दिनभर की भाग-दौड़ के बाद जब सोने का वक्त आता है तो सभी एक सुकून भरी नींद चाहते हैं या वो अच्छी नींद के लिए उपाय करना चाहते हैं। लेकिन, फिर भी अच्छी नींद न आए तो उलझन होने लगती है। अच्छी नींद के लिए लोग कई तरह के उपाए भी करते हैं। आज उन्हीं उपायों में से हम बात कर रहे हैं कि कौन से रंग की लाइट बेडरूम में लगाई जाए जिससे सात से आठ घंटे की अच्छी नींद आ सके। अच्छी नींद के लिए उपाय लिए कौन-सी रोशनी (Light) है जरूरी? इसके बारे में समझने की कोशिश करेंगे और जानेंगे नींद के लिए लाइट कैसे चुनें।
सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि नींद न आने के कारण क्या हो सकते हैं ?
- दर्द– शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द या तकलीफ की वजह से नींद आने में परेशानी हो सकती है। ऐसा होने पर डॉक्टर से सलाह लें।
- असुविधा- आरामदायक या रिलैक्स फील न करने पर भी नींद आने में परेशानी हो सकती है। इसलिए ऐसे बिस्तर का चुनाव करें जो आरामदायक हो।
- टेंशन- तनाव की वजह से भी नींद नहीं आती है। इससे बचने के लिए डॉक्टर की सलाह लें
- चाय या कॉफी– चाय या कॉफी ज्यादा पीने से नींद न आने की समस्या हो सकती है क्योंकि इसमें कैफीन की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए इनका सेवन कम करें। सोने के कुछ घंटे पहले चाय या कॉफी के सेवन से बचें।
- सिगरेट/अल्कोहल- नशीले पदार्थों का ज्यादा सेवन भी नींद न आने की समस्या का कारण हो सकता है। या तो इनका न करें या फिर बहुत कम मात्रा और आवृत्ति में करें।
- इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स- फोन, लैपटॉप और टैब जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल खासतौर पर सोने के वक्त करने से भी नींद की समस्या हो सकती है।
- किसी अंडरलाइन कंडिशन की वजह से नींद ना आने की समस्या हो सकती है। ऐसा होने पर डॉक्टर की सलाह लें।
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नींद के लिए लाइट के तौर पर न करें ब्लू लाइट का इस्तेमाल
प्रकाश के सभी रंगों का प्रभाव अलग-अलग होता है। ब्लू वेवलेंथ जो दिन के समय सेहत के लिए फायदेमंद होती हैं, ध्यान-शक्ति और मूड को अच्छा बनाती है, वही यह रात में सेहत के लिए हानिकारक होती है क्योंकि ब्लू लाइट मेलाटॉनिन (अच्छी नींद के लिए सहायक हार्मोन) को बाधित करता है। इसलिए बेहतर नींद के लिए कम से कम रोशनी वाली रेड लाइट अच्छी मानी जाती है। लाल रंग मेलाटॉनिन (Melatonin) को सबसे कम प्रभावित करता है। स्लीप फाउंडेशन के अनुसार हलके रेड रंग के साथ-साथ पिंक लाइट का भी प्रयोग किया जा सकता है।
नींद के लिए लाइट के तौर पर करें स्मार्ट बल्ब का इस्तेमाल
यही नहीं इन दिनों बाजार में कुछ ऐसे भी बल्ब (Light Bulb) डिजाइन किए जा रहे हैं जिन्हें प्रोग्राम किया जा सकता है। ये बल्ब अपने आप रात को रेड लाइट और दिन में ब्लू लाइट देते हैं। दिन और रात के हिसाब से स्वतः रोशनी बदलने वाले ये बल्ब ‘स्मार्ट बल्ब’ के नाम से जाने जाते हैं। स्मार्ट बल्ब के साथ-साथ स्मार्ट लैंप का भी चयन आप कर सकते हैं।
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जरुरी सलाह
- नाइट लाइट के लिए डिम रेड लाइट का इस्तेमाल करें।
- कोशिश करें सोने से दो-तीन घंटे पहले ही ब्राइट स्क्रीन को देखना बंद कर दें।
- अगर आप रात की शिफ्ट में काम करते हैं या रात में बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते हैं, तो ऐसे चश्मे पहनें जो नीले रंग का अवरोध करते हों। आप ऐसे ऐप्स को भी इंस्टॉल कर सकते हैं जो रात में हरे/नीले रंग की वेवलेंथ को फिल्टर करते हैं।
नींद के लिए लाइट के तौर पर ब्राइट लाइट का उपयोग दिन के समय में ज्यादा से ज्यादा करें। यह आपको ऊर्जावान महसूस कराती है लेकिन, जब बात रिलैक्स करने की या सोने की हो तो रिसर्च के अनुसार नींद के लिए लाइट के तौर पर हल्की लाल रोशनी का इस्तेमाल करना बेहतर होगा।
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नींद के लिए लाइट चुनने के साथ ही इन बातों को भी समझें
शरीर और दिमाग को आराम करने के लिए नींद बहुत जरूरी होता है। हमारी नींद चार चरणों में होती है। 1, 2, 3 और REM (रैपिड आई मूवमेंट)। नींद में मुख्य रूप से इन्ही चार चरणों के REM (रैपिड आई मूवमेंट) और NREM (नो-रैपिड आई मूवमेंट) चरण (1, 2, 3) शामिल होते हैं। हमारी नींद का लगभग 75 फीसदी हिस्सा NREM का होता है और बाकी का REM के चरण में होता है। नींद के 1, 2, 3 चरण को NREM कहते हैं। जो हल्की ‘नींद स्टेज’ की श्रेणी में आता है। इस अवस्था में हमारा शरीर जागने और सो जाने के बीच की स्थिति में बना रहता है। ज्यादातर लोग रात में हल्के नींद लेने वाले लोग होते हैं और इस अवस्था में रहते हैं और इसलिए अधिक आसानी से वे जाग भी जाते हैं।
नींद के सारे चरण स्टेज 1 से स्टेज REM के माध्यम से चक्रीय रूप से प्रगति करते हैं फिर चरण 1 से शुरू होते हैं। नींद के चरण पूरे होने में औसतन 90 से 110 मिनट लेते हैं, प्रत्येक चरण 5 से 15 मिनट के बीच रहता है। प्रत्येक रात को पहले सोने के चक्र में अपेक्षाकृत कम आरईएम की नींद होती है और लंबे समय तक गहरी नींद आती है लेकिन बाद में रात में, आरईएम की अवधि लंबी हो जाती है और गहरी नींद का समय कम होता जाता है।
नींद का पहला स्टेज 1
स्टेज 1, NREM नींद का सबसे हल्का चरण होता है। इस चरण में आंखें बंद तो होती है, लेकिन दिमाग पूरी तरह से जागता रहता है और अक्सर आंखों में धीमी प्रक्रिया भी होती है। अगर इस स्टेज में हल्दी आवाज भी नींद से किसी को भी जगा सकती है। कभी-कभी लोग हाइपनिक झटके या अचानक मांसपेशियों में ऐंठन का अनुभव भी कर सकते हैं और यहां तक कि स्टेज 1 में और बाहर जाते समय गिरने की सनसनी का अनुभव भी कर सकते हैं।
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नींद का दूसरा स्टेज 2
स्टेज 2 NREM नींद का पहला वास्तविक चरण होता है। स्टेज 1 में जहां सोता हुआ व्यक्ति बहुत हल्की आवाज के कारण भी जाग सकता है वहीं, इस स्टेज में व्यक्ति गहरी नींद की तरफ बढ़ता रहता है। इस स्टेज में शरीर का तापमान धीरे-धीरे कम होने लगता है और मस्तिष्क की तरंगे भी शांत होने लगती हैं। साथ ही, हृदय गति भी धीमी होने लगती है।
नींद का तीसरा स्टेज 3
स्टेज 3 को गहरी NREM नींद के रूप में जाना जाता है। स्टेज 3 में डेल्टा तरंगें धीमी हो जाती हैं और नींद से व्यक्ति को जगाने के लिए प्रयास करना पड़ सकता है। इसके अलावा लोगों में नींद से जुड़ी समस्याएं जैसे, स्लीप वॉकिंग, स्लीप टॉकिंग या सोमनिलोकी और नाइट टेरर्स नींद के स्टेज 3 के दौरान ही होते हैं।
नींद का चौथा स्टेज REM
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