परिचय
एसोफैगल वैरिस (Esophageal varices) में सामान्य से ज्यादा बड़े हुए नसों को कहते हैं। एसोफेगस गले और पेट को आपस में जोड़ता हैं। ऐसी स्थिति तब होती है जब लिवर से संबंधित परेशानी होती है। दरअसल लिवर से संबंधित परेशानी होने के कारण लिवर तक ब्लड नहीं पहुंच पाता है। ऐसी स्थिति होने पर ब्लड लिवर तक नहीं पहुंच कर आसपास के नसों में फैल जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। ऐसा नहीं है की एसोफैगल वैरिस का इलाज संभव नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट के संपर्क में रहने से एसोफैगल वैरिस की स्थिति से बचा जा सकता है।
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एसोफैगल वैरिस के लक्षण क्या हैं?
रिसर्च के अनुसार एसोफैगल वैरिस के लक्षण आसानी से समझ नहीं आते हैं, जबतक ब्लीडिंग न हो। इसलिए एसोफैगल वैरिस के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे-
- उल्टी के दौरान ब्लड आना। एसोफैगल वैरिस होने के कारण उल्टी के दौरान ज्यादा ब्लड आता है
- स्टूल (मल) के रंग में बदलाव होना जैसे काला या ब्लड की तरह स्टूल आना
- सिर में हल्का दर्द होना
- समझने की शक्ति कम होना
- पेट दर्द होना
इन लक्षणों के साथ-साथ नीचे दिए गए लक्षणों को भी समझना चाहिए। जैसे-
- त्वचा और आंखों का रंग पीला पड़ना (जॉन्डिस जैसी स्थिति)
- हल्की चोट लगने पर भी ब्लीडिंग होना
- पेट में फ्लूइड का निर्माण होना या (एसाइटिस)
- ब्लीडिंग की वजह से ब्लड प्रेशर कम होना (लो ब्लड प्रेशर)
ऊपर दिए गए लक्षणों के समझ आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
एसोफैगल वैरिस का कारण क्या है?
शरीर में मौजूद हर छोटे से छोटे और बड़े अंग खास तरह से काम करते हैं, जिनकी वजह से मनुष्य एक्टिव और हेल्दी रहने में समर्थ रहता है लेकिन, अगर शरीर का कोई भी हिस्सा अगर ठीक तरह से काम न करे तो ऐसी स्थिति में शारीरिक परेशानी शुरू हो जाती है। एसोफैगल वैरिस की समस्या भी कुछ ऐसी ही है। दरअसल जब गले और पेट को जोड़ने वाली नसें सामान्य से बड़ी हो जाती है, तो ऐसे में ब्लड फ्लो नॉर्मल होने की स्थिति में व्यक्ति को परेशानी होती है। एसोफैगल वैरिस की समस्या उन लोगों में ज्यादा होती हैं जिन्हें लिवर से जुड़ी कोई परेशानी हो।
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एसोफैगल वैरिस का खतरा किन लोगों में ज्यादा होता है?
यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए की एसोफैगल वैरिस के सभी पेशेंट को ब्लीडिंग की समस्या नहीं होती है। हालांकि कुछ खास शारीरिक परेशानी होने पर ब्लीडिंग की समस्या शुरू हो सकती है। इन परेशानियों में शामिल है-
हाई ब्लड प्रेशर- ब्लड प्रेशर हाई होने की स्थिति में ब्लीडिंग की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिससे उनका ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहे और वो एसोफैगल वैरिस के साथ-साथ अन्य बीमारियों से बचे रहें।
लार्ज वैरिस- लार्ज वैरिस होने की स्थिति में ब्लीडिंग का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है।
लिवर से जुड़ी गंभीर परेशानी- अगर किसी भी व्यक्ति को लिवर से जुड़ी समस्या होने पर एसोफैगल वैरिस की परेशानी हो सकती है।
एल्कोहॉल का सेवन करना- अगर कोई पेशेंट या व्यक्ति एल्कोहॉल का सेवन ज्यादा करता है, तो ऐसी स्थिति में भी ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।
इन बीमारियों के साथ-साथ निम्नलिखित शारीरिक परेशानी होने पर भी ब्लीडिंग की समस्या बढ़ सटी है। जैसे-
- पोर्टल हाइपरटेंशन
- सिरोसीस की समस्या
- ज्यादा उल्टी होना
- कब्ज की समस्या
- अत्यधिक कफ की परेशानी
इन ऊपर बताई गई शारीरिक परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए।
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एसोफैगल वैरिस का निदान कैसे किया जाता है?
एसोफैगल वैरिस के निदान के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांच की सलाह देते हैं। इन टेस्ट में शामिल है:
ब्लड टेस्ट: ब्लड टेस्ट की मदद से ब्लड सेल काउंट, लिवर और किडनी के फंक्शन की जानकारी मिल जाती है।
एंडोस्कोपी: एंडोस्कोपी से जुड़े एक्सपर्ट चेकअप के दौरान मुंह से एक छोटे से कैमरे की मदद से बीमारी की स्थिति की जानकारी लेते हैं। इससे ब्लीडिंग की जानकारी मिल सकती है।
इमेज टेस्ट जैसे सीटी (CT) और एमआरआई (MRI): इस चेकअप से लिवर और पेट के अलग-अलग अंगों की जानकारी मिल सकती है। यही नहीं इस चेकअप से ब्लड फ्लो को समझाना भी आसान हो जाता है।
इन ऊपर बताए गए हेल्थ चेकअप के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर डॉक्टर अन्य टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।
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एसोफैगल वैरिस का इलाज कैसे किया जाता है?
एसोफैगल वैरिस का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जाता है। जैसे-
एंडोस्कोपी स्केलेरोथेरिपी: एंडोस्कोपी स्केलेरोथेरिपी (Endoscopic sclerotherapy) की मदद से डॉक्टर वेन्स में इंजेक्शन देते हैं, जिससे सूजन में कमी आती है।
एंडोस्कोपी वैरिसेल लेगेशन: हेल्थ एक्सपर्ट एंडोस्कोपी वैरिसेल लेगेशन (Endoscopic variceal ligation) की मदद से सूजे हुए वेन्स एलास्टिक बैंड से बांधते हैं। ऐसा करने से ब्लीडिंग की समस्या ठीक हो जाती है। इस बैंड को कुछ दिनों के बाद निकाल दिया जाता है।
ट्रांस्जुगलार इंटरफेटिक प्रोटोसिस्टेमिक शंट (TIPS): TIPS की मदद से दो ब्लड वेसल्स के बीच नय ब्लड वेसेल्स जोड़ते हैं। ऐसा करने से वेन में पहुंचने वाले ब्लड के प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है, जिसे ब्लीडिंग की समस्या से पेशेंट को बचाया जा सकता है।
ऊपर बातये गए इलाज के साथ-साथ आवश्यकता अनुसार और पेशेंट की स्थिति के अनुसार भी इलाज किया जाता है। यह भी पेशेंट के साथ-साथ परिवार के लोगों को ध्यान रखना चाहिए की अगर इलाज सही तरह से नहीं करवाया गया या डॉक्टर द्वारा बताय गए निर्देशों का पालन ठीक तरह से नहीं किया गया तो फिर से ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। इसलिए डॉक्टर द्वारा दिए गए सुझाव का ठीक तरह से पालन करना चाहिए। ऐसा करने से परेशानी जल्द से जल्द ठीक हो सकती है।
एसोफैगल वैरिस से कैसे बचा जा सकता है?
एसोफैगल वैरिस से निम्नलिखित तरीकों को अपनाकर बचा जा सकता है। जैसे-
- इस बीमारी से बचने के लिए अपने आहार में कम नमक का सेवन करना चाहिए।
- खाने में लीन प्रोटीन, साबुत आनाज, फल और हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- एल्कोहॉल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- शरीर का वजन संतुलित बनाये रखें।
- शारीरिक संबंध बनाने से पहले सेफ सेक्स का विकल्प चुने।
अगर आप एसोफैगल वैरिस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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