डिश वॉश साबुन या लिक्विड में सोडियम लॉरेथ सल्फेट मिला होता है। सोडियम लॉरेथ सल्फेट एक ऐसा इंग्रिडिएंट है जो टॉयलेट क्लीनर में भी मिला होता है।सोडियम लॉरेथ सल्फेट एक फोमिंग एजेंट के रूप में बर्तन धोने के लिक्विड में इस्तेमाल होता है। सोडियम लॉरेथ सल्फेट बर्तनों से चिपचिपा ग्रीस निकालने में मदद करती है। लेकिन जब हम बर्तन को डिशवॉश लिक्विड से साफ करते हैं तो ये हमारे त्वचा द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। जिससे त्वचा पर एलर्जिक रिएक्शन और रैशेज हो सकते हैं। साथ ही हाथों की त्वचा भी खुरदुरी हो सकती है।
ट्राईक्लॉसैन (Triclosan)
ट्राईक्लॉसैन डिश वॉश लिक्विड का एक एक्टिव एजेंट है। ट्राईक्लॉसैन एक एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल एजेंट होता है। इस एजेंट को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा बैन भी कर दिया गया है। क्योंकि ट्राईक्लॉसैन कोशिका में पहुंच कर माइटोकॉन्ड्रिया को प्रभावित करता है। वहीं, पहले ट्राईक्लॉसैन का इस्तेमाल टूथपेस्ट में भी किया जाता था, लेकिन बाद में इसे बंद करा दिया गया। लेकिन भारत में अभी भी ट्राईक्लॉसैन का इस्तेमाल डिश वॉश लिक्विड में किया जाता है।
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फॉस्फेट (Phosphates)
बर्तन धोने के लिक्विड में फॉस्फेट पाया जाता है। जो बर्तन धोने के बाद पानी में घुल कर जमीन के अंदर पहुंचता है और हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, इसके साथ ही कई तरह के जलीय जीवों के लिए जानलेवा भी होता है।
इथाइलिनडाइएमिनेटेट्रैक्टिक एसिड (EDTA)
इथाइलिनडाइएमिनेटेट्रैक्टिक एसिड डिशवॉश लिक्विड में एक फोमिंग एजेंट की तरह काम करता है। ये बर्तनों की चिकनाहट को हटाने के काम आता है। वहीं, ये त्वचा की कोशिकाओं द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, जिससे त्वचा खुरदुरी हो सकती है।
फॉर्मेल्डिहाइड (Formaldehyde)
फॉर्मेल्डिहाइड के इस्तेमाल के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने प्रतिबंध लगा रखा है। फॉर्मेल्डिहाइड का इस्तेमाल मछलियों के प्रीजर्व करने में किया जाता है। फॉर्मेल्डिहाइड सेहत के लिए एक हानिकारक केमिकल है। ये कई तरह के कैंसर को उत्पन्न कर सकता है। इसलिए इस सरकार की तरफ से बैन कर दिया गया है। फॉर्मेल्डिहाइड का डायल्यूट रूप फॉर्मालिन होता है, जो कि कई डिश वॉश साबुन में पाया जाता है।