backup og meta

गर्भावस्था का बालों पर पड़ सकता है बुरा असर, अपनाएं ये घरेलू उपाय

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/04/2021

    गर्भावस्था का बालों पर पड़ सकता है बुरा असर, अपनाएं ये घरेलू उपाय

    गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair) पड़ना एक सामान्य स्थिति होती है जो गर्भावस्था के दौरान लगभग हर महिला में देखी जा सकती है। कई महिलाओं में इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो कुछ पर नकारात्मक असर देखा जाता है। ज्यादातर महिलाओं में गर्भावस्था का बालों पर असर सकारात्मक होता है। ऐसा होने पर उनके बाल बेहद घने और रेशमी हो जाते हैं। इसका कारण उनमें अधिक एस्ट्रोजन का स्तर होता है जिसकी वजह से बालों का झड़ना धीमा हो जाता है।

    हालांकि, अन्य महिलाओं में गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair) नकारात्मक पड़ता है उनके बाल कमजोर और पतले होने लगते हैं। गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद बालों का झड़ना एक गंभीर समस्या हो सकता है जिसका सामना कई महिलाओं को करना पड़ता है।

    इस बात पर यदि रोशनी डाली जाए तो गर्भावस्था में बालों का झड़ना सामान्य भी हो सकता है और यह हार्मोनल बदलाव, शारीरिक तनाव या किसी स्वास्थ्य स्थिति के कारण भी हो सकता है।आज हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था बालों पर असर क्यों और कैसे पड़ता है और साथ ही इसे रोकने के लिए आप क्या कर सकती हैं।

    और पढ़ें – प्रेगनेंसी में डायबिटीज : गर्भावस्था के दौरान बढ़ सकता है शुगर लेवल, ऐसे करें कंट्रोल

    गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair) पड़ने के कारण

    pregnancy hairfall, प्रेग्नेंसी में हेयरफॉल

    महिला और पुरुष प्रति दिन अपने 50 से 100 बाल खो देते हैं। गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन के अधिक स्तर के कारण बालों के झड़ने की प्रक्रिया में कमी आती है। इसके परिणामस्वरुप अधिकतर महिलाओं में गर्भावस्था के कारण बाल झड़ने में कमी आती है। हालांकि, सभी मामलों में ऐसा नहीं होता है।

    कुछ महिलाओं में स्ट्रेस या शॉक के कारण गर्भावस्था में बालों का हल्का और झड़ना शुरू होने लगता है। इस स्थिति को टेलोजेन एफ्लुवियम कहा जाता है जो बेहद कम महिलाओं में पाई जाती है।

    पहली तिमाही में शिशु के विकास की वजह से हार्मोनल बदलाव के कारण शरीर पर अत्यधिक स्ट्रेस पड़ सकता है। इसके कारण महिलाएं 30 प्रतिशत अधिक बाल झड़ने की समस्या का सामना करती हैं। तो साधारण प्रक्रिया में प्रतिदिन 100 बाल झड़ने की बजाए गर्भावस्था में बालों का झड़ना 300 तक पहुंच जाता है। हार्मोनल बदलाव के कारण बाल झड़ना एकदम से सामने नहीं आता है। गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair) 3 से 4 महीने बाद दिखाई देता है। यह स्थिति 6 महीनों तक चल सकती है लेकिन परमानेंट नहीं रहती।

    और पढ़ें – क्या प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट बच्चे के लिए खतरा बन सकता है? जानिए इसके उपचार के तरीके

    स्वास्थ्य समस्याओं से गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair)

    गर्भावस्था में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं विकसित होना साधारण होता है, जिसके कारण टेलोजेन एफ्लुवियम जैसी स्थिति उतपन्न हो सकती है। शरीर में किसी हार्मोनल बदलाव या महत्वपूर्ण विटामिन में कमी के कारण गर्भावस्था में बालों का झड़ना अचानक से आ सकता है। निम्न कुछ ऐसी ही स्थिति हैं जिनके कारण गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair) तेजी से पड़ता है :

    थायरॉइड (Thyroid)

    गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड की बीमारी   (Thyroid)की पहचान करना बेहद मुश्किल होता है। यह आमतौर पर शरीर में थायराइड हॉर्मोन के अधिक व कम स्तर के कारण होता है। अत्यधिक हॉर्मोन की वजह से हाइपरथायराइडिज्म हो सकता है और थायरॉइड हॉर्मोन की कमी के कारण हाइपोथायराइडिज्म होने की आशंका रहती है। इन दोनों स्थितियों के कारण गर्भावस्था में बालों का झड़ना देखा जा सकता है।

    आयरन की कमी (Iron deficiency)

    आयरन की कमी तब विकसित होती है जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं पर्याप्त मात्रा में ऊतकों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाती हैं। इसके कारण गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair) पड़ सकता है और बालों की सामान्य स्थिति वापिस आने की संभावना बेहद कम हो जाती है।

    प्रसव के बाद बालों का झड़ना

    पोस्टपार्टम हेयर लॉस ज्यादातर महिलाओं में डिलीवरी के कुछ महीनों बाद दिखाई देने लगता है। आमतौर पर इसका सबसे अधिक असर 4 महीने बाद होता है। यह असल में बालों का झड़ना नहीं होता है बल्कि एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण बाल हल्के होने लगता हैं। इस प्रकार के हेयर लॉस को भी टेलोजेन एफ्लुवियम कहा जाता है।

    अन्य कारण

    टेलोजेन एफ्लुवियम में बाल झड़ना एक मात्र बालों के हल्के होने की स्थिति होती है। यदि आपको स्कैल्प पर अत्यधिक बालों का झड़ना दिखाई देता है तो यह किसी अन्य गंभीर स्थिति का लक्षण हो सकता है। कई जेनेटिक और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के कारण भी बालों का झड़ना मुमकिन होता है।

    एंड्रोजेनिक एलोपेसिया महिलाओं में गंजेपन की स्थिति  होती है। यह बालों के हल्के व छोटे होने के कारण विकसित होती है।

    एलोपेसिया एरिएटा में महिलाओं के सिर के ऊपर बालों के झड़ने के कारण धब्बे बनने लगते हैं। इस स्थिति में बाल शरीर के अन्य अंगों से भी झड़ सकते हैं। अभी तक इसका कोई इलाज नहीं मिल पाया है लेकिन कुछ ट्रीटमेंट की मदद से इसे कम किया जा सकता है।

    और पढ़ें – हानिकारक बेबी प्रोडक्ट्स से बच्चों को हो सकता है नुकसान, जाने कैसे?

    घरेलू उपायों से रोकें गर्भावस्था में बालों का झड़ना ( Home remedies for hair loss in pregnancy)

    गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair) पड़ना महिलाओं के लिए एक गंभीर स्थिति होती है। गर्भावस्था में बालों का झड़ना रोकने के लिए आप चाहें तो निम्न घरेलू उपायों का इस्तेमाल कर सकती हैं। घरेलू उपायों के कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं और इनकी मदद से कुछ दिनों में बालो का झड़ना रोका जा सकता है।

    तेल की मालिश (Oil massage)

    गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair) रोकने के लिए सबसे आसन और प्रभावशाली उपाय होता है तेल की मालिश। आप इसके लिए नारियल, बादाम, जैतून और सरसों के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

    एलोवेरा जैल (Aloe vera gel)

    त्वचा के विकारों के लिए एलोवेरा जैल (Aloe vera gel) बेहद लोकप्रिय है। सिर की सुखी व संक्रमित त्वचा पर एलोवेरा जैल को लगाने से बालों का झड़ना रोका जा सकता है।

    बालों के लिए असरदार है नीम (Neem)

    नीम एक आयुर्वेदिक औषधि है जो त्वचा और बालों के इलाज में बेहद प्रभावशाली मानी जाती है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं और गर्भावस्था का बालों पर असर (Pregnancy effect on hair) कम कर देते हैं। नीम का पेस्ट बनाकर बालों पर लगायें और सूख जाने पर माइल्ड शैंपू से धो लें।

    आंवले को आयुर्वेद में बालों का झड़ना रोकने के लिए सबसे बेहतरीन उपचार माना जाता है। रोजाना एक चम्मच आंवला के पाउडर के सेवन व आंवला के तेल की मालिश से बालों को मजबूत बनाया जा सकता है। इससे बालों के झड़ने की समस्या खत्म हो जाती है।

    इन सबके अलावा संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि आहार का सीधा संबंध मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्यता पर होता है। 

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/04/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement