प्यार और आकर्षण दो अलग चीजें हैं। प्यार एक एहसास है जो किसी व्यक्ति से हमें पूरी उम्र बांधे रखता है। उस व्यक्ति की हर चीज से आपको प्यार हो जाता है। जबकि आकर्षण इसके विपरीत है। आकर्षण सिर्फ तब तक रहता है जब तक वो व्यक्ति सामने होता है। उसके साथ रहना आपको अच्छा लग सकता है। जब वो सामने नहीं होगा तो आकर्षण धीरे-धीरे धूमिल हो जाएगा। जबकि प्यार उसके जाने के बाद भी आपको उसकी याद दिलाता रहेगा। प्यार को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि आप जिससे प्यार करते हैं वो व्यक्ति सामने रहे या ना रहे आप उसको भूल नहीं पाते हैं। जब आप प्यार में होते हैं तो उसकी फीलिंग अलग होती है। प्यार में आप जो महसूस करते हैं वो आकर्षण में कभी महसूस नहीं होता।
आकर्षण एक थोड़े समय का अनुभव है जो जल्द ही खत्म हो जाता है। इससे हमें खुशी तो होती है, लेकिन थोड़े समय की। वहीं प्यार की खुशी सदा बनी रहती है। प्यार एक लंबे समय तक चलने वाला अनुभव है। प्यार में कुछ पाने की इच्छा नहीं होती। आपको बस अपने पार्टनर के लिए वो सब कुछ करने का मन होता है, जिससे उसे खुशी मिले।
आकर्षण किसी व्यक्ति ही नहीं, वस्तु पर भी हो सकता है। सीधे शब्दों में समझा जाए तो कोई लड़का या लड़की बहुत मीठा बोलता है तो आप उसकी बोली के प्रति आकर्षित हो जाएंगे। जब आपको वैसा ही कोई दूसरा मिलेगा तो ये आकर्षण दूसरे के तरफ चला जाएगा। आकर्षण अस्थायी होता है और प्यार स्थायी। प्यार किसी चीज से नहीं होता। प्यार में तो आपको हर पल उसी व्यक्ति की याद आती है। आपको वो हमेशा अपने आसपास चाहिए होता है।