परिचय
संधिशोथ (Arthritis) क्या है?
संधिशोथ यानि शरीर के हड्डियों के जोड़ों में दर्द होना। इसे गठिया, अर्थराइटिस, गाउट और वात दोष भी कहते हैं। संधिशोथ या गठिया की समस्या होने पर व्यक्ति के एक या एक साथ शरीर के कई अलग-अलग हड्डियों के जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन की समस्या हो सकती है। अर्थराइटिस की स्थिति होने पर शरीर के हड्डियों के जोड़ों में गांठें बन जाती हैं जहां पर सुई जैसे चुभने का अनुभव होता है। संधिशोथ की स्थिति में तेज दर्द के साथ, बुखार, शरीर में अकड़न महसूस करना और चलने-फिरने में भी परेशानी हो सकती है। इसकी स्थिति पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक प्रभावित कर सकती है। खासतौर पर ऐसी महिलाओं को जिनका वजन बहुत ज्यादा हो। हालांकि,आमतौर पर गठिया के लक्षण समय के साथ ही विकसित होते रहते हैं, लेकिन अचानक से भी इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं। संधिशोथ (गठिया) की समस्या 65 साल से अधिक उम्र के वयस्क लोगों में अधिक देखी जा सकती है। हालांकि यह छोटे उम्र के बच्चों, टीनएजर्स और युवाओं को भी प्रभावित कर सकता है।
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संधिशोथ के प्रकार (Types of Arthritis)
अर्थराइटिस या संधिशोथ के सौ से भी अधिक प्रकार हो सकते हैं। हालांकि, इसमें अस्थिसंधिशोथ (Osteoarthritis) की समस्या सबसे अधिक हो सकती है। इसके बाद आमवातिक संधिशोथ जिसे रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) भी कहते हैं और सोरियाटिक संधिशोथ (Psoriatic Arthritis) के प्रकार की समस्या भी अधिक हो सकती है।
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एडवांस रूमेटाइड अर्थराइटिस
लक्षण
संधिशोथ के लक्षण क्या हैं? (What are the symptoms of arthritis?)
संधिशोथ (गठिया) के निम्न लक्षण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
- चलते समय, बैठते समय, किसी भी वस्तु को पकड़ते समय या किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि करते समय जोड़ों में तेज दर्द होना
- हड्डियों के जोड़ों में सूजन होना
- हड्डियों के जोड़ों में अकड़न होना
- जोड़ों की त्वचा लाल होना
- जोड़ों का तापमान सामान्य से अधिक गर्म महसूस होना
- जोड़ों के लचीलेपन में कमी महसूस करना
- जोड़ों को ज्यादा हिलाने-डुलाने में परेशानी महसूस करना
- शरीर के जोड़ों में विकृति आना, यानि उस जगह अंग का टेढ़ा-मेढ़ा होना
- लगातार वजन घटना
- बहुत ज्यादा थकान महसूस करना
- बिना किसी कारण के बुखार होना
- चलने पर प्रभावित जोड़ों से खड़-खड़ाने की आवाज आना
- घुटने के साथ-साथ, कूल्हे, कंधे, हाथ या पूरे शरीर के किसी भी जोड़ में दर्द का अनुभव करना
- प्रतिरक्षा प्रणाली की गतिविधियां धीमी हो सकती हैं, जिसके कारण भूख में कमी हो सकती है
- एनीमिया की समस्या होना
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संधिशोथ (गठिया) के दर्द और अकड़न वाली स्थिति सुबह के समय सो कर उठने के बाद सबसे अधिक महसूस हो सकती है। इसके अलावा ऐसे कई लक्षण भी हो सकते हैं, जो यहां पर नहीं बताए हैं। अगर आपको ऐसे किसी लक्षण पर किसी तरह का संदेह है, तो इस बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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कारण
संधिशोथ के क्या कारण हो सकते हैं? (Causes of Arthritis)
संधिशोथ (गठिया) की स्थिति उन लोगों में अधिक हो सकता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। इसके अलावा, भी गठिया होने के निम्न कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
कार्टिलेज टिशू की मात्रा में कमी आना
कार्टिलेज हमारे शरीर के जोड़ो का एक नर्म और लचीला ऊतक यानी टिशू होता है। जब भी हम चलने-फिरने जैसी कोई शारीरिक गतिविधि करते हैं, तो हमारे शरीर के जोड़ों, खासकर घुटनों, कूल्हों और कोहनी के जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में कार्टिलेज शरीर के इन जोड़ों पर पड़ने वाले प्रेशर और शॉक को अब्सॉर्प्शन का कम करने में मदद करता है, जिससे शरीर के जोड़ों पर यह प्रेशर कम से कम पड़ता है। लेकिन, अगर किसी कारण कार्टिलेज के ऊतकों की मात्रा में कमी आ जाती है, तो इसका कार्य प्रभावित हो सकता है, जिससे संधिशोथ की समस्या हो सकती है।
अस्थिसंधिशोथ (Osteoarthritis) का कारण
अस्थिसंधिशोथ यानी ऑस्टियोअर्थराइटिस (Osteoarthritis) का सबसे मुख्य कारण शरीर के जोड़ों में सामान्य चोटें लगना हो सकता है। इसके अलावा, जोड़ों में किसी तरह का संक्रमण होने पर भी कार्टिलेज ऊतकों की मात्रा को घटा सकता है। साथ ही, अगर माता या पिता को पहले से ही इसकी समस्या है, तो उनसे होने वाली संतानों में इसकी समस्या होने का खतरा अधिक हो सकता है।
रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) का कारण
रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) भी संधिशोथ (गठिया) का सबसे सामान्य प्राकर होता है जो कि एक प्रकार का ऑटोइम्यून डिसऑर्डर माना जाता है। शुरू में इस प्रकार की स्थिति में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के ऊतकों पर हमला करती हैं जो सिनोवियम को प्रभावित कर सकते हैं। सिनोवियम हमारे शरीर के जोड़ों में पाया जाने वाला एक नर्म टिशू होता है जो ऐसे लिक्विड को बनाता है जिससे कार्टिलेज को पोषण मिलता है और यह जोड़ो को चिकनाई प्रदान करता है। गठिया का यह प्रकार जोड़ो के अंदर की हड्डी और कार्टिलेज को सीधे तौर पर खराब कर सकते हैं।
निदान
संधिशोथ के बारे में पता कैसे लगाएं? (Diagnosis for Arthritis)
संधिशोथ (गठिया) का निदान करने के लिए डॉक्टर आपके शारीरिक स्थितियों और समस्याओं के अनुसार आपको कुछ जरूरी टेस्ट कराने का निर्देश दे सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
लैब टेस्ट
लैब टेस्ट के दौरान डॉक्टर आपसे आपके शरीर के तरल पदार्थों की जांच करवाने का निर्देश दे सकते हैं, जैसे- ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट और जोड़ों से प्राप्त किए गए तरल पदार्थ का टेस्ट करवाना।
इमेजिंग टेस्ट
इमेजिंग टेस्ट के जरिए आपके जोड़ों के अंदर की समस्याओं का पता लगाया जा सकता है, इसके लिए निम्न तरह के इमेजिंग टेस्ट किए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
- एक्स रे
- सीटी स्कैन
- एमआरआई
- अल्ट्रासाउंड
सभी तरह के इमेंजिग टेस्ट में एमआरआई और अल्ट्रासाउंड को अन्य दोनों के मुकाबले अधिक सटीक जानकारी वाला टेस्ट माना जा सकता है। यह हड्डियों में आए कटाव या किसी तरह के घिसाव की जानकारी अधिक सटीक दे सकते हैं। साथ ही, ये हड्डियों के अंदर आई किसी तरह के सूजन की जानकारी भी अच्छे से दे सकते हैं।
इसके अलावा, आपका टेस्ट करने से पहले डॉक्टर आपको कुछ जरूरी सवाल भी पूछ सकते हैं, जैसेः
- आपको शरीर के किन-किन जोड़ों में दर्द होता है
- दर्द का लेवल कितना अधिक या कम होता है
- जोड़ों या जोड़ों के आस-पास सूजन की जांच करना
- मुंह में दाने या अल्सर की जांच करना
रोकथाम और नियंत्रण
संधिशोथ को कैसे रोका जा सकता है? (How to cure Arthritis)
संधिशोथ (गठिया) की रोकथाम के लिए निम्न बातों पर ध्यान दिया जा सकता है, जैसेः
- संतुलित आहार का सेवन करना
- यूरिक एसिड के लेवल को कंट्रोल करना
- उचित मात्रा में विटामिन डी का सेवन करना, जिसके लिए कुछ समय धूप में बिता सकते हैं
- शरीर के जोड़ों की मालिश करना
- शारीर का वजन कंट्रोल रखना
- नियमित रूप से व्यायाम करना
- उचित मात्रा में शारीरिक तौर पर आराम करना
- मांसपेशियों को मजबूक बनाने वाले एक्सरसाइज करना
अगर घुटनों में दर्द का कोई अन्य कारण है, तो उसे कम करने के लिए आप स्टैटिक क्वाड्रिसेप्स एक्सरसाइज और नी बैंडिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं। ये घुटनों के कार्यों को एक्टिव करने में मदद कर सकते है।
उपचार
संधिशोथ का उपचार कैसे किया जाता है? (How is arthritis treated?)
संधिशोथ (गठिया) उचित उपचार कराने के लिए जरूरी है, आप इसके लक्षणों को समय रहते पहचानें और सही समय पर इसका उपचार कराएं। आपके संधिशोथ के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर उचित उपचार के साथ-साथ गठिया के लिए दवाओं के सेवन की भी सलाह दे सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
एसिटामिनोफेन (Acetaminophen)
एसिटामिनोफेन के सेवन से सिर्फ दर्द को कम किया जा सकता है। यह सूजन के उपचार में मददगार नहीं होती है।
काउंटर इर्रिटेन्ट्स (Counter-Irritants)
काउंटर इर्रिटेन्ट्स दवा भी सिर्फ दर्द के उपचार के लिए हो सकती है। इसे क्रीम या जेल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स (Corticosteroids)
कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स सूजन कम करने में लाभकारी हो सकता है। इसका सेवन ओरल या इंजेक्शन के रूप में किया जा सकता है।
नॉन स्टीरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्री दवाएं (Non-Steroidal Anti-Inflammatory Drugs) (NSAIDs)
यह दवाएं दर्द और सूजन दोनों को कम करने में मदद कर सकते हैं। जैसे- आइबूप्रोफेन (Ibuprofen)। इसके अलावा, इस तरह की कुछ दवाएं क्रीम और जेल के रूप में भी मिल सकती हैं जिन्हें आप प्रभावित जोड़ों पर लगा सकते हैं।
डिजीज-मॉडिफाइंग एंटी-रूमैटिक दवाएं (Disease-modifying Anti-Rheumatic Drugs) (DMARDs)
यह दवा रयूमेटाइड अर्थराइटिस के उपचार के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।
सर्जरी (Surgery)
कुछ स्थितियों में आपके लक्षणों को देखते हुए डॉक्टर सर्जरी की भी सलाह दे सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकता हैः
- जोड़ों को ठीक करनाः जिससे जोड़े की सतह को चिकना करके उन्हें उनके स्थान पर फिर से लगाया जाता है। इससे जोड़ों का दर्द कम होता है और वे पहले की तरह कार्य कर सकते हैं।
- घुटनों के जोड़ों को बदलने की सर्जरीः इस प्रक्रिया में, खराब जोड़ों की जगह कृत्रिम जोड़े को लगाया जा सकता है।
- जॉइंट फ्यूजन (Joint Fusion): इस प्रक्रिया में दो हड्डियों को आपस में जोड़ा जाता है। हालांकि, इसका इस्तेमाल अक्सर छोटे जोड़ों के उपचार के लिए किया जाता है, जैसे- कलाई, टखना और उंगलियों की स्थिति को ठीक करना।
अन्य उपचार
दवाओं और सर्जरी के अलावा आप अपने डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह पर एक्यूपंचर, ग्लूकोसेमिन, योग या उचित प्रकार के जोड़ों की मालिश भी करा सकते हैं।
अगर आपका संधिशोथ या गठिया (Arthritis) जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट से परामर्श करें।
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