अध्यात्म का अर्थ है स्वयं को जानना। अध्यात्म सुख से ही प्राप्त हो सकता है दुख से नहीं। यदि आप गौर करें तो अधिकतर दांपत्य जीवन में लोग दुख से ग्रसित हैं। अधिकतर शादी-सूदा व्यक्ति शादी न करने की ही सलाह देते नजर आते हैं। दाम्पत्य जीवन को कैसे सुखी बनाना है। एक महिला या पुरुष की क्या जिम्मेदारियां हैं? इन सभी बातों से वह वंचति रहते हैं। महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र में इन पहुलओं पर विस्तृत जानकारी दी है। कह सकते हैं कि कामसूत्र में अध्यात्म निहित है।
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कामसूत्र में अध्यात्म का रहस्य क्या है?
कामसूत्र की बात आते ही सिर्फ सेक्स और 64 काम-क्रीड़ाओं की ही बात लोगों के जहन में आती है। जबकि सच यह है कि महर्षि वात्स्यायन जिन्होंने छठी सदी में इस पुस्तक की रचना की वह ब्रह्चर्य जीवन जीते थे। उन्होंने चारों वेदों को केंद्र में रखकर ही कामसूत्र की रचना की। कामसूत्र सिर्फ सेक्स पुजिशन नहीं बल्कि सभ्य व्यवहार-आचार-विचार का भी ज्ञान देती है।
जानिए कैसे कामसूत्र में अध्यात्म की बातों का ज्ञान समाहित है
कामसूत्र में अध्यात्म किस तरह से हमारे जीवन के लिए सुखी स्त्रोत हो सकता है, इसे जानने के लिए आप नीचे बचाए गए बिंदुओं पर गौर कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
जीवन का तीसरा लक्ष्य है काम
महर्षि वात्स्यायन ने धर्म और अर्थ के बाद काम को महत्व दिया है। धर्म शास्त्र में नैतिकता और जीवन को सही तरह से कैसे जीना चाहिए इसके बारे में बताया गया है। अर्थ शास्त्र में धन सम्पदा, समृद्धि के बारे में बताया गया है। वात्स्यायन ने काम की भी आवश्यकता के बारे में कहा है कि संभोग करने के लिए शास्त्रज्ञान जरूरी इसलिए है कि अगर स्त्री या पुरुष दोनों में से कोई भी भयभीत, शर्माता है या हारता है तो उसे उपायों की जानकारी होनी चाहिए। संभोग सुख या वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए संभोग की 64 कलाओं की जरूरत होती है। जब तक आप काम में सुख नहीं प्राप्त करेंगे तो आपका मन विचलित रहेगा। यह आपको कभी अध्यात्म की प्राप्ती नहीं करने देगा। कामसूत्र में अध्यात्म की प्राप्ती की ओर कैसे बढ़ना है यही जानकारी दी गई है।
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हर उर्जा का केंद्र बिंदु है काम उर्जा
आध्यात्मिक गुरु दीपक चोपड़ा अपनी किताब ‘कामसूत्र, इनक्ल्यूडिंग द सेवन स्पिरिचुअल लॉ ऑफ लव’ में अध्यात्मिकता और कामुकता के विषय पर लिखते हैं कि सेक्स से जुड़ी सभी समस्याएं न्युरोसिस, डेवियन्सी, सेक्सुअल मिस-बिहेव, हिंसा आदि को अवरोध, प्रतिरोध, दबाव का कारण माना जा सकता है। सिर्फ काम की इच्छा को इसके लिए जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए। काम की इच्छा की पूर्ति होते ही यह सभी अपने आप शांत हो जाती हैं। कामसूत्र में अध्यात्म का यह रहस्य निहित है।
इंद्रियों का सुख या आनंद ही है काम
कामसूत्र सदियों पुराना ग्रंथ है। आज 21वींद सदी में भी सेक्स की चर्चा दबी जबान में ही की जाती है। इस बात से यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि पुस्तक को पोर्नोग्राफी के रूप में क्यों पेश किया गया। काम का अर्थ है पांचों ज्ञानेंद्रियों यानी आंख, नाक, जीभ, कान और स्पर्श का एक साथ सुख भोगना या आनंद को प्राप्त करना। कामसूत्र में अध्यात्म का रास्ता यह बताया गया है कि जब इंद्रियां संतुष्ट ना हो तो मन भी संतुष्ट नहीं रह सकता।
कामशास्त्र का अध्यात्मिक उद्देश्य
कामसूत्र में अध्यात्म के इस विशेष ज्ञान को आप प्राप्त कर सकते हैं कि संभोग क्रिया का सर्वोत्तम व आध्यात्मिक उद्देश्य पति-पत्नी में अध्यात्मिकता, मानव प्रेम व परोपकार और उदात्त भावनाओं का विकास करना है। इसका ज्ञान पशु-पक्षियों को नहीं हो सकता। जो लोग संभोग के बारे में नहीं जानते या काम शास्त्र के बारे में नहीं जानते वह जानवरों की तरह संभोग करते हैं।
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संभोग का सुख
संभोग का असली सुख मनुष्य जाति का उत्तरदायित्व जैसे संभोग, संतान पैदा करना, जननेन्द्रिय और काम संबंधी समस्याओं के प्रति आदर्शमय भाव होना होता है। इसके साथ ही अपनी सहभागी के प्रति उच्चभाव, अनुराग, श्रद्धा और अच्छे की कामना ही कामशास्त्र है।
महिलाओं का मार्गदर्शन करता है
सेक्स से ही पूरी सृष्टी की रचना हुई है। कला, रति क्रीड़ा और जीवन आनंद को समझने का सिद्धांत ही काम शास्त्र है। कामसूत्र एक अच्छी पत्नी बनने की गाइडलाइन मात्र नहीं है बल्कि महिला को कुशल, सुन्दर, निपुण और बुद्धिमान होना भी सीखाती है।
दैहिक ऊर्जा पर नियंत्रण सिखाता है
कामसूत्र में अध्यात्म की छवि एक ओर नजर आती है वह है दैहिक ऊर्जा पर नियंत्रण। कामसूत्र में दैहिक ऊर्जा को ध्यान व खुशी से संबंधित बताया गया है। इसमें बताया गया है कि आकर्षण, उत्तेजना, जागृति, जुनून, इच्छा, उत्साह यौन ऊर्जा के ही कारण होते हैं। पशु-पक्षी इसे दैहिक ऊर्जा का सही इस्तेमाल या इसपर कंट्रोल नहीं रख सकते पर मनुष्य धैर्य, प्रेम से इसका उचित उपयोग कर सकता है।
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शरीर और आत्मा का मिलन
कामसूत्र में अध्यात्म यह सीख देता है कि पूर्ण आनंद के साथ अध्यात्म को कैसे प्राप्त किया जा सकता है? कामसूत्र में बताया गया है कि जब जरूरत के बजाए सुख और आनंद ज्यादा होता है तो सेक्स क्रिया परमानन्द तक पहुंच जाती है। इसे शरीर और आत्मा का मिलन कहते हैं। इसलिए यौन इच्छाओं को दबाना मानसिक बेचैनियों को जन्म देना ही है।
कामसूत्र में अध्यात्म ही नहीं जीवन को सही ढंग से जीने, दाम्पत्य जीवन को खुशहाल बनाने की पूरी जानकारी दी गई है। कामसूत्र को पोर्न पुस्तक नहीं ग्रंथ के तौर पर पढ़ेंगे तो कामसूत्र में अध्यात्म दिखने लगेगा।
इसके अलावा, कामसूत्र में अध्यात्म के ज्ञान से एक महिला और पुरुष शारीरिक संभोग से जुड़े अपने ज्ञान की वृध्दि कर सकते हैं और अपने दाम्पत्य जीवन का सुखी यापन भी कर सकते हैं। एक महिला कैसे अपने शारीरिक संभोग के जीवन में कामसूत्र में अध्यात्म से सीख ले सकती है, उसे इन बातों का ध्यान रखना चाहिएः
- कामसूत्र से संभोग के ज्ञान के प्रति महिलाओं का ज्ञान बढ़ता है
- कामसूत्र महिलाओं को संपत्ति के अधिकार को बढ़ावा देता है
- कामसूत्र महिलाओं को घर पर नियंत्रण देने में विश्वास रखता है
- ऋषि वात्स्यायन के अनुसार अगर पति पत्नी को यौन सुख नहीं दे सकता है, तो वह उसे छोड़ने का फैसला भी ले सकती है।
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपका इससे जुड़ा कोई प्रश्न है, तो आप कमेंट कर पूछ सकते हैं।