इंडिया में 1,000 में से 9 ट्विन्स बच्चे होते हैं
ट्विन्स बच्चों का जन्म आजकल बहुत सामान्य हो गया है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेस के अनुसार साल 1980 से ट्विन्स बच्चे या मल्टिपल बच्चों का जन्म 75 प्रतिशत तक बढ़ा है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1000 बच्चों के जन्म में 9 ट्विन्स बच्चे पैदा होते हैं। हालांकि भारत की तुलना में अन्य देशों में ट्विन्स बच्चे या मल्टिपल बच्चों का जन्म ज्यादा होता है। ऐसा माना जाता है कि कपल फर्टिलिटी ड्रग्स का उपयोग ज्यादा करते हैं। बेबी प्लानिंग में परेशानी महसूस होने पर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की मदद से बेबी प्लानिंग करना आसान हो जाता है।
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ट्विन्स बच्चे सबसे कॉमन मल्टिपल प्रेग्नेंसी मानी जाती है। ट्विन्स बच्चे दो प्रकार के होते हैं.
1. आइडेंटिकल ट्विन्स (Identical Twins)
2. फ्रेटर्नल (नॉन-आइडेंटिकल) ट्विन्स (non-identical Twins)
1. आइडेंटिकल ट्विन्स
आइडेंटिकल ट्विन्स को मोनोजाइगॉटिक भी कहते हैं। एक जैसे दिखने वाले ट्विन्स बच्चे गर्भ में तब आते हैं, जब एक एग (अंडा) एक ही स्पर्म से फर्टिलाइज हो जाता है और बाद में एक एग दो भागों में बंट जाता है। ये दोनों एग अलग होकर गर्भ में विकसित होने लगते हैं। इसीलिए, ये बच्चे ज्यादातर पर एक ही जैसे दिखाई देते हैं। आइडेंटिकल ट्विन्स का लिंग (Sex), कद (Height), चेहरा और स्वभाव एक जैसे होता है।
2. फ्रेटर्नल (नॉन-आइडेंटिकल) ट्विन्स
फ्रेटर्नल (नॉन-आइडेंटिकल) ट्विन्स को डायजाइगॉटिक भी कहते हैं। फ्रेटर्नल ट्विन्स तब होते हैं जब किसी महिला की ओवरी से दो अंडे निकलते हैं और दो अलग-अलग स्पर्म उन्हें फर्टिलाइज करते हैं। दोनों बच्चों के जीन अलग-अलग होने के कारण ये एक जैसे नहीं दिखते हैं। इन बच्चो के लिंग, आदतें, रंग-रूप, स्वभाव एक दूसरे से नहीं मिलते हैं।
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ट्विन्स बच्चे के जन्म के पीछे क्या हैं कारण?
जुड़वां बच्चे का जन्म निम्नलिखित कारणों पर निर्भर करता है। इनमें शामिल हैं-
1. जुड़वां बच्चों के जन्म का कारण जेनेटिकल (अनुवांशिक) हो सकता है
जुड़वां बच्चों का जन्म सबसे पहले जेनेटिकल कारणों पर निर्भर करता है। अगर आप खुद या आपके माता-पिता या फिर ब्लड रिलेशन में कोई ट्विन्स है तो जुड़वां बच्चों की संभावना ज्यादा होती है। जेनेटिकल कारणों की वजह से ऑव्युलेशन प्रॉसेस के दौरान दो एग (अंडों) का फॉर्मेशन होता है। जिस कारण ट्विन्स बेबी की संभावना बढ़ जाती है।
2. जुड़वां बच्चों का जन्म माता-पिता की लंबाई और वजन पर करता है निर्भर
महिला के बॉडी का वेट ज्यादा होना और लंबाई ज्यादा होना जुड़वां बच्चे होने के संकेत हो सकता है।
3. जुड़वां बच्चों का जन्म मां की उम्र ज्यादा होने के कारण हो सकता है
जिन महिलाओं की उम्र 35 साल से ज्यादा होती है उनमें जुड़वां बच्चे होने की संभावना ज्यादा होती है।
4. गर्भवती महिला ने पहले जुड़वां बच्चों को जन्म दिया हो
अगर महिला पहले जुड़वां शिशु को जन्म दे चुकी हैं, तो ऐसी स्थिति में ट्विन्स बच्चे की संभावना ज्यादा होती है।
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ट्विन्स बच्चे के गर्भधारण से क्या गर्भवती महिला को परेशानी हो सकती है?
गर्भावस्था में गर्भवती महिला के शरीर में कई सारे बदलाव आते हैं लेकिन, गर्भ में ट्विन्स बच्चे होने की स्थिति में परेशानी बढ़ सकती है। इन परेशानियों में शामिल हैं।
1. उच्च रक्तचाप (High blood pressure)
ट्विन्स बच्चे के गर्भधारण के कारण गर्भवती महिला में हाई ब्लड प्रेशर की संभावना ज्यादा होती है। अगर इस समय हाई ब्लड प्रेशर का ठीक तरह से इलाज न किया जाए और इसे कंट्रोल न किया जाए तो इसका नकारात्मक प्रभाव गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों पर पड़ सकता है। वैसे सामान्य प्रेग्नेंसी के दौरान महिला में हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की संभावना 10 प्रतिशत तक होती हैं, लेकिन ट्विन्स बच्चे की स्थिति में ढ़ाई गुना और ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसा प्रेग्नेंसी के 20वें हफ्ते में पहुंचने के बाद हो सकता है।
2. जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes)
गर्भ में एक से ज्यादा शिशु होने के कारण जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा युवा महिलाओं में ज्यादा होता है। अमेरिका और अफ्रीका जैसे देशों में जेस्टेशनल डायबिटीज जैसी समस्या ज्यादा देखी जाती है।
3. मिसकैरिज
सामान्य प्रेग्नेंसी की तुलना में गर्भ में जुड़वां बच्चे होने पर मिसकैरिज की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए अगर ट्विन्स बच्चे की जानकरी मिल गई है तो ऐसे में गर्भवती महिला का विशेष ख्याल रखना पड़ सकता है।
4. एनीमिया
शरीर में खून की कमी को एनीमिया कहते हैं। गर्भावस्था के दौरान खून की कमी हो सकती है, लेकिन ट्विन्स प्रेग्नेंसी में इसकी संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्भ में पल रहे दोनों शिशु को आहार मां से ही मिलता है। इसलिए ट्विन्स प्रेग्नेंसी में आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
5. बर्थ डिफेक्ट
ट्विन्स प्रेग्नेंसी के कारण जन्म लिए शिशु में जन्म दोष की संभावना ज्यादा होती है।
6. समय से पहले डिलिवरी
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार ट्विन्स बच्चों का जन्म समय से पहले हो सकता है। समय से पहले जन्म के कारण शिशु का शारीरिक विकास भी ठीक तरह से नहीं हो पाता।
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गर्भ में ट्विन्स बच्चे होने पर या ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान आहार कैसा होना चाहिए?
शरीर को स्वस्थ रखने में पौष्टिक आहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान अपनी डायट में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों में शामिल हैं।
- ट्विन्स बच्चे की अगर आप मां बनने वालीं हैं, तो गर्भावस्था में आयोडीन का सेवन ठीक तरह से करें। आयोडीन गर्भ में पल रहे ट्विन्स के शारीरिक विकास में मददगार होगा।
- नियमित रूप से अनाज, साबुत अनाज और दाल का सेवन करना चाहिए। इन सबके सेवन से प्रेग्नेंसी में होने वाली कब्ज की समस्या भी नहीं हो सकती है। साबुत आनाज और दाल जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से शरीर में पौष्टिक तत्वों की पूर्ति होती हैं।
- रोजाना फलों का सेवन करें। नाशपाती का सेवन ज्यादा लाभदयक होता है क्योंकि ट्विन प्रेग्नेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है।
- अपने आहार में प्रोटीन अवश्य शामिल करें। इसके लिए अगर आप नॉन-वेजीटेरियन हैं, तो चिकिन, मटन और अंडे का सेवन कर सकते हैं। सिर्फ इन खाद्य पदार्थों के अलावा अन्य कच्चे खाद्य पदार्थों को ठीक तरह से पका कर खाएं।
- गर्भवती महिला को अपने आहार में डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, दही या पनीर का सेवन अवश्य करना चाहिए।
ट्विन प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला को अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए लेकिन, अगर आप ट्विन्स बच्चे से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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