जब हम अपने से बढ़कर किसी को कुछ नहीं समझते तब हमारा ऐसा व्यवहार एक बीमारी में तब्दील हो जाता है। ऐसी स्थिति में हम अपना सेल्फ-ईस्टीम बढ़ाने के लिए दूसरों को नीचा दिखाने लगते हैं और ऐसा बार-बार करने की नई-नई तरकीब निकालने लगते है। ऐसी समस्या को सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (self obsessed disorder) कहते हैं। हमारे आसपास ऐसे कई लोग मिल जाते हैं जो दूसरों के बीच आकर्षण का केंद्र बनने की कोशिश करते हैं। सब लोग उनकी ही तारीफ करें।
ऐसी मनोवृत्ति को मेडिकल भाषा में नार्सिसिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (narcissistic personality disorder) के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं?
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सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (Self obsessed disorder) के कारण क्या हैं?
बहुत से ऐसे मानसिक विकार होते हैं जो इंसान के व्यवहार और विचार पर कंट्रोल न होने की वजह से पनपने लगते हैं। सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर भी उन्हीं में से एक है। इस तरह के मानसिक विकारों के कारण क्या होते हैं? इसके बारे में ठीक तरह से नहीं पता लगाया जा सकता है। लेकिन, फिर भी मनोचिकत्सक मानते हैं कि इस मेंटल डिसऑर्डर का कारण प्रमुख रूप से जीवन में घटित घटनाओं के अनुभव, अनुवांशिकता (genetic), व्यक्ति के आस-पास का माहौल आदि हो सकता है। इसके अलावा बचपन में हुए दुर्व्यवहार के कारण, अभिभावक द्वारा बच्चे को जरूरत से ज्यादा प्यार दुलार देना आदि भी इसका कारण हो सकते हैं।
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms of self obsessed disorder)
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (Self obsessed disorder) एक प्रकार का पर्सनालिटी डिसऑर्डर है, जो व्यक्ति के अंदर जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास भर देता है। इससे इंसान के व्यव्हार पर धीरे-धीरे प्रभाव पड़ने लगता है। ऐसे लोग खुद को दूसरे से सर्वश्रेष्ठ मानने लगता है। मनोविज्ञान की भाषा में ऐसे लोगों को नार्सिसिस्ट कहा जाता है। इस तरह के लोगों में अक्सर ये लक्षण देखने को मिलते हैं-
1. खुद की गलतियों को नजरंदाज करना
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (self obsessed disorder) से ग्रस्त लोग कभी भी दुनिया को दूसरे लोग की नजर से नहीं देखते। बल्कि वे अपनी पर्सनालिटी को बचाएं रखने के लिए अपनी खामियों को नजरंदाज करते हैं।
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2. सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर: अपने बारे में सोचना
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (Self obsessed disorder) से ग्रस्त व्यक्ति ये सोचता है कि दुनिया सिर्फ उसके बारे में है। उनके हिसाब से दुनिया सिर्फ उनके और कुछ ऐसे लोगों के इर्द-गिर्द घूमती हैं जिन्हें वो नियंत्रित कर सकते हैं। दुनिया बाकी लोगों को कैसे प्रभावित करती है यह वास्तव में उनकी चिंता का कारण नहीं है।
3. गलती दूसरे पर थोपना
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (Self obsessed disorder) के रोगी किसी भी रिश्ते में हावी होना चाहते हैं और ऐसा करने की चाह में वो अपनी की हुई गलतियां दूसरों पर थोपते हैं।
4. इन्सिक्योर महसूस करना
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (self obsessed disorder) के रोगी कभी भी अपने आप को कम्पलीट नहीं महसूस कर पाते। उन्हें हमेशा अधूरा और इन्सिक्योर महसूस होता है। इस वजह से वो हमेशा दुखी और बेचैन रहते हैं।
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5. दूसरों से बेहतर होने की सोच रखना
वे अपनी दुनिया और स्वयं की छवि में इतने रम जाते हैं कि अन्य लोग उनके लिए कोई मतलब नहीं रखते। वे अपने दिमाग में खुद को सबसे ऊंचा समझने लगते हैं।
6. दोस्ती को सिर्फ एक साधन समझना
सेल्फ ऑब्सेस्ड लोगों (self obsessed disorder) के लिए मित्रता सिर्फ अपना काम निकालने का एक साधन है। अलग-अलग काम के लिए उनके अलग- अलग दोस्त होते हैं। अपना काम निकलते ही वे दोस्त को भूल जाने में माहिर होते हैं।
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7. सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर: बेहद मतलबी होना
क्या घर क्या फ्रेंड सर्किल हर जगह ऐसे व्यक्ति चाहते हैं कि बस उनकी सलाह को ही आगे रखा जाए। हर कोई उनकी सलाह ही मानें। हर फैसला सिर्फ उनकी राय के हिसाब से होता है। वे दूसरों की राय पर विचार नहीं करना चाहते। अपने सेल्फ ऑब्सेस्ड स्वभाव (Self obsessed disorder) के कारण वे अपनी ही प्राथमिकताओं की वजह से बर्बाद होते हैं।
8. रिश्तों को लंबे समय तक न चला पाना
रिश्ते उनके लिए मात्र एक जरिया होते हैं अपना काम निकालने का। किसी भी रिश्ते में वो अपना समय इनवेस्ट नहीं करते जिस वजह से उनके रिश्ते लंबे समय तक नहीं चल पाते।
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9. सहानुभूति का कोई वास्तविक भाव न होना:
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (self obsessed disorder) लोगों द्वारा सहानुभूति या करुणा का प्रदर्शन सिर्फ एक दिखावा होता है। इसलिए उनके लिए सच्ची सहानुभूति की गहराई को समझना मुश्किल है।
10. अपनी सफलता के पीछे अपनी कमियों की छिपाना:
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर की असल सच्चाई यह है कि चाहे किसी भी तरह की सफलता हो, वे हमेशा अंदर ही अंदर अपर्याप्त महसूस करेंगे। यद्यपि वे दिखावे और बाहरी उपलब्धियों के आधार पर सफल दिखाई देते हैं, पर अंदर से वे आत्म-सम्मान से संबंधित भय रखते हैं।
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11. बाकियों को खुद के मुकाबले नीचे समझना
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर जैसे मानसिक विकार (mental disorder) से ग्रस्त इंसान अपने को ही उच्च समझता है। हर काम की सफलता का श्रेय खुद को ही देता है। बाकियों को वो खुद के मुकाबले जीरो समझता है और खुद को हीरो फिर बात चाहे लुक की ही क्यों न हो।
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर का उपचार (Treatment of self obsessed disorder)
इस तरह के मानसिक विकार से ग्रस्त इंसान का उपचार करना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि पीड़ित व्यक्ति को समझा पाना ही मुश्किल होता है कि वह एक मानसिक बीमारी का शिकार है। इसलिए इस तरह के मेंटल डिसऑर्डर के उपचार के लिए व्यक्तिगत साइको थेरेपी या फिर ग्रुप साइको थेरेपी दी जाती है। इसके साथ-साथ और भी कई साइको थेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इस मानसिक विकार से ग्रस्त व्यक्ति को काउंसलिंग के लिए ले जाएं। अगर सही समय पर उपचार शुरू किया जाए तो सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (Self obsessed disorder) पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।
ऊपर बताए गए सारे 11 लक्षण एक सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (Self obsessed disorder) से ग्रस्त वक्ति के अंदर देखे जा सकते हैं। ऐसे में अगर आपका कोई मित्र या घर का सदस्य ऐसी स्थिति से गुजर रहा हो तो आप उसे समझाएं और डॉक्टर के पास ले जाएं। साथ ही याद रखें ऐसी स्थिति में मरीज को दवाओं से ज्यादा फैमिली सपोर्ट की बहुत जरुरत पड़ती है तो आप उसका साथ दें। उचित मेडिकेशन और सहयोग से मेंटल डिसऑर्डर पीड़ित व्यक्ति के लक्षणों में सुधार जल्दी देखे जा सकते हैं।
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