कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से पूरे शरीर में संकुचन होने लगता है। यदि योनि से भ्रूण के ऊतक या प्लेसेंटा के कुछ हिस्से बाहर निकलते हैं तो इन्हें एक साफ कंटेनर में रखें और तुरंत डॉक्टर के पास जाकर दिखाएं। यह ध्यान रखें कि ज्यादातर प्रेगनेंट महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती है लेकिन जल्दी ही अपने आप समाप्त भी हो जाती है। यदि ब्लीडिंग पीरियड के जैसी हो रही हो तो यह गर्भपात (मिसकैरिज) का संकेत हो सकता है।
गर्भपात (मिसकैरिज): मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर गर्भपात (मिसकैरिज) अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
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गर्भपात (मिसकैरिज) होने के कारण क्या है?
गर्भपात (मिसकैरिज) आमतौर पर कई कारणों से होता है। गर्भावस्था के दौरान मां का शरीर भ्रूण को हार्मोन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है जो भ्रूण के विकास में मदद करता है। पहली तिमाही में गर्भपात तब होता है जब भ्रूण का सामान्य तरह से विकास नहीं हो पाता है। गर्भपात के 50 प्रतिशत मामले क्रोमोसोम या जीन से जुड़ी समस्याओं के कारण सामने आते हैं। इसके अलावा 35 वर्ष की उम्र के बाद इसका खतरा अधिक बढ़ जाता है।
गुणसूत्र जीन को धारण करता है और भ्रूण में एक जोड़ी गुणसूत्र मां से और एक जोड़ी पिता से प्राप्त होता है। लेकिन एक्स्ट्रा गुणसूत्र या इसका अभाव होने पर भ्रूण बनता तो है लेकिन विकसित होने से पहले ही नष्ट हो जाता है। इसके अलावा यदि दोनों जोड़ी गुणसूत्र पिता से ही प्राप्त होने पर भ्रूण का विकास प्रभावित होता है और मोलर प्रेगनेंसी के कारण गर्भपात हो सकता है।
खराब जीवनशैली और खानपान से भी भ्रूण का विकास प्रभावित होता है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी या कुपोषण, ड्रग या एल्कोहल का सेवन, अधिक उम्र में मां बनना, थॉयराइड रोग, हाॅर्मोन से जुड़ी समस्याएं, मोटापा, इंफेक्शन, गर्भाशय ग्रीवा में समस्या, हाई ब्लड प्रेशर सहित कई अन्य समस्याओं से भी गर्भपात हो सकता है।
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