स्लीप टॉकिंग (Somniloquy) या नींद में बोलना इसका मतलब है कि व्यक्ति नींद में होने के बाद कई बार बड़बड़ाता है या जोर-जोर से बात करने लगता है। इसे पैरासोमनिया की कैटेगरी में डाला गया है। पैरासोमनिया का मतलब है सोते समय अस्वाभाविक व्यवहार करना। नींद में बोलना किसी गंभीर बीमारी की तरफ इशारा नहीं करता है। डॉक्टर इसे किसी बीमारी में नहीं गिनते हैं। सन् 2004 के अध्ययन के अनुसार दस में से एक युवा कभी न कभी बोलने की इस समस्या का सामना करता है। नींद में बोलना जिसे सामान्य भाषा में नींद में बड़बड़ाना भी कहा जाता है। इस दौरान व्यक्ति नींद में खुद से भी बात करने लगता है। रिसर्च के अनुसार इस दौरान लोग 30 सेकेण्ड से ज्यादा नहीं बोलते हैं। कई बार नींद में बोलने वाले व्यक्ति की नींद खुद भी टूट जाती है। जानें ऐसा क्यों होता है…
क्यों नींद में बोलते हैं लोग?
नींद में कोई भी बोल सकता है पर नींद में बोलना ज्यादातर बच्चों या पुरुषों को प्रभावित करता है। यह आदत बहुत कम समय के लिए किसी के साथ जुड़ी रहती है। सामान्य तौर पर जिस तरह से व्यक्ति बात करता है, नींद में बोलने पर उसकी आवाज बदल जाती है। कई बार यह बातें साफ होती हैं तो कई बार नहीं होती। कई लोग मानते हैं कि यह जीवन में चल रही घटनाओं या तनाव के कारण होता है लेकिन यह जरूरी नहीं है। कई बार सपने के कारण या अतित के कारण भी आप सपने में बड़बड़ा सकते हो। सेहत पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। हां! यह सच है कि ऐसे नींद में बड़बड़ाने की वजह से आप हंसी का पात्र बन जाते हैं और कई बार लोग आपके साथ सोने से कतराते हैं क्योंकि आपका नींद में बोलना उनकी नींद में खलल डाल देता है। यानी आपको सोम्निलोक्वी और उन्हें इंसोम्निया की दिक्कत हो जाती है।
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अन्य समस्या की ओर संकेत
नींद में बड़बड़ाना से कोई नुकसान तो नही होता लेकिन नींद में बड़बड़ाना विकार या स्वास्थ्य संबंधी बीमारी के ओर संकेत करता है। आरईएम स्लीप डिसआर्डर (REM sleep Behavior Disorder) (RBD) और स्लीप टेरर या नाइट टेरर दो प्रकार के विकार हो सकते हैं, जिनके कारण व्यक्ति सोते हुए चीख-चिल्ला सकता है। स्लीप टेरर में इंसान डर से चीखता-चिल्लाता या हाथ-पैर मारता है। वहीं आरबीडी से ग्रसित व्यक्ति नींद में वह हरकत करता है जो वह सपना देख रहा होता है। इन दोनों के अलावा नींद में बोलना नींद में चलने या नींद में खाने के साथ भी संबंधित होता है। नोक्टर्नल स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसआर्डर (Nocturnal Sleep-Related Eating Disorder(NS-RED)) में व्यक्ति सोते हुए ही कुछ खाने लगता है। नींद में बोलना अन्य कारणों से भी हो सकता है जैसे दवाओं के कारण, तनाव, बुखार, मानसिक समस्या आदि।
कौन होते हैं ज्यादा प्रभावित
- सामान्य तौर पर नींद में बोलना बस तीस सेकेंड के लिए होता है, लेकिन कई लोग नींद में कई बार बड़बड़ाते नजर आते हैं।
- तीन से दस साल की उम्र के बच्चों में नींद में बोलने की आदत को देखा गया है। वहीं करीब पांच प्रतिशत वयस्कों में भी यह आदत देखी गई है।
- कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह अनुवाशिंक भी हो सकता है।
- महिलाओं के बजाए पुरुषों में नींद में बोलाना ज्यादा पाया जाता है।
- कई बार तेज बुखार होने पर भी लोग नींद में बड़बड़ाने लगते हैं।
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विशेषज्ञ की मदद कब लें?
सामान्य तौर पर नींद में बोलना किसी गंभीर बीमारी के तहत नहीं आता है लेकिन इसे कब गंभीर तौर पर लेना चाहिए इसके लिए इसे दो भागों में बाटकर देखा जा सकता है।
पहला भाग है कितनी बार आप नींद में बोल रहे हैं?
- माइल्ड: सप्ताह भर में एक बार आप नींद में बोल रहे हैं
- मोडरेट: सप्ताह में एक बार से अधिक बार आप नींद में बोलना या बड़बड़ाना कर रहे हैं लेकिन यह आपके पार्टनर की नींद में बाधा नहीं बन रहा
- गंभीर: हर रात आप चीख-चिल्ला रहे हैं और आपके कारण आपका पार्टनर इंसोम्निया से ग्रसित हो गया हो
अवधि के अनुसार
- एक्यूट एक माह या उससे कम के लिए आप नींद में बड़बड़ा रहे हैं
- सबएक्यूट एक साल से कम और एक महीने से ज्यादा आपका बोलना नींद में बाधा बना हुआ है
- क्रोनिक एक साल से ज्यादा होना
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नींद में बोलना (Somniloquy) के क्या हैं उपाय?
इस समस्या को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं। इन उपायों में शामिल है:-
भरपूर नींद लें : सोने का एक समय निर्धारित कर लें और इसके अनुसार ही सोने की कोशिश करें। रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना एक अच्छी आदत है। इसे अपनाएं। आठ घंटे की नींद अच्छी मानी जाती है। इसलिए दिन में सात से आठ घंटे दिमाग को शांत कर सोने की कोशिश करें।
तनाव से दूर रहें : तनाव नींद में बोलने की एक वजह हो सकती है। इसलिए कोशिश करें कि तनाव या चिंता से दूर रहें। काम या किसी भी तरह के स्ट्रेस को अपनी नींद में खलल न डालने दें। तनाव से बचने के लिए सोने से पहले लाइट म्यूजिक या मेडिटेशन म्यूजिक सुनें।
चाय–कॉफी से दूर रहें: कैफीन से नींद प्रभावित होती है। इसलिए कोशिश करें कि शाम चार बजे के बाद चाय या कॉफी जिसमें कैफीन हो इन पेय पदार्थों से दूर रहें। नहीं तो हो सकता है कि आपकी नींद रात को टूटती रहे। अगर आप बहुत ज्यादा चाय या कॉफी के शौकीन हैं, तो दो या तीन कप से ज्यादा इसका सेवन न करें और शाम 5 बजे के बाद भी चाय या कॉफी न पीएं। क्योंकि इससे नींद आने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा एल्कोहॉल का सेवन भी नींद में खलल डाल सकता है। इसलिए शराब का सेवन या तो छोड़ दें या फिर कम मात्रा में करें।
एक्सरसाइज करें: स्ट्रेस को दूर करना हो या अच्छी नींद की कमी हो एक्सरसाइज हर समस्या के लिए मर्ज का काम कर सकती है। इसलिए कम से कम आधे घंटे मेडिटेशन या एक्सरसाइज करें। आप चाहें तो वॉकिंग या स्विमिंग भी कर सकते हैं। इसे भी कम्लीट वर्कआउट माना जाता है।
अच्छी डायट को फॉलों करें: अच्छी डायट ओवरऑल हेल्थ के लिए जरूरी मानी गई है। सोने से पहले हल्का भोजन और दूध का उपयोग अच्छी नींद में मदद कर सकता है।
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नींद में बोलना कोई बीमारी तो नहीं लेकिन, अगर कोई व्यक्ति नींद में लगातर बोलते रहे तो क्या करें?
अगर किसी व्यक्ति को REM या नींद में अत्यधिक बोलने की समस्या है, तो साइकोथैरेपिस्ट से संपर्क करना लाभकारी हो सकता है। इसके साथ ही जब आप नींद में बोलने लगें तो अपने करीब वाले व्यक्ति को कहें की वो आपको नींद से जगा दें। अगर आप नींद में बोलना या ऐसी किसी परेशानी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और नींद में बोलना क्या कोई बीमारी है इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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