरी?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/12/2021

    दूसरे बच्चे में 18 महीने का गैप रखना क्यों है जरूरी?

    हैलो मॉमीज… अगर आप मां बन चुकी हैं और दूसरी बार प्रेग्नेंसी (Second pregnancy) प्लान कर रहीं हैं, तो इस बार पहले से ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होगी। आज जानते हैं दूसरी बार प्रेग्नेंसी (Second pregnancy) प्लान करने से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।   

  • पहले शिशु के जन्म के 18 महीने बाद दूसरा बेबी प्लान करें। एक बच्चे के जन्म के बाद फिर से गर्भधारण के गैप को बर्थ स्पेसिंग और इंटरप्रेग्नेंसी इंटरवल (IPI) कहते हैं।
  • पहले शिशु और दूसरे शिशु की सेहत में अगर गैप कम होगा तो इससे दूसरे शिशु के हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • नॉर्मल डिलिवरी के बाद भी स्वस्थ होने में महिला को वक्त लग सकता है।
  • पहली प्रेग्नेंसी के बाद बर्थ कंट्रोल जैसे IUDs या कंडोम का इस्तेमाल करें
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    दूसरी बार प्रेग्नेंसी (Second pregnancy) शुरू होने से पहले 18 महीने का गैप क्यों रखें?

    18 महीने से पहले फिर से प्रेग्नेंट होने से शिशु को शारीरिक परेशानी हो सकती है, इन परेशानियों में शामिल हैं। 

    प्रीमैच्योर बर्थ (Premature birth)

    प्रेग्नेंसी के 37वें हफ्ते से पहले शिशु के जन्म को प्रीमैच्योर बर्थ या प्रीमैच्योर बेबी कहते हैं। ऐसे बच्चों में शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं। साथ ही प्रीमैच्योर बेबी को हॉस्पिटल में ज्यादा दिनों तक रहना पड़ता है। जितना कम गैप होगा उतना ही ज्यादा प्रीमैच्योर बर्थ का खतरा होगा।

    लो बर्थ वेट (Low birth rate)

    जन्म के वक्त शिशु का वजन 3 या साढ़े 3 किलो से कम होना। प्रीमैच्योर बर्थ या लो बर्थ वेट के कारण शिशु को आने वाले समय में परेशानी भी हो सकती है।

    दूसरी बार प्रेग्नेंसी में किस तरह के बदलाव होते हैं?

    शिशु का मूवमेंट (Babies movement)

    पहली गर्भावस्था के दौरान अक्सर मां अपने शिशु के मूवमेंट को महसूस नहीं कर पाती हैं, लेकिन सेकेंड प्रेग्नेंसी में शिशु का मूवमेंट आसानी से समझा जा सकता है। दूसरी बार प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला पहली प्रेग्नेंसी से ज्यादा एक्टिव रहती हैं।

    थकावट होना (Tiredness)

    प्रेग्नेंसी के शुरुआत से ही शरीर हॉर्मोनल बदलाव के कारण कई सारे बदलाव आते हैं। इस दौरान प्रोजेस्ट्रोन लेवल के बढ़े होने के कारण पहली प्रेग्नेंसी जैसी थकावट होती है, लेकिन इस दौरान गर्भवती महिला थकान से अवगत रहती है इसलिए आसानी से इसका सामना कर लेती हैं।

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    बेबी बंप (Baby bump)

    पहली प्रेग्नेंसी की तुलना में दूसरी बार प्रेग्नेंसी में बेबी बंप कुछ कम हो सकता है क्योंकि पहली गर्भावस्था के समय एब्डॉमेन स्ट्रेच हो चुका होता है।

    वजन बढ़ना (Weight gain)

    गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना स्वभाविक है। इसलिए अत्यधिक वजन बढ़ने पर परेशान न हो। वैसे प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज से बॉडी को फिट रखा जा सकता है

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    नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार 4 महिलाओं में से 1 महिला दूसरी बार प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करती हैं। ऐसा निम्नलिखित कारणों से पैरेंट्स करते हैं।

    • पहले शिशु को भाई-बहन का प्यार मिल सके।
    • ज्यादा बच्चों की चाह।
    • पहले शिशु में कोई परेशानी होना।

    इन कारणों से लगता है इस सदी में भी लोग हम दो हमारे दो के फॉर्मूले को मानते हैं।

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    दूसरी बार प्रेग्नेंसी की जटिलताएं

    यदि आप स्वस्थ हैं और पिछली गर्भावस्था में कोई समस्या नहीं थी, तो इस बार प्रेग्नेंसी में जटिलताओं के लिए आपका जोखिम कम है। यह भी सच है कि कुछ जटिलताओं के लिए खतरा बढ़ जाता है, जैसे कि प्रसवोत्तर रक्तस्राव (पीपीएच), लेकिन ये मुख्य रूप से उन महिलाओं के लिए चिंता का विषय है जिनके कई बच्चे हैं। यदि आपको पहले गर्भधारण में कुछ शिकायतें हो चुकी है – समय से पूर्व प्रसव और जन्म, प्रीक्लेम्पसिया, प्रसवोत्तर रक्तस्राव  तो आपको अपनी दूसरी प्रेग्नेंसी में जटिलता होने का अधिक जोखिम है। यदि आप अपनी पिछली गर्भावस्था के बाद से उच्च रक्तचाप, मोटापा या मधुमेह जैसी चिकित्सा स्थिति विकसित कर चुके हैं, तो इस समय आपको कुछ जटिलताओं का भी अधिक खतरा है।

    सुझाव: सुनिश्चित करें कि आपका डॉक्टर आपके गर्भधारण या प्रसवोत्तर जटिलताओं से अवगत हो। ऐसे में आपके बच्चों को हुई कोई समस्या हुई हो या आपको पहली प्रेग्नेंसी में किसी समस्या का सामना करना पड़ हो। ये सारी जानकारी होने पर आपका डॉक्टर आपकी प्रेग्नेंसी के दौरान आपका बेहतर ढंग से ख्याल रख पाएगा और साथ ही आपको एक बेहतर इलाज मुहैया कराया जा सकता है।

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    क्या दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) बंद कर देना चाहिए?

    यदि आप चाहे तो आप दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान भी पहले बच्चे की नर्सिंग जारी रख सकती हैं। कई अध्ययनों में सामने आया है कि ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) से दूसरे बच्चे के विकास में कोई असर नहीं पड़ता है और साथ ही इससे किसी भी तरह के मिसकैरिज (Miscarriage) या अन्य किसी समस्या का खतरा भी नहीं होता है। बावजूद इसके आपको डॉक्टर ये इस बारे में बात करनी चाहिए कि ऐसा करने से प्रसव या गर्भपात से जुड़ा कोई जोखिम है कि नहीं।

    आप दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान भी ब्रेस्टफीडिंग करना जारी रख सकती है, लेकिन आप यह भी जान लें कि ऐसा करने से आपको निप्पल्स में ज्यादा उत्तेजना महसूस हो सकती है और साथ ही आपको ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग कराते समय परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप अपने पहले बेबी को ब्रेस्टमिल्क के अलावा दूसरे फूड आयटम्स से परिचय कराएं। अंत में, आपका बच्चा आपके लिए निर्णय ले सकता है।

    आपके दूध की आपूर्ति कम हो जाती है और गर्भावस्था के दौरान स्वाद बदल जाता है। एक अध्ययन में पाया गया कि स्तनपान कराने वाले बच्चों में से एक चौथाई बच्चों को ब्रेस्टमिल्क के अलावा अन्य फूड्स में दिलचस्पी तब हुई, जब उनकी मां दूसरी प्रेग्नेंसी से गुजर रही थीं।

    दूसरी बार प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Second pregnancy planning) से पहले अपनी सेहत का ख्याल रखें, लेकिन अगर आप दूसरी बार प्रेग्नेंसी (Second pregnancy planning)  से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

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    18 महीने से कम समय में फिर से मां बनने के नुकसान

    आपके शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाएगा। एक साथ एक साल में 2 बच्चे होने से न तो आपके शरीर को अंदर से आराम मिल पाता है और न ही बाहर से। इतने कम समय में बच्चा पैदा करने से जिम्मेदारियां दोगुनी हो जाती हैं।

    दिन रात बच्चों के डायपर बदलना, खाना खिलाना और उन्हें नहलाना। यह सभी आपके रोजाना के टास्क बन के रह जाएंगे। जिसके कारण न तो आप खुद को समय दे पाएंगी और न ही शरीर को आराम मिलेगा।

    दोनों बच्चों में 1 साल से कम का गैप होने पर बड़े बच्चे को छोटे शिशु के आने का अधिक एहसास नहीं हो पाता है और न ही वह इस बदलाव को पूरी तरह से समझ पाता है। जिसके कारण बड़े बच्चे को छोटे बच्चे को अपनाने में मुश्किल आ सकती है।

    इसके साथ ही जब बड़े बच्चे के साथ माता-पिता हर समय नहीं रहते हैं या उनका ध्यान पूरी तरह से उस पर नहीं होता है तो वह पेरेंट्स का आकर्षण खींचने के लिए अलग-अलग प्रकार की चीजें करने लगता है। जैसे कि रोना, शैतानी करना या चुप रहना।

    अधिक जानकारी के लिए गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

    डिस्क्लेमर

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