चाय किसी की जरूरत, किसी की लत तो किसी के लिए काम से ब्रेक का जरिया हो सकती है। हो भी क्यों न भारत जैसा देश, जो दुनिया में दूसरे नंबर पर चाय का उत्पादन करता है, तो उस देश में इसकी खपत भी ज्यादा होना लाजमी है। चाय के इतिहास की बात हो, तो भारत और चीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दोनों ही देशों में चाय को मेहमानों के लिए वेलकम ड्रिंक या लोगों के दिन की शुरुआत करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चाय की कई वैरायटी समय के साथ विकसित हो गई हैं, इनमें हर्बल टी, डिटॉक्स टी जैसी कई चाय शामिल हैं। साथ ही ऐसा माना जाता है कि ये स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। वहीं कुछ लोगों को इसकी इतनी आदत हो जाती है कि वे दिन मे 10-12 कप तक चाय पीने लग जाते हैं। चाय की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए ही 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में भी मनाया जाने लगा है। इसकी शुरुआत साल 2005 में की गई थी। इस दिन की शुरुआत एशिया और अफ्रीका में चाय उगाने वाले किसानों और उनकी संस्थाओं ने की थी। इस दिन को चाय के बागानों में काम करने वाले मजदूरों पर इसे उगाने वाले किसानों को इसके सही दाम मिल सकें इस उद्देश के साथ मनाया जाता है।
आज चलन में डिटॉक्स टी
चाय की बात होते ही इसे पीने वाले ठीक उसी तरह से प्रतिक्रिया देते हैं, जैसे कोई एल्कोहॉलिक शराब की बात सुनकर प्रतिक्रिया देता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि चाय की इतनी ज्यादा वैरायटी उपलब्ध है कि हर किसी के लिए कोई न कोई चाय उपलब्ध है। ऐसे में आज डिटॉक्स टी का प्रचलन भी तेजी से बढ़ा है। इसके चलन के बढ़ने का कारण इसके हेल्थ बेनिफिट्स भी हो सकते हैं। लोगों का मानना है कि डिटॉक्स टी के इस्तेमाल से वे आसानी से अपनी बॉडी को डिटॉक्स कर सकते हैं। इससे बॉडी से टॉक्सिन्स तो बाहर निकलते ही हैं साथ ही लोगों को वजन कम करने में भी मदद मिलती है।
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क्या सच में डिटॉक्स टी वजन कम करती है
आमतौर पर चाय का सेवन एक हेल्थ ड्रिंक के तौर पर किया जाता है। ऐसे में माना जाता है कि ग्रीन टी स्वास्थ्य के लाभकारी है और इसमें मौजूद केमिकल्स वजन कम करने में मदद कर सकते हैं। इन केमिकल्स को कैटेकिंस (Catechins) कहा जाता है। एक्सरसाइज के दौरान इन कमिकल्स के कारण ज्यादा फैट बर्न होता है।
हालांकि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि वजन कम करने में ग्रीन टी की भूमिका को समझने के लिए अभी काफी शोध किए जाने की जरूरत है। जहां तक बात डिटॉक्स टी की बात की जाए, तो अभी कोई क्लीनिकल स्टडी नहीं है, जो इस बात को साबित कर सकें कि डिटॉक्स टी से वजन कम करने में मदद मिलती है। अधिकतर डिटॉक्स टी को इंस्ट्रक्शंस के साथ बेचा जाता है इसमें यह भी शामिल होता है कि डायट के दौरान या एक्सरसाइज के साथ इसे कितना और कैसे लेना है।
साथ ही डिटॉक्स टी बेचने वाली कंपनियां लोगों को एक्सरसाइज करने के लिए भी प्रेरित करती हैं, जिससे शरीर से टॉक्सिन तेजी से निकलते हैं। डिटॉक्स टी में काफी मात्रा में कैफीन पाया जाता है। कैफीन का बढ़ा हुआ स्तर डायरेटिक (diuretic) की तरह काम करता है। डायरेटिक बॉडी से पानी को यूरिन के सहारे बाहर बाहर निकालने के लिए ट्रिगर करता है। इससे बॉडी से वॉटर वेट को घट सकता है। साथ ही डिटॉक्स टी के लैक्सेटिव प्रभाव भी हो सकते हैं। इससे आपका एब्डोमेन एरिया पतला और फ्लैट दिखता है।
डिटॉक्स टी के साइड इफेक्ट्स
कुछ डिटॉक्स टी में सिर्फ प्राकृतिक चाय की पत्तियां होती हैं, जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। वहीं अन्य में कुछ एडिशनल इंग्रीडिएंट्स डाले जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिरकारक हो सकते हैं। ऐसे इंग्रीडिएंट्स हैं:
- पावरफुल हर्ब्स जैसे कि सनाय
- लैक्सैटिव्स
- कैफीन का उच्च स्तर
- मेडिकेशन्स
- कुछ अवैध केमिकल्स
डिटॉक्स टी में इंग्रीडिएंट्स को आपको एनर्जी देने के लिए मिलाए जाते हैं। साथ ही डिटॉक्स टी लेने पर आपाको बार-बार बाथरूम जाना पड़ेगा। कॉलॉन और ब्लैडर को बार-बार खाली करने से भी आपका वजन कम हो सकता है।
लेकिन इसमें एक समस्या यह भी है कि ऐसे आप ज्यादा मात्रा पानी को शरीर से बाहर निकालते हैं न कि टॉक्सिन्स को और यह वजन कम करने का सुरक्षित और प्रभावशाली तरीका नहीं है। हालांकि, डिटॉक्स टी को आपको एक्टिव रखने के लिए तैयार किया जाता है। लेकिन यह कुछ समस्याएं भी खड़ी कर सकती हैं जैसे:
- हार्ट अटैक
- स्ट्रोक्स
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कैसे हुई चाय पीने की शुरुआत
ऐसा माना जाता है कि चाय पीने के शुरुआत चीन में हुई थी। चीन के लोग मानते हैं कि आज से 2737 ईसा पूर्व चीन में एक प्रांत के राजा के लिए पीने का पानी गर्म किया जा रहा था। इस दौरान इस पानी के बर्तन में कुछ चाय की पत्तियां उड़ आ गिरी। राजा ने जब इस पानी को पिया तो उसे तरो-ताजा एहसास हुआ और इसके बाद से ही राजा पानी में चाय की पत्तियां उबाल कर पीने लगा और धीरे-धीरे इसका प्रचलन चीन के अन्य प्रांतों में भी बढ़ने लगा। देखते ही देखते चाय चीन के लोगों के रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन गया। चाय को पहली बार चखने वाले राजा का नाम शेन नंग था, जो दक्षिण-पश्चिम चीन का शासक था।
भारत में चाय का इतिहास
अंग्रेजों ने पहली बार 1820 में असम में चाय की खेती शुरू कराई थी। लेकिन, कहते हैं कि इंडिया में 12वीं शताब्दी से ही चाय उगाई जा रही थी। ऐसा माना जाता है कि अंग्रेजों ने सिर्फ इसके चलन को आगे बढ़ाया। वहीं भारत में चाय को लेकर यह मिथक भी प्रचलित है कि चाय पीने से इंसान का रंग काला हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ इस मिथक को सिरे से खारिज करते हैं। इसके उलट चाय में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं।
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