एचआईवी और एड्स ऑर्गनाइजेशन (avert) के आंकड़ों के अनुसार इंडिया में 2017 में एचआईवी इंफेक्शन के 88 हजार नए केसेस सामने आए थे। जिनमें से 34 हजार महिलाएं इस वायरस से संक्रमित पाई गईं थीं। इसी रिचर्स में ये बात भी सामने आई थी कि 15 से 24 उम्र की महिलाओं में केवल 22 प्रतिशत को ही पता था कि एचआईवी (HIV) से कैसे बचा जा सकता है। इन दोनों डेटा से समझा जा सकता है कि भारत में महिलाओं में एचआईवी (HIV) के बारे में जानकारी और जागरूकता कितनी कम है। वहीं अगर बात अमेरिका की करें 2014 के सीडीसी (centers of diseases control and prevention) के आंकड़ों के मुताबिक ढ़ाई लाख से ज्यादा महिलाएं एचआईवी (HIV) के साथ जीवन बिता रही हैं। एचआइवी एक वायरस (Virus) है जिसका पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (Human immunodeficiency virus) है। यह इंफेक्शन से लड़ने वाली वाइट ब्लड सेल्स (White blood cells) को नष्ट करके इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। वहीं इस वायरस से होने वाले एड्स (AIDS) का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired immunodeficiency syndrome) है। यह एचआईवी की फाइनल स्टेज है। एचआईवी के कारण सभी को एड्स नहीं होता है। पुरुषों को होने वाले एचआईवी इंफेक्शन और महिलाओं में एचआईवी (HIV in Women) में ज्यादा अंतर नहीं है, लेकिन महिलाओं में एचआईवी के लक्षण पुरुषों से थोड़े अलग हो सकते हैं।