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क्या फीमेल इजेकुलेशन वास्तविक है?
कई सालों से, वैज्ञानिकों का मानना है कि जो महिलाएं सेक्स के दौरान स्खलन करती हैं, उन्हें कॉन्टिनेंस (continence) की समस्या का सामना करना पड़ता है। हालांकि, रिसर्च से महिला स्खलन के अस्तित्व की पुष्टि की गई है। 2014 के एक शोध में पाया गया कि फ्लूइड ब्लैडर में उत्तेजना के दौरान जमा हो जाता है और एजेकुलेशन के दौरान यूरेथ्रा से निकल जाता है। इस स्टडी में सेक्स के दौरान महिला स्खलन का अनुभव करने वाली सात महिलाओं ने ट्रायल में भाग लिया।
पहले, शोधकर्ताओं ने अल्ट्रासाउंड से यह पुष्टि की कि प्रतिभागियों के ब्लैडर खाली थे। महिलाओं ने तब तक खुद को स्टिम्युलेट किया जब तक कि उनका एजेकुलेशन नहीं हुआ। अध्ययन में पाया गया कि सभी जो ब्लैडर शुरुआत में खाली था उत्तेजना के दौरान भरना शुरू हो गया। और स्खलन के बाद किए गए स्कैन से पता चला कि पार्टिसिपेंट्स के ब्लैडर फिर से खाली हो गए।
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फीमेल इजेकुलेशन कितना सामान्य है?
महिला स्खलन पूरी तरह से सामान्य है, फिर भी लोग बहुत बार इसकी चर्चा नहीं करते हैं। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर सेक्सुअल मेडिसिन के अनुसार, अलग-अलग अनुमान बताते हैं कि 10 से 50 प्रतिशत महिलाओं में सेक्स के दौरान एजेकुलेशन होता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सभी महिलाएं स्खलन का अनुभव करती हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम का ही ध्यान इस तरफ जाता है।
एक पुरानी स्टडी जिसमें 233 महिलाओं को शामिल किया गया, उनमें से 14 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि उन्होंने सभी या ज्यादातर सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान स्खलन का अनुभव किया। वहीं, 54 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्होंने कम से कम एक बार एजेकुलेशन का अनुभव किया था।
जब शोधकर्ताओं ने संभोग से पहले और बाद में यूरिन सैम्पल्स की तुलना की, तो पाया कि बाद वाले यूरिन सैंपल में अधिक पीएसए था। इससे उन्होंने रिजल्ट निकाला कि सभी महिलाएं इजेकुलेशन फील करती हैं लेकिन, इसे हमेशा बाहर नहीं निकालती हैं। इसके बजाय, स्खलन कभी-कभी ब्लैडर में वापस लौट जाता है, जो बाद में यूरिन के दौरान बाहर निकलता है।
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फीमेल इजेकुलेशन के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?