Orange Book में आपको पहले ब्रांड नाम से सर्च करना पड़ेगा उसके बाद आप उसके एक्टिव इंग्रीडियेंट से सर्च करें (जेनेरिक)। अगर ब्रांड नाम मेन्यूफैक्चरर के सामने आप को और मेन्यूफेक्चरर की लिस्ट दिखें तो वो दवा जेनेरिक में उपलब्ध है।
आप ब्रांड के बदले जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल कम दाम में कर सकते हैं और क्वालिटी कि बात करें तो जेनेरिक दवा को भी ब्रांडेड दवा की तरह एफडीए से अप्रूवल लेना पड़ता है जिससे ड्रग्स की क्वालिटी ठीक ढ़ंग से बरकरार रखी जाती है।
ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर क्या है?
आइए जानते हैं कि ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर क्या है। हर एक दवा का एक ब्रांड नाम होता है जो दवा कंपनी द्वारा उस दवा की मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल दिया जाता है। इसी तरह से दवा का एक सामान्य नाम होता है जो दवा के एक्टिव इंग्रीडियेंट होते हैं जो दवा को काम करने में मदद करता है।
जब एक नए एक्टिव इंग्रीडियेंट के साथ एक दवा पहली बार मार्केट में आती है तो यह कई सालों तक पेटेंट द्वारा संरक्षित होती है। पेटेंट को कंपनी को दवा विकसित करने में खर्च होने वाले पैसे को वसूलने के लिए या इसे खरीदने के अधिकारों को खरीदने के लिए पर्याप्त फायदा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
जब तक दवा पेटेंट द्वारा कवर की जाती है दूसरी कंपनियां प्रोटेक्टेड एक्टिव इंग्रीडियेट वाली दूसरी दवा मार्केट में नहीं बेच सकती हैं।
जब एक दवा का पेटेंट खत्म हो जाता है उसके बाद दूसरी कंपनियां एक्टिव इंग्रीडियेंट को इस्तेमाल करके दवा बना सकती है और बेच सकती है। इन्हें ब्रांड दवाओं के रूप में जाना जाता है। यह मार्केट में अलग-अलग नाम से बिक सकती है लेकिन इसके एक्टिव इंग्रीडियेंट एक जैसे होते हैं।
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