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मेनोपॉज के दौरान इंसोम्निया की समस्या कहीं आप पर हावी न हो जाए, ध्यान रखें इन बातों का

मेनोपॉज के दौरान इंसोम्निया की समस्या कहीं आप पर हावी न हो जाए, ध्यान रखें इन बातों का

रजोनिवृत्ति, महिलाओं के जीवन में एक चरण है, जिसमें एक उम्र के बाद हर महिला को इससे गुजरना पड़ता है। रजोनिवृत्ति को मेनोपॉज भी कहा जाता है। यह स्थिति जब होती है, जब किसी महिला के अंडाशय में ईस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन का उत्पादन बंद हाे जाता है। जिसके कारण मासिक धर्म भी रूक जाता है। मेनोपोज के दौरान महिलाओं की प्रजनन क्षमता कमजोर होने लगती है। 40 से 50 के बीच होने वाले मेनोपॉज की स्थिति अक्सर लोगों के बीच देखी जाती है। महिलाओं में होने वाले रजोनिवृत्ति का प्रभाव, उनके शरीर के अन्य हिस्सों पर भी पड़ता है, सबसे ज्यादा उन्हें नींद में कठनाई आने लगती है। प्री मेनोपोज और पोस्ट मेनोपोज के दौरान उनमें नींद की समस्या देखी जाती है।

‘ नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, लगभग 61% रजोनिवृत्त के दौरान महिलाओं में नींद की समस्या देखी गई है। मेनोपॉज के दौरान,  75% -85% लगभग महिलाओं में अनिद्रा की समस्या, अधिक पसीना आना और घबराहट जैसी समस्याएं देखने को मिली है। नींद के कारण होने वाली प्रॉब्लम से अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जिसका असर आने वाले 3 से 5 साल तक नजर आता है।’

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मेनोपॉज और इंसोम्निया (Menopause and Insomnia) में क्या संबंध है

कई अध्ययनों में मेनोपॉज और नींद के बीच गहरा संबंध है। रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले असंतुलन के कारण महिलाओं के शरीर में कई तरह के शारीरिक बदलाव देखने को मिलते हैं। सबसे ज्यादा उनमें तनाव, डिप्रेशन और मूड स्विंग्स देखा जाता है। जिसका प्रभाव उनकी नींद पर भी पड़ता है। इसके अलावा कई महिलाओं में उस दौरान हॉट फ्लेश के लक्षण भी देखा जाता है। जिसमें शरीर में बहुत गर्माहट महसूस होने लगती है। जिसके कारण चेहरे और शरीर पर लालपन आ जाता है। जिससे भी नींद प्रभावित होती है। यह समस्या  1-2 सालों से तक बनी रहती है। यूटीआई इंफेक्‍शन भी महिलाओं को मेनोपोज के दौरान होने वाली समसयाओं में से एक है।

“नेशनल स्लीप फाउंडेशन (NSF) की एक और रिसर्च की माने, तो दुनियाभर में पुरूषों की तुलना में महिलाओं में इंसोम्निया की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। अगर देखा जाए, तो पीरियड्स से लेकर मेनोपॉज की स्टेज तक महिलाओं को नीदं की समस्या लगातार बनी ही रहती है। इन सबकी एक सबसे बड़ी वजह से हॉर्मोनल बदलाव। जिसका असर डेली लाइफ में भी पड़ता है।’ 

कई रिसर्च में भी पाया गया है कि महिलाओं में होने वाले हाॅर्मोनल असंतुलन का कारण, उनमें इंसोम्निया की समस्‍या देखी गई है। जब महिलाओं में ईस्ट्रोजन का बनना कम हो जाता है, तो इसका असर दूसरे अन्य हाॅर्मोंस पर भी पड़ता है। जिसमें मेलाटिन नामक हॉर्मोन भी शमिल है। अनिद्रा की समस्या का प्रभाव महिलाओं की कार्डियोवस्क्युलर हेल्‍थ पर भी पड़ता है। कई महिलाएं डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की भी मरीज बन जाती हैं। कुल मिलाकर कहने का अर्थ इंसोम्निया और मेनोजपॉज का बहुत गहरा संबंध है।

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इंसोम्निया के लक्षण (Insomnia Symptoms)

  • इंसोम्निया की शिकार महिलाओं में नीद के विकार के निम्निलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जैसे कि:
  • रात काे तीन से चार घंटे की ही नींद लेना
  • बीच रात में ही नींद खूल जाना
  • सोने कर उठने के बाद फ्रेश महसूस न करना
  • दिनभर थकान महसूस करना
  • सोते समय भी दिमाग का शांत न रहना
  • बेचैनी और घबराहट महसूस करना
  • नींद की कमी से खाने के पाचन में दिक्कत आना
  • अवसाद में चले जाना
  • गुस्सा बहुत अधिक आना

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हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण होने वाली अन्य समस्याएं

महिलाओं में होने वाले हॉर्मोनल परिर्वतन के कारण केवल नींद की समस्या ही नहीं बल्कि और भी कई प्रॉब्लम होने लगती है। जिनमें शामिल हैं:

हॉट फ्लैश की समस्या (Hot Flushes)

कई महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान हॉट फ्लैश की समस्या भी देखी जाती है। इसमें पूरा शरीर गर्म पड़ जाता है और चेहरा लाल हो जाता है। इस समस्या के दौरान महिलाओं में अधिक चिड़चिड़ापन देखा गया है। इसमें हाॅट फ्लेश कभी-कभी अचानक से इतनी तेजी से होता है कि माहिलाएं नींद से डर कर उठ जाती हैं। यह समस्या उनमें लंबे समय तक नजर आ सकती है

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यूटीआई इंफेक्‍शन ( UTI Infection)

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में यूनिरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। उन्हें वजायनल इंफैक्शन भी हो जाते हैं। महिलाओं में वायजन इंफेक्शन वैसे तो होना खास है। लेकिन कई मेनोपॉज के दौरान होने वाले यूटीआई इंफेक्शन से उनमें रिस्क बढ़ जाता है। ऐसे में महिला को तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। नहीं तो इंफेक्शन इतना ज्यादा बढ़ सकता है कि स्थिति गंभीर हो सकती है। बचें इन इफेक्शन से। पहले से डायिटीज की शिकार महिला में मेनोपॉज के दौरान यूटीआई इंफेक्शन काफी भारी पड़ सकता है।

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तनाव: हाॅर्मोनल रिप्लेसमेंट थेरिपी (Hormone Replacement Therapy)

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में देखी जाने वाली नींद की समसया को दूर करने के लिए हॉर्मोनल रिप्लेसमेंट थेरिपी (Hormone Replacement Therapy) भी एक विकल्प है। यह थेरिपी करने की जरूरत तब पड़ती है, जब महिलाओं के शरीर में ईस्ट्रोजन हॉर्मोन बनना कम हो जाता है। यह हॉर्मोनल असंतुलन ही उनमें नींद और तनाव का कारण होता है। तो ऐसे में यह धेरिपी काफी प्रभावकारी है। इससे महिलाओं के शरीर में ईस्ट्राेजन और प्रोजेस्ट्रोन की कमी काे पूरा किया जाता है। डॉक्टर द्वारा भी मेनोपॉज की स्टेज में इस थेरिपी को प्रभावकारी मानते हैं। इससे उनका पीरियड्स का वक्त भी कुछ बढ़ जाता है। इस थेरिपी के और भी कई फायदे हैं, जैसे कि वेट लॉस होना, तनाव की समस्या का दूर होना और अन्य बातें।

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हाॅर्मोनल रिप्लेसमेंट थेरिपी कब न कराएं (Hormone Replacement Therapy)

  • किसी प्रकार की एलर्जी होने पर न कराएं
  • लिवर की कोई बीमारी होने पर 
  • किसी प्रकार का कैंसर होने पर
  • हार्ट पेशेंट के लिए यह नहीं है
  • यौनि की समसया होने पर

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महिलाओं में इंसोम्निया के उपाय क्या हैं? (Remedies for Insomnia)

अगर आपको मेनोपॉज और इंसोम्निया की समस्या है, तो आपको अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव की भी जरूरत है। इसलिए आप कुछ बातों का ध्यान रखें, जैसे कि:

ऑयली फूड से बचें

मेनोपॉज के दौरान जरूरी है कि आप अपनी डायट का पूरा ध्यान रखें। कोशिश करें ऑयली फूड से बचें। खाने में पोषक तत्वों का  पूरा ध्यान रखें। हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं, जैसे कि पालक, साग, गोभी, लौकी और इसके अलावा चूकंदर आदि खाएं। खाने में विटामिन और प्रोटीन का विशेष ध्यान रखें। इसके लिए आप चना, सलाद, राजमा और बींस आदि खाएं।

एक्सरसाइज करें

फिट रहने के लिए एक्सरसाइज बहुत जरूरी है। कोशिश करें कि आप रोज सुबह उठकर कम से कम  15  मिनट के लिए एक्सरसाइज करें। इसके अलावा, 30 मिनट के लिए रोज एक्सरसाइज करें। वॉक एक ऐसी एक्सरसाइज है, जिसे कभी भी आसानी से किया जा सकता है। यह करना भी आपके लिए फायदेमंद होगा। इससे नींद की समस्या भी काफी हद तक दूर होती है। इससे शरीर में रक्त संचार भी बढ़ता है और असंतुलित हॉर्मोंस भी ठीक होते हैं। अगर आप तनाव की समस्या से बचना चाहते हैं, तो इस समस्या से दूर रहें।

मेनोपॉज एक प्रॉसेसेज है, जो एक उम्र के बाद हर महिला को इससे गुजरना ही पड़ता है। लेकिन कुछ चीजों को अपनाकर कुछ हद तक इसे आसान बना सकते हैं। अगर आपको नींद की समस्या हो रही है, तो इसके लिए एक बार आप अपने डॉक्टर से भी जरूर मिलें।

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डिस्क्लेमर

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https://www.hopkinsmedicine.org/health/wellness-and-prevention/how-does-menopause-affect-my-sleep 11 Feb, 2021

https://www.sleepfoundation.org/women-sleep/menopause-and-sleep 11 Feb, 2021

https://www.womens-health-concern.org/help-and-advice/factsheets/menopause-and-insomnia/ 11 Feb, 2021

https://www.nia.nih.gov/health/sleep-problems-and-menopause-what-can-i-do 11 Feb, 2021

Current Version

21/05/2021

Niharika Jaiswal द्वारा लिखित

Updated by: Toshini Rathod


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Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/05/2021

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