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ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर क्या है जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Lucky Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/03/2021

    ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर क्या है जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल

    दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से एक सवाल हम सब के दिमाग में बना रहता है कि ब्रांड और जेनेरिक दवाओं में कौन सी दवाएं ज्यादा असरदार हैं। ब्रांड और जेनेरिक दवाओं के बारे में जानने के लिए और पढ़ें। यहां हम जानेंगे ब्रांड और जेनेरिक दवा में क्या अंतर है।

    सवाल?

    ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर क्या है?

    जवाब

    ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर जानने से पहले जान लें कि बहुत से लोगों को लगता है कि जेनेरिक दवा ब्रांड की दवाओं से खराब क्वालिटी की होती है पर ऐसा नहीं होता। ब्रांड और जेनेरिक दवाइयों में एक्टिव एंग्रीडियेंट एक जैसे ही होते हैं। इंग्रीडियेंट एक जैसे होने की वजह से वह एक ही तरह से काम करते है और उनका क्लीनिकल फायदा भी एक जैसा ही होता है। फर्क केवल इतना है कि जेनेरिक दवा ब्रांड की तुलना में कम रेट में मिलती हैं।

    जैसे किः मेटफॉर्मिन (metformin) जेनेरिक नाम है और ग्लूकोफेज (Glucophage) ब्रांड का नाम है। (ज्यादातर ब्रांड का नाम बड़े अक्षरों में लिखा जाता है और जेनेरिक नाम छोटे अक्षरों में लिखा जाता है)। यह ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर है।

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    आप कैसे पता लगा सकते हैं कि जो दवा आप ब्रांड का नाम से ले रहें हैं उसकी जेनेरिक दवा उपलब्ध है या नहींः

    1. आप अपने फार्मासिस्ट से बात कर सकते हैं।
    2. आप FDA की वेबसाइट पर भी इस बारे में देख सकते हैं जो उनका ऑनलाइन वर्जन है- ‘Orange Book’

    Orange Book में आपको पहले ब्रांड नाम से सर्च करना पड़ेगा उसके बाद आप उसके एक्टिव इंग्रीडियेंट से सर्च करें (जेनेरिक)। अगर ब्रांड नाम मेन्यूफैक्चरर के सामने आप को और मेन्यूफेक्चरर की लिस्ट दिखें तो वो दवा जेनेरिक में उपलब्ध है।

    आप ब्रांड के बदले जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल कम दाम में कर सकते हैं और क्वालिटी कि बात करें तो जेनेरिक दवा को भी ब्रांडेड दवा की तरह एफडीए से अप्रूवल लेना पड़ता है जिससे ड्रग्स की क्वालिटी ठीक ढ़ंग से बरकरार रखी जाती है।

    ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर क्या है?

    आइए जानते हैं कि ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर क्या है। हर एक दवा का एक ब्रांड नाम होता है जो दवा कंपनी द्वारा उस दवा की मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल दिया जाता है। इसी तरह से दवा का एक सामान्य नाम होता है जो दवा के एक्टिव इंग्रीडियेंट होते हैं जो दवा को काम करने में मदद करता है।

    जब एक नए एक्टिव इंग्रीडियेंट के साथ एक दवा पहली बार मार्केट में आती है तो यह कई सालों तक पेटेंट द्वारा संरक्षित होती है। पेटेंट को कंपनी को दवा विकसित करने में खर्च होने वाले पैसे को वसूलने के लिए या इसे खरीदने के अधिकारों को खरीदने के लिए पर्याप्त फायदा देने के लिए डिजाइन किया गया है।

    जब तक दवा पेटेंट द्वारा कवर की जाती है दूसरी कंपनियां प्रोटेक्टेड एक्टिव इंग्रीडियेट वाली दूसरी दवा मार्केट में नहीं बेच सकती हैं।

    जब एक दवा का पेटेंट खत्म हो जाता है उसके बाद दूसरी कंपनियां एक्टिव इंग्रीडियेंट को इस्तेमाल करके दवा बना सकती है और बेच सकती है। इन्हें ब्रांड दवाओं के रूप में जाना जाता है। यह मार्केट में अलग-अलग नाम से बिक सकती है लेकिन इसके एक्टिव इंग्रीडियेंट एक जैसे होते हैं।

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    ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर किन चीजों में होता है?

    • ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर शेप, साइज और रंग में होता है।
    •  पैकेजिंग को लेकर ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर होता है।
    • ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर इनएक्टिव इंग्रीडियेंट में होता है जो दवा के उपचार प्रभाव में योगदान नहीं करते हैं।

    ब्रांड और जेनेरिक दवाओं के प्रभाव

    अगर आप ब्रांड और जेनेरिक दवाओं के प्रभाव को लेकर परेशान हैं तो आपको बतादें कि ब्रांड और जेनेरिक दवाओं का प्रभान एक ही होता है। ब्रांड और जेनेरिक दवाओं में एक्टिव इंग्रीडियेंट एक जैसे होते है और उनके डोज भी एक जैसे हैं। ब्रांड और जेनेरिक दवाओं के एक्टिव इंग्रीडियेंट एक होने की वजह से इनका प्रभाव बिल्कुल एक जैसा होता है।

    ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर कीमत में होता है

    ब्रांड और जेनेरिक दवा में अंतर सबसे बड़ा जो होता है वह कीमत में होता है। हालांकि, जेनेरिक और ब्रांड दवाओं में एक्टिव इंग्रीडियेट एक हैं लेकिन जेनेरिक दवाइयां सस्ती होती हैं। जेनेरिक दवाओं की कीमत ब्रांड-नाम वाली दवाओं से कम होती है क्योंकि जेनेरिक दवा के निर्माताओं ने दवा के अनुसंधान और विकास पर पैसा खर्च नहीं किया है, या इसे बेचने के अधिकार नहीं खरीद रहे हैं। जबकि ब्रांड के पास इसका पेटेंट होता है साथ ही उन्होंने दवा के रिसर्च पर पैसा खर्च किया है।

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    जेनेरिक दवा लेते हुए रखें इन बातों का ध्यान

  • जेनेरिक दवा आपको ब्रांड दवा से कम खर्चे में मिलेगी और इसका असर भी ब्रांड दवा जितना ही होगा।
  • अगर आप कई अलग-अलग दवाएं लेते हैं तो आप कंफ्यूजन से बचने के लिए दवाई को बदलने से बच सकते हैं। एक साथ बहुत सारी दवा लेने में आपको ब्रांड और जेनेरिक दवाओं में कंफ्यूजन हो सकता है।
  • अगर आपको किसी तरह की एलर्जी है तो आप दवाई लेते समय यह चेक करेंगे कि जेनेरिक दवा में कुछ ऐसा नही है जिससे आपको एलर्जी हो।
  • जेनेरिक दवाएं ब्रांड-नाम की दवाओं की कॉपी हैं जिनका मूल खुराक, उपयोग, प्रभाव, साइड इफेक्ट्स, जोखिम, सुरक्षा और ताकत ब्रांड दवा की तरह ही होता है। दूसरे शब्दों में उनके औषधीय प्रभाव बिल्कुल उनके ब्रांड-नाम दवाओं की तरह हैं। कई लोग जेनेरिक दवा लेकर परेशान हो जाते हैं क्योंकि जेनेरिक दवाएं अक्सर ब्रांड-नाम दवाओं की तुलना में काफी सस्ती होती हैं। लोग इसलिए भी कंफ्यूज होते है कि क्या जेनेरिक दवाओं को बनाने में गुणवत्ता और प्रभावशीलता के साथ समझौता किया गया है। FDA (U.S. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) को चाहिए कि जेनेरिक दवाएं ब्रांड-नाम वाली दवाओं की तरह ही सुरक्षित और प्रभावी हों।

    इसलिए मिथकों में कोई सच्चाई नहीं है कि जेनेरिक दवाएं खराब-गुणवत्ता वाली सुविधाओं से बनाई जाती हैं या ब्रांड-नाम वाली दवाओं की गुणवत्ता में कमी  होती हैं। एफडीए सभी दवा निर्माण सुविधाओं के लिए समान मानक लागू करता है और कई कंपनियां ब्रांड-नाम और जेनेरिक दवाओं दोनों का निर्माण करती हैं। वास्तव में एफडीए का अनुमान है कि जेनेरिक दवा उत्पादन का 50% ब्रांड नाम वाली कंपनियों द्वारा किया जाता है।

    हमें उम्मीद है कि ब्रांड और जेनेरिक दवा के अंतर को आप समझ गए होंगे। अगर आपको ब्रांड और जेनेरिक दवा के अंतर के बारे में कोई सवाल है या आप अधिक जानकारी चाहते हैं तो डॉक्टर से कंसल्ट करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान और उपचार प्रदान नहीं करता।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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