मुझे नींद ना आए… मुझे चैन ना आए… अब जाए कोई उसे ढूंढ के लाए… शायद आप समझें नहीं! दरसल इस गाने से मेरा कहना यह है कि रातों को नींद ना आना, करवटें बदलते रहना या खर्राटे ने आपकी नींद चुराली है, तो क्या आप जानते हैं इसके पीछे कौन है? दरसल कोई और नहीं बल्कि आपको है सेंट्रल स्लीप एप्निया (Central Sleep Apnea) की समस्या। आज इस आर्टिकल में नींद से जुड़ी इस तकलीफ को समझेंगे और उसका हल भी आपसे शेयर करेंगे।
- क्या है सेंट्रल स्लीप एप्निया (Central Sleep Apnea)?
- सेंट्रल स्लीप एप्निया कितने तरह के होते हैं?
- सेंट्रल स्लीप एप्निया के कारण क्या हैं?
- सेंट्रल स्लीप एप्निया के लक्षण क्या है?
- सेंट्रल स्लीप एप्निया का निदान कैसे किया जाता है?
- सेंट्रल स्लीप एप्निया का इलाज कैसे किया जाता है?
क्या है सेंट्रल स्लीप एप्निया (Central Sleep Apnea)?
सोने के दौरान सांस लेने में बाधा होने पर बार-बार नींद टूटने लगती है। ऐसी स्थिति को सेंट्रल स्लीप एप्निया (CSA) कहते हैं। यह स्लीप एप्निया का रेयर टाइप माना जाता है। दरअसल इसमें दिमाग कुछ वक्त के लिए उन मांसपेशियों को संकेत भेजना बंद कर देता है, जो सांस को नियंत्रित यानी सांस लेने की प्रक्रिया को कंट्रोल करती हैं और यही कारण है, जिससे CSA के पेशेंट को तकलीफ शुरू हो जाती है।
अगर इसे सामान्य भाषा में समझें, तो मस्तिष्क डायफ्राम को सिग्नल भेजने का कार्य करता है, जिससे रीब केज के मसल्स को कॉन्ट्रैक्ट करने का काम करता है, जिससे सांस लेने की प्रक्रिया पूरी होती है। इसलिए अगर सेंट्रल स्लीप एपनिया की स्थिति बनती है, तो ब्रेन और मसल्स के आपस में कम्यूनिकेशन गैप की स्थिति बनने लगेगी और इससे पीड़ित व्यक्ति को नींद आने में परेशानी महसूस होगी। हालांकि यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर सेंट्रल स्लीप एप्निया की स्थिति कभी-कभी हो, तो यह नॉर्मल है। लेकिन अगर ऐसी परेशानी रेग्यूलर हो, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। इसलिए अगर ऐसी परेशानी महसूस होती है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
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सेंट्रल स्लीप एप्निया कितने तरह के होते हैं?
नार्कोटिक-इंड्यूस्ड सेंट्रल स्लीप एप्निया (Narcotic-Induced Central Sleep Apnea)- सेंट्रल स्लीप एप्निया के इस प्रकार में नारकोटिक्स जैसे ओपिऑइड्स का इस्तेमाल दिमाग की क्षमता को कम कर ब्रीदिंग को रेगुलेट करने में कमी आ जाती है।
मेडिकल कंडीशन की वजह से सेंट्रल स्लीप एप्निया- अगर कोई व्यक्ति स्ट्रोक, ट्यूमर या किसी ट्रॉमा से गुजर रहा है, तो इस मेडिकल कंडीशन की वजह से सेंट्रल स्लीप एप्निया की समस्या हो सकती है।
कॉनजेनाइटल सेंट्रल हाइपोवैन्टिलेशन सिंड्रोम (CCHS)- CCHS सबसे रेयर तरह का जेनेटिक कंडीशन माना जाता है, जो न्यू बोर्न बेबी या फिर बड़ों बच्चों में ये सिंड्रोम देखा जा सकता है।
नियोरोमस्कुलर डिजीज (Neuromuscular Disease)- अगर किसी व्यक्ति को रिस्पायरेट्री मसल्स की समस्या अत्यधिक रहती है, तो उनमें सेंट्रल स्लीप एप्निया होने की संभावना ज्यादा होती है।
सेंट्रल स्लीप एप्निया के इन अलग- अलग प्रकारों के अलावा और भी प्रकार हैं। जैसे:
चेनी स्टॉक्स ब्रीदिंग (Cheyne-Stokes Breathing)- यह भी सबसे रेयर होता है और उनलोगों में इसकी समस्या ज्यादा होती है, जिन्हें हार्ट प्रॉब्लम होती है।
अलटीटुड-इन्दुस्डेड पेरिओडिक ट्रेडिंग (Altitude-Induced Periodic Breathing)- इस तरह के सेंट्रल स्लीप एप्निया विशेष रूप से ऑक्सिजन की कमी के कारण होता है। जब व्यक्ति सो रहा होता है, तो सांस लेने की गति तेज और ज्यादा समय की होने लगती है।
ट्रीटमेंट-इमर्जेंट सेंट्रल स्लीप एप्निया (Treatment-Emergent Central Sleep Apnea)- इस स्लीप एप्निया को कॉम्प्लेक्स स्लीप एप्निया (Complex sleep apnea) भी कहा जाता है। यह एक तरह की ब्रीदिंग प्रॉब्लम होती है और यह ओबस्त्रक्तिव स्लीप एप्निया के इलाज के दौरान हो सकती है। हालाँकि अच्छी बात ये है कि यह परेशानी अपने आप ठीक भी हो सकती है ।
आइडिओपथिक सेंट्रल स्लीप एप्निया (Idiopathic Central Sleep Apnea)- आइडिओपथिक सेंट्रल स्लीप एप्निया के कारण साफ नहीं हैं।
इस आर्टिकल में आगे समझेंगे सेंट्रल स्लीप एप्निया के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं और इसका निदान क्या है।
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सेंट्रल स्लीप एप्निया के लक्षण क्या हैं?
इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- सोने के वक्त नींद नहीं आना
- दिन में ज्यादा सोना
- सुबह के वक्त सिरदर्द होना
- चिड़चिड़ा स्वभाव होना
- तनाव में रहना
इन ऊपर बताये कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं, क्योंकि यह व्यक्ति के हेल्थ और मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर करता है।
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सेंट्रल स्लीप एप्निया का निदान कैसे किया जाता है?
सेंट्रल स्लीप एप्निया का निदान पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री जानते हैं। इसके साथ ही स्लीप स्टडी के लिए ब्रीदिंग, सांस लेने के दौरान व्यक्ति को कितनी मेहनत करनी पड़ती है के अलावा हार्ट रेट, ऑक्सिजन लेवल, आई मूवमेंट एक्टिविटी एवं मसल्स एक्टिविटी समझते हैं। डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) करवाने की भी सलाह दे सकते हैं। टेस्ट के दौरान डॉक्टर पेशेंट को 24 घंटे के लिए ऑब्जर्वेशन में भी रख सकते हैं।
सेंट्रल स्लीप एप्निया कई अन्य बीमारियों से भी जोड़ कर देखा जा सकता है। इसलिए डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट जैसे ब्रेन स्कैन या इकोकार्डियोग्राम भी करवाने की सलाह दे सकते हैं।
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सेंट्रल स्लीप एप्निया का इलाज कैसे किया जाता है?
सेंट्रल स्लीप एप्निया का इलाज इसके अलग-अलग टाइप और पेशेंट की मेडिकल कंडीशन पर निर्भर है। डॉक्टर पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री और मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट्स के अनुसार ही इलाज शुरू करते हैं। एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर सेंट्रल स्लीप एप्निया का इलाज सीपीएपी (CPAP) or बीआईपी एपी (BiPAP) मैकेनिज्म से किया जाता है। इस आर्टिकल में आगे समझने की कोशिश करते हैं कि सीपीएपी एवं बीआईपीएपी मैकेनिज्म क्या है।
क्या है कॉन्टिनियस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (CPAP)?
सेंट्रल स्लीप एप्निया के इलाज के लिए कॉन्टिनियस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (CPAP) से इलाज किया जाता है। यह एक तरह का थेरिपी है, जिसके दौरान पेशेंट को ऑक्सिजन दी जाती है। इस थेरिपी की सहायत विशेषरूप से सोने के वक्त ही दी जाती है।
क्या है बाइलवेल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (BiPAP)?
बिलेवल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर भी एक तरह की थेरिपी है, जो कॉन्टिनियस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर की तरह ही काम करती है। इन दोनों ही थेरिपी को अस्पताल में ही दिया जाता है।
सेंट्रल स्लीप एपनिया (Central Sleep Apnea) के इलाज के बाद इस आर्टिकल में आगे जानते हैं अच्छी नींद के लिए क्या करना चाहिए। क्योंकि अगर अच्छी नींद आ जाए, तो किसी भी बीमारी से लड़ा जा सकता है।
क्या है अच्छी नींद का राज?
7 से 8 घंटे की नींद किसी भी व्यक्ति के लिए जरूरी है। लेकिन अगर बच्चों या बुजुर्गों की बात करें, तो उन्हें 8 घंटे से ज्यादा सोना चाहिए। और अब आपसे शेयर करते हैं अच्छी नींद (Sound Sleep) के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखें?
- अपने रेग्यूलर रुटीन में एक्सरसाइज शामिल करें। इससे शरीर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है और आप एक्टिव रहते हैं।
- दिन के खाने या रात के खाने के बाद 15 से 20 टहलने की आदत जरूर डालें। इससे खाना ठीक तरह से डायजेस्ट होता है।
- रात का खाना सोने से तकरीबन 2 घंटे पहले करें और रात का खाना तेल मसाले वाले ना करें।
- सोने से 2-3 घंटे पहले चाय या कॉफी का सेवन ना करें।
- रात को सोने से पहले गुनगुना दूध पिएं।
- सोने से पहले एल्कोहॉल का सेवन ना करें और स्मोकिंग से भी दूरी बनायें।
- हाथ, पैर और मुंह धोने या स्नान करने के बाद सोने से अच्छी नींद आती है।
- अपने स्लीपिंग ऑउटफिट का भी चुनाव ठीक तरह से करें। बेहतर होगा कि कॉटन कपड़े पहनें।
- सोने के दौरान मोबाइल या किसी गैजेट का इस्तेमाल ना करें। इनकी जगह किताब पढ़ें, इससे अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी।
- सोने का समय नियमित रखें। अलग-अलग समय पर सोने से भी नींद आने में परेशानी महसूस होती है।
- इन सभी बातों के साथ-साथ सोने के दौरान किसी भी तरह की टेंशन ना लें, क्योंकि टेंशन की वजह से भी नींद नहीं आ सकती है।
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इस आर्टिकल में अब आगे समझेंगे लोगों को कितने देर तक सोना चाहिए?
- 0 से 3 माह के शिशु को 14 से 17 घंटे
- 4 से 11 (Infant) महीने के शिशु को 12 से 15 घंटे
- 1 से 2 (Toddler) साल के बच्चों को 11 से 14 घंटे
- 3 से 5 (Preschool) साल के बच्चों को 13 घंटे
- 6 से 13 (School-age) साल के बच्चों को 9 से 11 घंटे
- 14 से 17 (Teen) साल के बच्चों को 7 से 9 घंटे
- 18 से 25 (Young Adult) साल के लोगों को 7 से 9 घंटे
- 26 से 64 (Adult) साल के लोगों को 7 से 9 घंटे
- 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को 7 से 8 घंटे
इन ऊपर बताये टिप्स को ध्यान रखें और अच्छी नींद लें। क्योंकि अच्छी सेहत का राज है अच्छी नींद। अगर आप सेंट्रल स्लीप एपनिया (Central Sleep Apnea) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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