जानिए कैसे कामसूत्र में अध्यात्म की बातों का ज्ञान समाहित है
कामसूत्र में अध्यात्म किस तरह से हमारे जीवन के लिए सुखी स्त्रोत हो सकता है, इसे जानने के लिए आप नीचे बचाए गए बिंदुओं पर गौर कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
जीवन का तीसरा लक्ष्य है काम
महर्षि वात्स्यायन ने धर्म और अर्थ के बाद काम को महत्व दिया है। धर्म शास्त्र में नैतिकता और जीवन को सही तरह से कैसे जीना चाहिए इसके बारे में बताया गया है। अर्थ शास्त्र में धन सम्पदा, समृद्धि के बारे में बताया गया है। वात्स्यायन ने काम की भी आवश्यकता के बारे में कहा है कि संभोग करने के लिए शास्त्रज्ञान जरूरी इसलिए है कि अगर स्त्री या पुरुष दोनों में से कोई भी भयभीत, शर्माता है या हारता है तो उसे उपायों की जानकारी होनी चाहिए। संभोग सुख या वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए संभोग की 64 कलाओं की जरूरत होती है। जब तक आप काम में सुख नहीं प्राप्त करेंगे तो आपका मन विचलित रहेगा। यह आपको कभी अध्यात्म की प्राप्ती नहीं करने देगा। कामसूत्र में अध्यात्म की प्राप्ती की ओर कैसे बढ़ना है यही जानकारी दी गई है।
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हर उर्जा का केंद्र बिंदु है काम उर्जा
आध्यात्मिक गुरु दीपक चोपड़ा अपनी किताब ‘कामसूत्र, इनक्ल्यूडिंग द सेवन स्पिरिचुअल लॉ ऑफ लव’ में अध्यात्मिकता और कामुकता के विषय पर लिखते हैं कि सेक्स से जुड़ी सभी समस्याएं न्युरोसिस, डेवियन्सी, सेक्सुअल मिस-बिहेव, हिंसा आदि को अवरोध, प्रतिरोध, दबाव का कारण माना जा सकता है। सिर्फ काम की इच्छा को इसके लिए जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए। काम की इच्छा की पूर्ति होते ही यह सभी अपने आप शांत हो जाती हैं। कामसूत्र में अध्यात्म का यह रहस्य निहित है।
इंद्रियों का सुख या आनंद ही है काम
कामसूत्र सदियों पुराना ग्रंथ है। आज 21वींद सदी में भी सेक्स की चर्चा दबी जबान में ही की जाती है। इस बात से यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि पुस्तक को पोर्नोग्राफी के रूप में क्यों पेश किया गया। काम का अर्थ है पांचों ज्ञानेंद्रियों यानी आंख, नाक, जीभ, कान और स्पर्श का एक साथ सुख भोगना या आनंद को प्राप्त करना। कामसूत्र में अध्यात्म का रास्ता यह बताया गया है कि जब इंद्रियां संतुष्ट ना हो तो मन भी संतुष्ट नहीं रह सकता।
कामशास्त्र का अध्यात्मिक उद्देश्य
कामसूत्र में अध्यात्म के इस विशेष ज्ञान को आप प्राप्त कर सकते हैं कि संभोग क्रिया का सर्वोत्तम व आध्यात्मिक उद्देश्य पति-पत्नी में अध्यात्मिकता, मानव प्रेम व परोपकार और उदात्त भावनाओं का विकास करना है। इसका ज्ञान पशु-पक्षियों को नहीं हो सकता। जो लोग संभोग के बारे में नहीं जानते या काम शास्त्र के बारे में नहीं जानते वह जानवरों की तरह संभोग करते हैं।